* बीमारी नहीं पहचान पाने के कारण
पहुंच गया था मरीज मरणासन्न हालत में
रीवा से 45 वर्षीय राजेन्द्र सिंह (काल्पनिक नाम) को किडनी रोग विशेषज्ञ डॉ अश्वनी पाठक के पास ा इलाज के लिए लाया गया था तब उसके शरीर के प्रमुख पांच अंग लगभग फेल हो चुके थे। उसकी दोनों किडनियों ने काम करना बंद कर दिया था। गुर्दे के साथ लीवर खराब हो गया था। फेफड़ों में पानी भर चुका था। मतिष्क में संक्रमण फैल गया था । शरीर चेतना शून्य अवस्था में पहुंच गया था। मरीज जिंदा लाश की तरह था और उसके बचने की संभावना 0.1 प्रतिशत भर बची थी।
इस मरीज के उपचार को लेकर डॉ. अश्वनी पाठक ने अपने अनुभव बताए कि दरअसल मरीज को क्या बीमारी हुई थी जिसके कारण शरीर के सभी अंग बेकार हो गए थे ? यह समय पर पता नहीं किया गया था जिसके कारण उसकी यह हालत हुई। मरीज को जीवित रखना पहली प्राथमिकता थी , इसके बाद उसकी बीमारी के कारण लगाकर उपचार शुरू करना था। मरीज को लाइफ सपोर्टिंग सिस्टम पर रखा गया। मरीज वेंटिलेटर में कई दिन रखा। इसके साथ ही इसकी लायलिसिस पर रखा गया। मरीज का लाइफ सपोर्ट सिस्टम में रखते हुए विभिन्न बीमारियों की दवाइयां देना शुरू की गई।
ल्सूपस बीमारी से पीड़ित
मरीज दरअसल ल्यूपस बीमारी से पीड़ित था। यह बीमारी इम्यून सिस्टम को कमजोर करने वाली होती है और इसके होने का कोई ठोस कारण सामने नहंी आता है। अमूममन यह मान लिया जाता है कि अनुवांशिक कारण से बीमारी होती है। मरीज का केयर करने के साथ उसके इम्यून सिस्टम को बढ़ाने दवाइयां दी गई। धीरे धीरे मरीज के स्वास्थ्य में सुधार आने लगा। करीब एक माह इलाज के चलते उसकी दोनों किडनी अपनी पुरानी अवस्था में आ गई। उसका लीवर एवं फेफडे काम करने लगे। मतिष्क सहित शरीर के अन्य अंग भी रोग रहित हो गए तो वह पूर्ण स्वस्थ्य हो गया।
लाइफ टाइम केयर की जरूरत
मरीज को बताया गया कि उसे आॅटो-इम्यून इंफ्लेमेटरी डिसीज हुई थी। भविष्य में कभी बीमारी के लक्षण नजर आए तो संबंधित डॉक्टर को अपनी रिपोर्ट एवं बीमारी की जानकारी देकर सही इलाज लेते रहे।
क्या है बीमारी
डॉ पाठक ने बताया कि हमारे शरीर में मौजूद रोग-प्रतिरोधक तंत्र, भ्रमित होकर शरीर के ही नाजुक अंगों पर हमला कर देता है। हय हमला कभी एक विशेष अंग के उत्तक पर होता है और कभी कभी कई अंगों पर एक के बाद एक हमला होता है। मरीज की ें आंखों में रक्त स्त्राव, किडनी में सूजन खराबी, लीवर में प्रभाव, त्वचा का फटना रक्त बहना, आदि प्रारंभिक लक्षण होते है। शरीर में भीषण दर्द होता है। इसका सही समय पर इलाज नहीं किया जाए तो शरीर के जोड़ों के साथ ही त्वचा, किडनी, रक्त कोशिकाओं, दिमाग, हृदय और फेफड़ों तक पर घातक प्रभाव पड़ता है। अमूमन प्रारंभिक लक्षण के दौरान असल बीमारी का पता नहीं चल पाता है लेकिन इसके लिए टेस्ट होता है और टेस्ट से बीमारी की पहचान हो जाती है। बीमारी की रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए उपचार की व्यवस्था है।
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