* जलवायु परिवर्तन और रोग प्रतिरोधन क्षमता
को ध्यान कर किए गए इजाद
जबलपुर। मध्य प्रदेश के कृषि वैज्ञानिकों ने आठ फसलों के 11 नए बीज ईजाद किए है जिसको शासन ने मंजूरी प्रदान कर दी है और अब किसानों को नए किस्म के बीज मिलने लगेंगे। इन बीजों में बीमारियों से लड़ने की क्षमता होगी तथा जलवायु परिवर्तन के हिसाब से कम पानी और कम दिनों में फसल देंगे। इसके साथ ही नई किस्मों में उपज का भी इजाफा होने का दवा कृषि वैज्ञानिक कर रहे है।
उल्लेखनीय है कि कृषि विश्व विद्यालय में नए बीज को लेकर लम्बे समय से अनुसंधान का कार्य चल रहा था। जिसमें वैज्ञानिकों को बड़ी सफलता तब मिली जबकि शासन ने इस बीजों को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
जानकारी के अनुसार जल्द ही किसानों को धान की उपज के लिए 4 उन्न्तत बीज मिलेंगे। इसमें सबसे बड़ी बात यह है कि ये बीज देशी नक्सल से तौर किए है। इसमें चिन्नौत को और अधिक विकसित किया गया। इसी तरह बालाघाट का विश्व प्रसिद्ध जीरा शंकर को भी उन्नत वैराइटी तैयार की गई। जवाहर 81 तथा जवाहर 767 पहली बार जल्द ही किसानों को उलब्ध होंगे। ये सभी उपज सुगंधित धान के होंगे।
देशी प्रजाति पर जोर
कृषि वैज्ञानिकों ने ऋतु परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए लाखों सालों से चले आ रहे देशी दलहन पर विशेष घ्यान दिया। देशी चना की प्रजाति जवाहर 36, जवाहर जई-5, जवाहर राजमंूग-2, रामतिल जेएनएस-30, जवाहर अलसी-79, विकसित की गई। इसी तरह आदिवासियों की विशेष उपज कुटकी की भी एक किस्म आई है जो ं जवाहर कुटकी-4 है। गन्ना की भी किस्म ओजेएन 95-05 को मंजूरी मिली है।
वर्जन
विश्व विद्यालय में नई किस्मों को ईजाद करने का कार्य सतत चल रहा है। हाल ही में प्रदेश शासन ने जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्व विद्यालय के 11 किस्म के बीजों को स्वीकृ ति प्रदान की है।
डॉ. विजय सिंह तोमर, कुलपति जेएनकेवीवी
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