Wednesday, 14 September 2016

बंदरछाप सिक्के के कारण हो रही एक के बाद एक मौत


  * मंडला के अंजनिया पुलिस चौकी क्षेत्र में हत्या और आत्महत्या का मामला
जबलपुर। मुद्रा प्रचलन में कभी बंदरछाप सिक्का था अथवा नहीं, यह भी लोगों को नहीं मालूम लेकिन पिछले लम्बे समय से तंत्र मंत्र का कारोबार करने वालों के लिए  बंदरछाप सिक्का बेहदअहम और दुर्लभ माना जाता है। तंत्रमंत्र एवं पूजन पाठ की सामग्री बेचने वाले लोग फर्जी और नकली बंदरछाप सिक्का बेंचकर भी जमकर लोगों को ठगते रहे है। पड़ोसी जिला मंडला के अंजनिया में बंदरछाप सिक्का एक के बाद एक मौत का कारण बन रहा है। इस सिक्के कारण मर्डर और आत्महत्या की कहानी घूम रही है।
   बंदरछाप सिक्का आखिर क्या है? इस संबंध में तंत्र मंत्र के जानकारों का मानना है कि सैकड़ों साल पहले तांबे का  सिक्का चला करता था जिसमें बंदर की आकृति अंकित थी। इस तरह के तांबे के सिक्के बहुत से लोगों के पास है, तांत्रिक इस सिक्के की मदद से गढ़ा धन, सट्टा लाटरी का नम्बर अर्जित कर लाखों के वारे न्यारे कर सकते है। कई तरह के टोना टोटके में बंदर छाप सिक्का बेहद महत्वपूर्ण है।
हत्या कांड  में बंदरछाप सिक्का
पुलिस सूत्रों का कहना है कि गत 20 अप्रैल को  गंगोरा गांव में 40 वर्षीय कामता हरदा की लाश पाई गई थी। मृतक की लाश गेहंू के खेत में मिल थी। शव करीब 4-5 दिन पुरानी थी। घटना की सूचना मिलने पर पुलिस ने मौके पर पहुंच कर पंचनामा कार्रवाई कर शव को पीएम के लिए भेजा गया। इससे ज्ञात हुआ कि मृतक के गले की हड़ड़ी टूटी हुई थी। उसकी पसली पर भी चोटे आई थी तथा एक किडनी बस्ट हो गई थी। पीएम रिपोर्ट एवं पचनामा से स्पष्ट हो गया था कि मृतक की हत्या की गई।
घर से 100 कदम में मिली लाश
पुलिस को लाश मृतक एवं संदिग्ध आरोपी गिरीश नंदा एवं विजय नंदा के घर से करीब 100 किलोमीटर दूर मिली। पुलिस को जांच पड़ताल में ज्ञात हुआ कि मृतक कामता जादू टोना किया करता था। उसके पास  तांत्रिक एवं जादू टोना की क्रिया में गिरीश नंदा एवं विजय नंदा शामिल साथ रहा करते थे। कामता के पास एक बंदरछाप सिक्का  था जिससे वह सभी क्रियाएं किया करता था। आरोपियों ने उससे सिक्का देने की मांग की थी। इसके चलते पुलिस को संदेह था कि उन्होंने बंदरछाप सिक्के के लिए  हत्या कर दी।
सिक्का बना हत्या का कारण
इस मामले की जांच के लिए  पुलिस अधीक्षक मंडला ने एसआईटी गठित की जिसमें बम्हनी टीआई जीएस मर्सकोल, अंजनिया चौकी प्रभारी सुधांशु तिवारी और हिरदेनगर चौकी प्रभारी आरएस चौहान कोशामिल किया गया।  इस जांंच के संदिग्ध आरोपियों ने पुलिस को 50 हजार रूपए लेकर मामले की जांच दबाने के लिए भी पेशकश की थी जिसके  रिकार्डिग तक पुलिस के पास मौजूद है। संदिग्ध लगातार फरार  थे।
गिरफ्तारी के पहले खुदकुशी
पुलिस संदिग्धों को दो तीन बार थाने में बुलाकर पूछताछ कर चुकी थी। पुलिस चाहती थी कि बंदरछाप सिक्का बरामद हो जाए  तो हत्याकांड की कहानी का खुलासा हो जाए लेकिन सिक्सा पुलिस के हाथ न आग कर एक और मौत का कारण बन गया। पुलिस के बदवाव के चलते  पिछले दिनों दोनो भाई ने कीटनाशक पी लिया। इसके बाद एक भाई विजय ने तो फांसी लगा कर खुदकुशी कर ली।
 बंदरछाप मामले की जांच बंद हो
बंदरछाप सिक्का बरामद करने पुलिस की कड़ी पूछताछ के कारण एक भाई के फांसी लगा लिए जाने से ग्रामीणों में रोष व्याप्त हो गया। उन्होंने तीन सूत्री ज्ञापन भी पुलिस को सौंपा जिसमें बंदरछाप सिक्का और मर्डर की जांच बंद करने तथा दोषी पुलिस कर्मियों पर कार्रवाई  की मांग की गई, जिसपर पुलिस ने थाना प्रभारी तथा दो चौकी प्रभारियों को लाइन अटैच कर दिया है।
वर्जन
कामता की मौत की जांच पड़ताल में हत्या का कारण बंदरछाप सिक्का सामने आ रहा था। एसआईटी के अधिकारियों को लाइन अटैच करने का उदद्ेश्य मामले की जांच में किसी तरह का संदेह न रहे। इस हत्याकांड की जांच नई टीम करेगी।
एपी सिंह
एसपी मंडला

No comments:

Post a Comment