Wednesday, 14 September 2016

खाकीवाले काम के बोझ के मारे


स्वास्थऔर काम के  प्रेशर ने किया परेशान

जबलपुर,डेस्क। पुलिस की लापरवाही बरतने पर चहुंओर से उनपर बिजली कौंध पड़ती है, लेकिन जब इन खाकी वालों के स्वास्य का पाया कमजोर पड़ने लगे तो दोष इनकार भी नहीं होता। डिप्रेशन... हाईब्लडप्रेशर... अनिद्रा... सांस फूलना तथा घुटनों पर भारी बोझ के चलते जबलपुर जोन के कई पुलिसकर्मियों में तेजी से इन बीमारियों के लक्षण बढ़ रहे है। जिसे साफ तौर पर देखा जा सकता है। मगर काम के बोझ, राजनैतिक दबाव और उच्च अधिकारियों के प्रेशर के मारे ये बेचारे इंटरपोल की माफिक चुस्त-दुरुस्त दिखें और अपराधियों पर खौफ गालिब हो इसके लिए कोई बढ़िया पहल ऐन वक्त का तकाजा है।
दबाव में करते हैं कार्य-
पुलिस विभाग में कार्यरत लगभग सभी पुलिस वाले एक छोटे ओहदे के सिपाही से लेकर एएसआई, एसआई और टीआई स्तर तक के अधिकारी तो हमेशा ही उच्च अधिकारियों के प्रेशर में काम करने को मजबूर है। यह सिर्फ जबलपुर जिले की ही बात नहीं है, बल्कि जोन के नरसिंहपुर, कटनी, सिवनी, छिंदवाड़ा सहित यह स्थिति पूरे पुलिस महकमे की है। कटनी में पदस्थ एक पुलिसकर्मी का तो यहां तक कहना है कि उनके उपर काम का इतना बोझ इतना ’यादा लाद दिया जाता है कि उसके प्रेशर के कारण कई बार उनके मन में आत्महत्या तक करने का विचार आ जाता है। लेकिन परिवार का मुंह देखते हुए अपने-आपको रोक लेते हैं।
दिनचर्या ने बनाया रोगी-
पुलिस विभाग में ऐसे कई अधिकारी और कर्मचारी हैं जो इस विभाग में आने के पूर्व बिलकुल फिटफाट थे। लेकिन यहां आकर उनका मजबूत बदन रोगी बन गया। किसी की तोंद निकल आई तो कोई अन्य बीमारियों का शिकार बन गया। जबलपुर के एक थाने में पदस्थ एएसआई अभय सिंह (बदला हुआ नाम) का कहना है, कि उसे पुलिस की नौकरी से सैलरी के साथ दमा की बीमारी भी मिली है। जब उसने नौकरी ’वाइन की थी तब वह बिलकुल तन्दुरुस्त था। लेकिन हर समय काम का बोझ और अधिकारियों की फटकार ने उसे दमा का रोगी बना दिया। यह हालत सिर्फ अकेले अभय की नही बल्कि ऐसे कई पुलिसकर्मी हैं जो अभय की भांति कई बीमारियों से ग्रसित हो चुके हैं।
टारगेट से बढ़ा चिड़चिड़ापन -
पुलिस के जवानों को चुस्त-दुरुस्त से फिसड्डी और ढीला बनाने के पीछे कई कारण हैं। जिनमें से एक है उनको मिलने वाला वसूली का टारगेट और दूसरा अपराध बढ़ने या मुजरिम को न पकड़ पाने पर पुलिस अधिकारियों की फटकार। इन दोनों में से अगर एक काम भी सलीके से और  समय पर न हुआ तो संबंधित सिपाही से लेकर थाना प्रभारी तक को कथित तौर पर इसका खामियाजा किसी न किसी रुप में भुगतना  पड़ता है। इसी बात के डर से कई थानों में पदस्थ टीआई से लेकर सिपाही तक को भारी मानसिक तनाव से गुजरना पड़ता है। जिसके कारण उनके स्वभाव में चिड़चिड़ापन आना स्वाभाविक सी बात है।

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