Wednesday, 14 September 2016

आधे से अधिक सिर पर खून भर गया था मरीज के



* एक महीने के इलाज के बाद लौटी चेतना

डॉ.जितेन्द्र जामदार के अस्पताल गोलबाजार में एक ऐसे मरीज को इलाज के लिए लाया गया था जिसके सिर के ब्रोकाज एरिया में  गहरी चोट आई थी जिससे उसके मस्तिष्क में खून का रिसाव हुआ था। आधे से अधिक मस्तिष्क में खून भर गया था, रक्त का दबाव मस्तिष्क पर पड़ने से मरीज चेतना शून्य हो गया था। वह होश में था लेकिन कुछ सुनाई नहीं देता था, यदि सुनाई देता था तो समझ नहीं पाता था। दरअसल वह संवेदनहीनता की स्थिति में था, लेकिन एक महीने के सतत इलाज से वह सामान्य हो गया।
  डॉ. जितेन्द्र जामदार हॉस्पिटल के जेरियाड्रिक मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. सुजन मिश्रा ने बताया कि दरअसल यह केस काफी कठिन था और इसमें मरीज के सामान्य होने की संभावना न के बराबर थी लेकिन समय पर और समुचित इलाज के कारण चमत्कारिक तौर पर मरीज को आराम मिला।
डॉ. मिश्रा ने बताया कि एक निजी कॉलेज में कार्यरत अमित नामक युवक के सिर के ब्रोकाज एरिया में चोट आई थी। उसको बेहोश की हालत में अस्पताल लाया गया। इस दौरान उसके ब्रेन की स्थिति यह थी कि वह स्वयं से सांस भी नहंीं ले सकता था। ऐसी स्थिति में उसको वेंटीलेटर पर रखा गया तथा कृत्रिम सांस की बदौलत जिंदा रखा गया। सीटी स्केन से स्पष्ट हो गया था कि मतिष्क में जबदस्त रक्त रिसाव हुआ है। इसे रोकने के लिए इंजेक्शन आदि दिए गए। डॉ मिश्रा ने बताया कि मतिष्क का वह हिस्सा जहां से सचेतन क्रियाएं चलना, बोलना, सुनना तथा अचेतन क्रियाएं दिल का धड़कना और सांस लेना होता है।

वह हिस्सा चोट े से प्रभावित हुआ था। शरीर की समस्त क्रियाएं वेंटीलेटर पर निर्भ र थी। इस हिस्से मेंं आई चोट के कारण  दिमाग विचार, बोध, बोली और भावनाओं की अभिव्यक्ति शून्य हो चुका था।  क्लोज्ड हेड इंजरी के ठीक होने पर अमित सामान्य हो पाएगा इसकी भी 5 प्रतिशत संभावनाए थी।

इंट्रासेरेब्रल हेमरेज
मरीज का इंट्रासेरेब्रल हेमरेज का इलाज शुरू हुआ। कुछ दिनों में सेरेब्रल एडेमा (सूजन) ठीक हो गई। मरीज को होश आ गया लेकिन ऐसा समझ में आया कि वह न तो अपने शरीर में स्वत: से कोई हरकत नहीं कर पा रहा है। अपने हाथ की अंगुली भी नहीं उठा पा रहा था। सिर्फ सांस भर स्वत: से लेने लगा था। यानी उसकी अचेतन मस्तिष्क कार्य करने लगा था। लेकिन बोलने , समझने की क्रियाएं शिथिल थी। संभवत: उसे दिखाई एवं सुनाई देता था लेकिन अभिव्यक्ति नहीं कर पा रहा था। वह सेरिब्रोबास्कुलर सिंड्रोम से पीड़ित था।
धैर्य के साथ चला इलाज
मरीक का पूरी धैर्य के साथ चला इलाज चला। डॉ मिश्रा के मुताबिक एक दिन उन्होंने मरीज की ओर देखकर कहा कि खाना स्वादिष्ट नहंीं रहता है, इसलिए ये खा नहीं रहा है , इस पर  उसने भोंह को हिलाते हुए मुस्काने की कोशिश की। यह संकेत बेहद आशान्वित करने वाले थे। ऐसा प्रतीत हुआ मरीज की समझने की शक्ति लौट रही है। मरीजो का लगातार फिजियो  थैरेपी दी गई। मरीज की अंगुलिया चलने लगी थी। वह पियानो बजाया करता था। उसको पियानो दिया गया तो वह बजाने लगा। उससे जाहिर हो गया कि उसकी स्मृति का काफी हिस्सा बचा हुआ है। फिजियोथैरेपी और इलाज के चलते बाद में मरीज बोलने, सुनने लगा तथा अब सामान्य जीवन जी रहा है।
 ये  सावधानी बरते
 डॉ मिश्रा ने बताया कि  सिर पर गंभीर चोट आने पर मरीज को हर हालत में तीन घंटे के भीतर उच्च स्तरीय अस्पताल में पहुंचाया जाना बेहद आवश्यक है। इससे मरीज को होने वाले घातक असर को कम किया जा कसता है और उसकी जान बचाई जा सकती है।

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