Saturday, 1 October 2011

आदिवासी बालाओं की तस्करी


मध्य प्रदेश के आदिवासी जिले मंडला और डिंडौरी से आदिवासी वालाओ की तस्करी करने वाला गिरोह अब भी अपना कारोबार चला रहा है। मानव तस्करी पिछले इस दसक से वनांचल में धडल्ले से चल रही है। दिल्ली मुम्बई और उत्तरांचल तक इन बालाओं को भेजा जाता है। दरअसल महानगरों में घरेलू नौकरानियों की खपत के कारण यह करोबार फल फूल रहा है। कई बालाओं को दैहिक शोषण एवं देह व्यापार के  कारोबार में उतरा जाता है। डिंडौरी पुलिस ने 29 सितम्बर को एक ऐसे ही गिरोह के चंगुल से 8 बालाओं को मुक्त कराया गया। बालाओं की ये खेप मुम्बई जा रही थी। गैंग की सरगना एक महिला है जो फरार है जबकि दो लोगों को पुलिस ने पकड़ा हे। डिंडौरी पुलिस अधीक्षक  पुरूषोत्तम शर्मा के मुताबिक पुलिस चौकी अमरपुर थाना अमरपुर ने गिरोह को पकड़ा है।  मुम्बई भेजे जाने के लिए बालाओं को एक गांव में एकत्र करके रखा गया था। दरअसल एक व्यक्ति ने पुलिस से शिकायत की थी कि उसकी 15 वर्षीय पुत्री को गैग ने जाल में फांस लिया है और वे उसे लालच देकर मुम्बई ले जाना चाहते है। बालाएं  सोन सिंह के घर में ठहराई गई थी। बरामद की गई आठ बालाएं नाबालिग हैं, जिनमें से पांच बालाएं मंडला जिले की हैं। दो युवतियों को मुम्बई ले जाया जा चुका है। बरामद बालाओं से बारीकी से पूछताछ करने पर पता चला कि मुम्बई की एक महिला, जो कई बार पूर्व में भी गांव आकर ठहरी थी। बालाओं तथा युवतियों को मजदूरी कराने एवं अच्छा वेतन और खाने पीने का लालच देकर उनके गांव से मुम्बई ले जाती है। मुम्बई ले जाकर आदिवासी लड़कियों को वेश्यावृत्ति के धन्धे में भी झोेंक दिया जाता है। जहां से उनका बाहर निकलना असंभव हो जाता है।