Wednesday, 14 September 2016

शुगर मैन्टेन होने से बदली लाइफ क्वॉलिटी



* आटो मैटिक ग्लूकोज मॉनिटरिंग सेन्सर का इस्तेमाल से कइयों को फायदा
   * थाइराइडट के मरीज को शुगर का खतरा : डॉ. विशाल कस्तवार

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नगर के प्रसिद्ध चिकित्सक डॉक्टर विजय कस्तवार के पास किडनी खराब होने के कारण आरके  सिंह (काल्पनिक नाम ) मरीज नियमित तौर से इलाज के लिए आते हैं  ,उन्हें सप्ताह में दो दिन डायलिसिस में रखा जाता है। इस मरीज को हफ्ते में जहां दो दिन डायलिसिस में गुजारने पड़ते थे, वही मरीज की शुगर हर आधा घंटे में कभी भी हाई और लो हुआ करती थी। मरीज का पूरा जीवन नरक हो गया था लेकिन एक छोटे के प्रयास से उसके लाइफ  क्वॉलिटी में सुधार आ गया।
इस संबंध में डॉ.विजय कस्तवार ने बताया कि मरीज की शुगर क्यों कम और ज्यादा होती है, उसकी शुगर कब और क्या खाने पर प्रभावित होती है और कब- कब उसकी शुगर की स्थिति क्या होती है।
मरीज के रक्त में शुगर की मात्रा किसअवधि में  क्या होती है उसके हिसाब से उसको दवाई और डाइड तय करने के लिए मरीज को मात्र दो हजार रूपए कीमत का ग्लूकोज मॉनिटरिंग सेंसर दिया। इससे हर 15 मिनट में रक्त में शुगर का लेबल चैक किया गया। उसके 15 दिन के शुगर के डॉटा का अध्ययन करने पर कई चौकाने वाली जानकारी सामने आई। मरीज को जब भी डायलिसिस पर लाया जाता था तब उसकी शुगर का स्तर घटकर 35-40 एमएल तक पहुंच जाता था। मरीज को लो शुगर 35 तक उतरती थी जबकि हाई होने पर 400 पहुंच जाती थी।


15 साल से थी शुगर
मरीज को पिछले 15 साल से शुगर थी जिसके कारण उसकी किडनी खराब हो गई थी। शुगर नियंत्रित होना बेहद कठिन हो गया था तथा दवाइयां एवं इंसुलिन भी तय नहीं हो पा रही थी। पता चला कि मरीज की शुगर तड़के 5-6 बजे बेहद नीचे पहुंच जाती थी। उसको सुबह उठकर 6 बजे ब्रेकफास्ट करने कहा गया। इसके साथ ही दोपहर को जब शुगर हाई होती थी तब कम भोजन दिया गया । शरीर के शुगर लेबल के हिसाब से भोजन सारणी तय की गई। वहंी जिल दिन डायलिसिस देना होता था तब उस दिन दवाई नहंी दी जाती थी। इससे मरीज का शुगर काफी हद तक नियंत्रित हो गई। इन्सुलिन की जगह उसको दवाइयों दी जाने लगी। इस छोटे से प्रयोग और अध्ययन से मरीज की लाइफ क्वॉलिटी में सुधार आया है।
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थायराइट बन रहा शुगर का कारण
डॉ. कस्तवार  का कहना है कि थायराइड के मरीज को शुगर होने का बना होता है। इसी तरह डायबिटीज के मरीज को थायराइड का खतरा बना रहा है। दुनिया में करीब 13 प्रतिशत शुगर पेसेंट को थायराइड की समस्या होती है। इस संबंध में पीपुल्स संवाददाता से हुई चर्चा के अंश
* - थायराइड की बीमारी अब ज्यादा होने लगी है ,क्या पहले नहंी हुआ करती थी?
**- थायराइड की समस्या पहले भी थी लेकिन इसका प्रतिशत कम था लेकिन अब यह बीमारी आम होती जा रही है। अमूमन पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को आयोडीन की कमी के कारण थायराइड ग्रंथी विकृत हो जाती थी जिसे हाइराइड बढ़ने अथवा घटने की बीमारी होती थी।
* थायराइड की समस्या बढ़ने के मुख्य कारण क्या है?
** दरअसल  थायराइड वंशानुगत हो सकता है लेकिन अध्यन से स्पष्ट हुआ है वायरल इंफैक्शन तथा अन्य बीमारी थायराइड होने का मुख्य कारण बन रहा है। दुनिया भर में लोगों के संपर्क बढ़ने से नए नए वायरस सामने आ रहे है। वायरल इंफैक्शन तेजी से फैल रहे है। इनसे लड़ने के लिए शरीर एंटी बॉयटिक्स बनाता है अथवा हम स्वयं एंटी बॉयटिक्स लेते है। ये एंटीबॉडिज यानी रोगाणु को नष्ट करते है लेकिन कुछ किस्म के एंटीबॉडिज ऐसे भी होते है जो हमारे मानव अंग के सेल्स की तरह होते है और वे उन पर भी अटैक कर उनकी क्षमता को कमजोर कर देता है।
* कौन सी बीमारी ऐसी है जो जिसके साइड इफैक्ट के रूप में थायराइड होता है।
** मुख्यत: वायरल फीवर होता है जिसके वायरस भी थायराइड की तरह होते है और इससे थायराइड पर प्रतिकूल प्रभव पड़ता है।
* थायराइड से शुगर क्यो होती है।
* * यह देखा गया है कि थायराइड की अधिकता एवं कमी के कारण इन्सुलिन तथा पेनक्रियाज पर विपरीत असर करता है जिसके कारण शुगर की बीमारी हो जाती है। इसी तरह इंसुलिन की अधिकता एवं कमी से टायराइड ग्रंथी भी प्रभावित होती है।
* थायराइड किस तरह के होते है और उससे बचाव के क्या उपाय हैं।
* अमूमन हाइपोथायराइड  तथा हायपरथाइराड  होता है। हाइपोथायराइ से मोटापा, बाल झड़ना, आलस,त्वचा में रूखा पन होता है। हायपर थाइराड में थायराइड ग्रंथी बढ़ने से थायराइड हार्मोंस की अधिकता के कारण दिल की धड़कने बढ़ना,घबराहट, अत्यधिक पशीना आना होता है। इससे हृदयरोग का खतरा बढ़ जाता है। ये बीमारियां महिलाओं को अधिक होती है। थायराइड की जांच कराने के उपरांत डॉक्टर की सलाह से नियमित दवाइयां खाने से नियंत्रित रहता है। बाजार में नेचुरल हॉमोंस की दवाइयां उपलब्ध है।

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