अगस्त.2016 ..एक के नेत्रदान से दो को मिलती है रौशनी
* मध्य प्रदेश के एक मात्र निजी आईबैक है ,दादा वीरेन्द्रपुरी जी महाराज नेत्र बैंक
नगर के प्रतिष्ठित नेत्ररोग विशेषज्ञ डॉ. पवन स्थापक के प्रयासों से सन 1992 में नगर में पहली बार निजी आई बैंक दादा वीरेन्द्रपुरी महाराज नेत्र बैंक की स्थापना की, जहां निशुल्क आई ट्रांसप्लांट किया जा रहा है। अब तक एक सैकड़ा से अधिक लोगों का अंधकार मय जीवन उजाले से जगमगाने लगा है। दृष्टिबाधित व्यक्ति को एक ही आई लगाई जाती है। डोनेट करने से बाले की दो कॉर्निया मिलती है जिससे दो व्यक्तियों को रौशनी मिलती है।
पिछले कई सालों से नेत्रदान करने वाले व्यक्ति के परिवार की सूचना पर आईबैंक से डॉक्टर अपने सभी कार्य छोड़कर संबंधित व्यक्ति के घर समय पर पहुंच कर कार्निया कलेक्ट करते है। इसके बाद 72 घंटे के भीतर ग्राहता को आई लगाई जाती है। यह पूरा कार्य निशुल्क चल रहा है।
40 लोगों की वेटिंग लिस्ट
दादा वीरेन्द्रपुरी आई बैंक में वर्तमान में आई ग्राहताओं की वेटिंग लिस्ट 40 है। यहां जबलपुर ही नहीं प्रदेश के अन्य जिलों के लोग भी वेटिंग लिस्ट में है। आई मिलने के बाद 72 घंटों के भीतर बाहर से लोगों के पहुंचने में यदि विलम्ब होता है अथवा किसी कारण से संबंधित व्यक्ति का आॅपरेशन नहीं हो पाने की स्थिति बनती है तब आई बैंक दूसरे नम्बर के व्यक्ति को आमंत्रित करता है।
रजिस्ट्रेशन होेते है डोनरों के
जन ज्योति आई हॉस्पिटल में दानदाताओं से डोनेशने फार्म भरवाए जाते है तथा उनकी मृत्यु 24 घंटे के भीतर कार्निया आॅपरेशन कर निकाली जाती हे। इसके अतिरिक्त नगर की समाजसेवा संस्थाएं जिला अंधत्व निवारण समिति, गुडमार्निंग क्लब,रोशनी नेत्र समिति तथा विभिन्न संस्थाएं भी आई डोनरे के फार्म जमा करते है। यूं तो डोनरों के शपथ पत्र हजारों की संख्या में बैंक पर मौजूद है लेकिन असल में दान परिजन की जागरूकता से संभव है।
समय पर सूचना मिलना चाहिए
आई डोनेट करने वाले व्यक्ति के साथ उसके परिवार की जागरूकता बेहद जरूरी है। दरअसल संबंधित दाता के निधन होने के बाद परिवार शोक में डूब जाता है और ऐसे समय पर अस्पताल को आई ले जाने सूचना भी नहंी दी जाती है। बहरहाल इस आईबैंक को प्रतिमाह लगभग 3-4 कॉर्निया प्राप्त हो जाते है लेकिन कई बार महीनों कार्निया आंख उपलब्ध नहीं हो पाते है। ।
ऐसी जागरूकता की जरूरत
महाकोशल चेंबर आॅफ कामर्स के अध्यक्ष रवि गुप्ता के परिवार की तरह जागरूकता की जरूरत है। उद्योगपति रविगुप्ता की माता अनारो देवी की इच्छा थी कि उनके मृत्यु उपरांत उनकी आंख किसी और को लगाई जाए। उनकी मृत्यु के बाद उनकी इच्छा का ध्यान श्री गुप्ता ने रखा और उनके सूचना पर अनारो देवी के नेत्र जनज्योति सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल लाया गया। बाद में कार्निया का प्रत्यारोपण किया गया। 71 साल के बुजुर्ग जिनकी आंख में संक्रमण के कारण पुतली सफेद हो गई थी। इससे उनको दिखना बंद हो गया था। उसको एक कार्निया ट्रांसप्लांट की गई जबकि एक एक महिला की आंख में चोट लगने से उसे दिखाई देना बंद हो गया था। उसका भी कार्निया प्रत्योरोपण नेत्ररोग विशेषज्ञ डॉ. पवन स्थापक ने किया। नेत्र प्रत्यारोपण के लिए जटिल माइक्रो स्कोपिया शल्य क्रिया की गई।
* मध्य प्रदेश के एक मात्र निजी आईबैक है ,दादा वीरेन्द्रपुरी जी महाराज नेत्र बैंक
नगर के प्रतिष्ठित नेत्ररोग विशेषज्ञ डॉ. पवन स्थापक के प्रयासों से सन 1992 में नगर में पहली बार निजी आई बैंक दादा वीरेन्द्रपुरी महाराज नेत्र बैंक की स्थापना की, जहां निशुल्क आई ट्रांसप्लांट किया जा रहा है। अब तक एक सैकड़ा से अधिक लोगों का अंधकार मय जीवन उजाले से जगमगाने लगा है। दृष्टिबाधित व्यक्ति को एक ही आई लगाई जाती है। डोनेट करने से बाले की दो कॉर्निया मिलती है जिससे दो व्यक्तियों को रौशनी मिलती है।
पिछले कई सालों से नेत्रदान करने वाले व्यक्ति के परिवार की सूचना पर आईबैंक से डॉक्टर अपने सभी कार्य छोड़कर संबंधित व्यक्ति के घर समय पर पहुंच कर कार्निया कलेक्ट करते है। इसके बाद 72 घंटे के भीतर ग्राहता को आई लगाई जाती है। यह पूरा कार्य निशुल्क चल रहा है।
40 लोगों की वेटिंग लिस्ट
दादा वीरेन्द्रपुरी आई बैंक में वर्तमान में आई ग्राहताओं की वेटिंग लिस्ट 40 है। यहां जबलपुर ही नहीं प्रदेश के अन्य जिलों के लोग भी वेटिंग लिस्ट में है। आई मिलने के बाद 72 घंटों के भीतर बाहर से लोगों के पहुंचने में यदि विलम्ब होता है अथवा किसी कारण से संबंधित व्यक्ति का आॅपरेशन नहीं हो पाने की स्थिति बनती है तब आई बैंक दूसरे नम्बर के व्यक्ति को आमंत्रित करता है।
रजिस्ट्रेशन होेते है डोनरों के
जन ज्योति आई हॉस्पिटल में दानदाताओं से डोनेशने फार्म भरवाए जाते है तथा उनकी मृत्यु 24 घंटे के भीतर कार्निया आॅपरेशन कर निकाली जाती हे। इसके अतिरिक्त नगर की समाजसेवा संस्थाएं जिला अंधत्व निवारण समिति, गुडमार्निंग क्लब,रोशनी नेत्र समिति तथा विभिन्न संस्थाएं भी आई डोनरे के फार्म जमा करते है। यूं तो डोनरों के शपथ पत्र हजारों की संख्या में बैंक पर मौजूद है लेकिन असल में दान परिजन की जागरूकता से संभव है।
समय पर सूचना मिलना चाहिए
आई डोनेट करने वाले व्यक्ति के साथ उसके परिवार की जागरूकता बेहद जरूरी है। दरअसल संबंधित दाता के निधन होने के बाद परिवार शोक में डूब जाता है और ऐसे समय पर अस्पताल को आई ले जाने सूचना भी नहंी दी जाती है। बहरहाल इस आईबैंक को प्रतिमाह लगभग 3-4 कॉर्निया प्राप्त हो जाते है लेकिन कई बार महीनों कार्निया आंख उपलब्ध नहीं हो पाते है। ।
ऐसी जागरूकता की जरूरत
महाकोशल चेंबर आॅफ कामर्स के अध्यक्ष रवि गुप्ता के परिवार की तरह जागरूकता की जरूरत है। उद्योगपति रविगुप्ता की माता अनारो देवी की इच्छा थी कि उनके मृत्यु उपरांत उनकी आंख किसी और को लगाई जाए। उनकी मृत्यु के बाद उनकी इच्छा का ध्यान श्री गुप्ता ने रखा और उनके सूचना पर अनारो देवी के नेत्र जनज्योति सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल लाया गया। बाद में कार्निया का प्रत्यारोपण किया गया। 71 साल के बुजुर्ग जिनकी आंख में संक्रमण के कारण पुतली सफेद हो गई थी। इससे उनको दिखना बंद हो गया था। उसको एक कार्निया ट्रांसप्लांट की गई जबकि एक एक महिला की आंख में चोट लगने से उसे दिखाई देना बंद हो गया था। उसका भी कार्निया प्रत्योरोपण नेत्ररोग विशेषज्ञ डॉ. पवन स्थापक ने किया। नेत्र प्रत्यारोपण के लिए जटिल माइक्रो स्कोपिया शल्य क्रिया की गई।
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