Wednesday, 21 September 2016

एक्सरे मशीन बांट रही कैंसर



 चिकित्सालयों में धड़ल्ले से उपयोग
 * पुरानी एक्सपायरी मशीनों का भी उपयोग
जबलपुर। एईआरबी के मापदंड को बिना पूरे करे निजी अस्पतालों एवं एक्सरे एवं सीटी स्केन क्लीनिकों में मशीने धड़ल्ले से रेडियेशन फैला रही है। पोर्टेबल एक्सरे मशीन तो बिन मांगे मरीजों को कैंसर का प्रसाद बांट रही है। अस्पतालों में एक्सपायरी डेट की अथवा पुरानी और बिगड़ी  पोर्टेबल मशीन को उपयोग हो रहा है।

 मध्य प्रदेश में हजारों की संख्या में एक्सरे मशीनें अस्पतालों में मौजूद है लेकिन इसमें से आधी भी एईआरबी द्वारा पंजीकृत नहंी है। एक्सरे मशीन उपलब्ध कराने वाली कंपनियां सांठगांठ कर अस्पतालों में लगातार मशीनें भरती जा रही है।
वापस लेने में  रूचि नहीं
सूत्रों की माने तो अस्पतालों में बिगड़ी और पुरानी एक्सरे मशीनें वापस लेने संबंधित कंपनी रूचि नहीं दिखाती है। दरअसल पुरानी कई कंपनियां तो अपना करोबार बंद कर चुकी है और एक्सरे मशीन अस्पताल के कबाड़ खाने से रेडियेश लगातार फेंक रही है। अलबत्ता अस्पतालों में अन्य इलेक्ट्रानिक्स उपकरण जरूर कंपनियां वापस ले रही है।
कैंसर का खतरा
 जानकारी के अनुसार एक्सरे तकनीशियन को को कितना रेडियेशन मिल चुका है। इसका हिसाब किताब नहीं रखा जाता है। दरअसल अन टैक् नीकल लोग को भी एक्सरे रूम में रखा जाता है। एक्सरे करने के दौरान तकनीशियन के लिए लेड एप्रेन होना चाहिए लेकिन इसका भी इस्तेमाल नहंी किया जाता है। यदि लेड एप्रेन है तो भी की अधिकता और जल्द से जल्द एक्सरे कर दूसरे मरीज को बुलाने की होड के कारण सावधानियों की अनदेखी कर्मचारी भी कर  रहे है।
कैसे होती है जांच
अस्पताल और क्लीनिक में होने वाले  रेडिएशन की जांच के लिए रेडिएशन मॉनीटर होना चािहए लेकिन अधिकांश क्लीनिक में ये उपकरण मौजूद नहंी होता है। उल्लेखनीय है कि खासतौर पर जिन अस्पतालों में कोबाल्ट मशीनें है वहां हर कर्मचारी के रेडियेशन का रिकार्ड  होना चाहिए। इन मशीनों की हर छह माह में सर्विसिंग होना चाहिए। लेकिन सर्विसिंग करने वाले इंजीनियरों के न पहुंचने के कारण सालों सर्विसिंग नहंी होती है और ये मशीन कितना रेडियेशन फैला रही है ,इसकी परख भी नहीं होती है।
एईआर बी में दर्ज नहंी
एक्सरे और  सीटी स्कैन मशाीन के लिए  परमाणु ऊर्जा नियामक परिषद (एईआरबी) के तहत पंजीकृत हैं। उनके मापदण्डों के अनुरूप क्लीनिक होना चाहिए। एक्सरे एवं सीट स्कैन मशीन जिस रूम में होना चाहिए उसकी दीवारें लेड कोडेड होना चाएिह जिससे विकिरण बाहर न जाए। किन्तु 35 प्रतिशत मशीने भी न तो पंजीकृत है ओर न ही मशीनों के लिए मापदंड के अनुरूप रूम बने है। यहां तक की जहां जगह मिलती है, वहंी यूनिट खुल जाती है।
 हाईकोर्ट के आदेश है
मालूम हो कि एक्सरे मशीन, कोबाल्ट मशीन, सीटी स्कैन मशीन आदि से आम आदमी की सुरक्षा के मद्देनजर दिल्ली हाईकोर्ट में एक फैसला भी दिया है जिसके तहत सभी राज्यों को भी विकिरण सुरक्षा प्राधिकरण गठित करने को कहा गया था लेकिन आज दिनांक तक ऐसा कोई प्राधिकरण नही बनाया है, अलबत्ता 4 जी मोबाइल टावर अलग से रेडियेशन तेजी से फैलाने लगे है। शहरों में बढ़ती ई वेस्ट कचरे से रेडियेशन का खतरा ओर बढ़ा हुआ है। फोरटेबल एक्सरे मशीने ऐसी आ गई है कि चिकित्सक अस्पताल के किसी भी कोई में सहजता से छिपा कर रख सकता है।
वर्जन
 एक्सरे क्लीनिक तथा सीटी स्कैन क्लीनिक द्वारा अपने कर्मचारियों के साथ ही आम आदमी के जीवन से भी खिलवाड़ किया जा रहा है। निर्धारित मापदण्ड का खुला उल्लंघन हो रहा है। सबसे बड़ी बात यह है कि इस मामले में सरकार एवं स्वास्थ्य विभाग भी निश्चिंत है। कैंसर के मामलों में हर साल बढ़ौतरी हो रही है।
पीजी नाजपांडे
 नगारिक उपभोक्ता मंच जबलपुर

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