प्रदेश में अब 13 बड़े बांध नहीं बनेंगे
* बांध परियोजना के बजाए लिफ्टिंग होगा होगा पानी
* भूमिगत जल धाराओं पर कॉर्पोरेट की गिद्धनजर
जबलपुर। नर्मदा नदी मध्य प्रदेश की जीवन रेखा कही जाती रही है लेकिन अब इससे कहीं अधिक यह भी साबिह हो गया है मध्य प्रदेश के विभिन्न इलाकों की जीवन रेखा की भी जीवन दायी बन गई है। उज्जैन में सिंहस्थ में नर्मदा का जो कंचन जल मिला, और क्षिप्रा को नर्मदा का पानी मिला है लेकिन इसके बावजूद नर्मदा के पानी के दोहन के लिए बनने वाले 13 बड़े बांधों को बनाने का निर्णय बदला जा रहा है। बड़े बांध न बनाने के साथ ही अब नहरों का जाल भी प्रदेश में फैलाने का इरादा सरकार का नहीं है किन्तु नर्मदा के जल लिफ्टिंग के लिए बड़े बड़े पम्प हाउस तथा नहरों की जगह पाइप लाइन डालने की कार्ययोजना नर्मदाघाटी विकास विभाग कर रहा है।
उल्लेखनीय है कि क्षिप्रा नदी में जिस तरह से नर्मदा नदी का जल पहुंचाया गया है। इसके बाद से प्रदेश की अन्य नदियों तक नर्मदा नदी का जल पहुचाने की दिशा में तेजी से विचार चल रहा है। सब कुछ ठीक रहा तो नर्मदा नदी के पानी से प्रदेश की अन्य छोटी नदियों तक पानी पहुंचेगा तथा इन नदियों में छोटो छोटे स्टॉप डेम ओर पम्म हाउस की बदौलत पानी पाइप लाइनों से नहरों तक पहुंचेगा।
भूमि अधिग्रहण कानून
केन्द्र शासन द्वारा लाए गए भूमि अधिग्रहण कानून के बाद से नर्मदा घाटी विकास विभाग को अपने प्रोजेक्टों की समीक्षा करनी पड़ी। करीब 13 ऐसे बड़े बांध जिसमें सरकार को बड़ी मात्रा में भूमि अधिग्रहण करना पड़ेगा जबकि उससे काफी कम रकवे में सिंचाई होगी। भूमि अधिग्रहण कानून को लेकर जहां अब किसानों को उनकी जमीन के बदले जमीन अथवा उनकी जमीन का तीन गुना कीमत सरकार को देनी पड़ेगी। इसके चलते योजनाओं की कीमत चार से पांच गुना बढ़ रही है। सरकार के पास विस्थापितों होेने वालों को देने के लिए जमीन का टोटा है।
नहर का जाल भी समस्या
इन बांधों का पानी किसानों के खेत तथा लोगों तक पहुंच सके इसके लिए नहरों का जाल तैयार करना भी एक समस्या है। नहरों के साथ नहरों के किनारे की जमीन भी खराब होती है। सरकार को नहरों के लिए जमीन अधिगृहण करना पड़ता है जिससे अब नहरों की लागत भी कई गुना बढ़ना तय हो गया। वहीं आने वाले 20 वर्ष में पानी की डिमांड भी दोगुनी के करीब पहुंचेगी। ऐसे में नहरों की जगह पाइप लाइन डालने का विकल्प खोजा गया है जिससे जमीन और पानी दोनों की बर्बादी बचेगी।
हाईकोर्ट में चल रहे मामले
नर्मदा विस्थापित संघ तथा अन्य संस्थाओं ने दर्जनों प्रकरण बरगी बांध, इंदिरा सागर और सरदार सरोवर को लेकर हाईकोर्ट में लगा रखे है। विस्थापितों के मुआवजा के मामले अब भी उलझे पड़े है और सरकार भी भू अधिग्रहण कानून के चलते अब नर्मदा नदी और उसकी सहायक नदियों में बनने वाले बांधों में करीब 13 प्रोजेक्ट का रद्द करने जा रही है।
यहां नहीं बनेंगे कोई बांध
मंडला जिला में प्रस्तावित 4 बांध, जबलपुर में अटारिया बांध , नरसिंहपुर में शक्कर नदी पर बांध, होशंगाबाद में तीन बांध अब नहीं बनेंगे। उल्लेखनीय है कि उक्त क्षेत्रों में जहां शानदार जंगल और उपजाऊ जमीन बांध के कारण बर्बाद जा रही थी।
पम्प हाउस बनेंगे
नर्मदा और उसकी सहायक नदियों में कुण्ड तथा स्टॉप डेम आदि के माध्यम से पानी पंपिंग कर उसको पाइप लाइन के द्वारा अब किसानों के खेतों तथा दूर दराज में पहुंचाने पर कार्य योजना तैयार की जा रही है। बांध से कहीं अधिक मात्रा में पानी लिफ्ट किया जाएगा किन्तु इस योजना में मुख्य समस्या गर्मियों के सीजन में नदी में पानी कम होने पर आएगी लेकिन इसके लिए पानी स्टोर करने की योजना भी तैयार की जा रही है। सब कुछ ठीक चला तो जल्द ही प्रदेश में किसानों के खेतों तक पाइप लाइने पहुंचने लगेगी। इस योजना के तहत करीब 27 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की योजना विकसिक करना है।
बरगी से पहुंच रहा पानी
नर्मदाघाटी विकास योजना के तहत बने बरगी बांध की नहर से अब हिरण नदी में पानी पहुंचाया जा रहा है जिससे एक बहुत बड़े क्षेत्र की जीवन दायनी हिरन नदी में नर्मदा का जल इस भीषण गर्मी में हिलोरे ले रहा है और लाखों लोगों को पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित हुई है।
कटनी भी पहुंचेगा पानी
बरगी नहर पर पम्प स्टेशन बनाकर अब कटनी की पांच पहुंच नदियों तक पानी पहुंचाए जाने को लेकर एक प्रस्ताव नर्मदा घाटी विकास विभाग को सौंपा गया है। दरअसल कटनी में गर्मियों के कारण पानी की समस्या विकराल रूप ले चुकी है। उल्लेखनीय है इसके अतिरिक्त अन्य कई जिलों से नर्मदा नदी से पानी की मांग को लेकर प्रस्ताव विभाग के पास पहुंचे है। इनको पानी लिफ्टिंग योजना में शामिल करने पर विचार चल रहा है।
बाक्स
मध्य प्रदेश में औद्योगिक विकास को लेकर सरकार जहां एक तरफ तेजी से कार्य कर रही े। दूसरी तरफ उद्योग को पानी उपलब्ध कराए जाने की समस्या बनी हुई है पानी की कर्मी के कारण जहां प्रदेश में कई बड़े उद्योग बंद हो गए है। बांध परियोजनाओं पर लगभग ब्रेक लगने की स्थिति बनी हुई है। ऐसे में उद्यौगिक घरानों की नजर भूमिगत जल धाराओं पर गड़ गई है। गुगल सहित अन्य साधनों की तरह किस क्षेत्र में जमीन के नीचे कितना जल भंडारण है उसका पता लगाकर उन इलाकों में उद्यौगिक घराने जमीन खरीद है। सूत्रों का कहना है कि कटनी इलाके में नदियों की दिशाएं बदलने के बाद जिन इलाकों में जमीन के नीचे जल धाराएं बह रही है वहां उद्योगपति लगातार जमीन खरीद रहे है।
वर्जन
बांध में जमीन की बर्बादी तथा सिचाई क्षेत्र सीमित होने के कारण नर्मदा घाटी विकास के तहत एक दर्जन बांधों को न बनाने के विषय पर निर्णय लिया गया है लेकिन नदियों से पानी दोहन के लिए पानी लिफ्ट करने की योजना तैयार की जा रही है।
रजनीश वैश्य
सचिव, नर्मदा घाटी विकास विभाग
* बांध परियोजना के बजाए लिफ्टिंग होगा होगा पानी
* भूमिगत जल धाराओं पर कॉर्पोरेट की गिद्धनजर
जबलपुर। नर्मदा नदी मध्य प्रदेश की जीवन रेखा कही जाती रही है लेकिन अब इससे कहीं अधिक यह भी साबिह हो गया है मध्य प्रदेश के विभिन्न इलाकों की जीवन रेखा की भी जीवन दायी बन गई है। उज्जैन में सिंहस्थ में नर्मदा का जो कंचन जल मिला, और क्षिप्रा को नर्मदा का पानी मिला है लेकिन इसके बावजूद नर्मदा के पानी के दोहन के लिए बनने वाले 13 बड़े बांधों को बनाने का निर्णय बदला जा रहा है। बड़े बांध न बनाने के साथ ही अब नहरों का जाल भी प्रदेश में फैलाने का इरादा सरकार का नहीं है किन्तु नर्मदा के जल लिफ्टिंग के लिए बड़े बड़े पम्प हाउस तथा नहरों की जगह पाइप लाइन डालने की कार्ययोजना नर्मदाघाटी विकास विभाग कर रहा है।
उल्लेखनीय है कि क्षिप्रा नदी में जिस तरह से नर्मदा नदी का जल पहुंचाया गया है। इसके बाद से प्रदेश की अन्य नदियों तक नर्मदा नदी का जल पहुचाने की दिशा में तेजी से विचार चल रहा है। सब कुछ ठीक रहा तो नर्मदा नदी के पानी से प्रदेश की अन्य छोटी नदियों तक पानी पहुंचेगा तथा इन नदियों में छोटो छोटे स्टॉप डेम ओर पम्म हाउस की बदौलत पानी पाइप लाइनों से नहरों तक पहुंचेगा।
भूमि अधिग्रहण कानून
केन्द्र शासन द्वारा लाए गए भूमि अधिग्रहण कानून के बाद से नर्मदा घाटी विकास विभाग को अपने प्रोजेक्टों की समीक्षा करनी पड़ी। करीब 13 ऐसे बड़े बांध जिसमें सरकार को बड़ी मात्रा में भूमि अधिग्रहण करना पड़ेगा जबकि उससे काफी कम रकवे में सिंचाई होगी। भूमि अधिग्रहण कानून को लेकर जहां अब किसानों को उनकी जमीन के बदले जमीन अथवा उनकी जमीन का तीन गुना कीमत सरकार को देनी पड़ेगी। इसके चलते योजनाओं की कीमत चार से पांच गुना बढ़ रही है। सरकार के पास विस्थापितों होेने वालों को देने के लिए जमीन का टोटा है।
नहर का जाल भी समस्या
इन बांधों का पानी किसानों के खेत तथा लोगों तक पहुंच सके इसके लिए नहरों का जाल तैयार करना भी एक समस्या है। नहरों के साथ नहरों के किनारे की जमीन भी खराब होती है। सरकार को नहरों के लिए जमीन अधिगृहण करना पड़ता है जिससे अब नहरों की लागत भी कई गुना बढ़ना तय हो गया। वहीं आने वाले 20 वर्ष में पानी की डिमांड भी दोगुनी के करीब पहुंचेगी। ऐसे में नहरों की जगह पाइप लाइन डालने का विकल्प खोजा गया है जिससे जमीन और पानी दोनों की बर्बादी बचेगी।
हाईकोर्ट में चल रहे मामले
नर्मदा विस्थापित संघ तथा अन्य संस्थाओं ने दर्जनों प्रकरण बरगी बांध, इंदिरा सागर और सरदार सरोवर को लेकर हाईकोर्ट में लगा रखे है। विस्थापितों के मुआवजा के मामले अब भी उलझे पड़े है और सरकार भी भू अधिग्रहण कानून के चलते अब नर्मदा नदी और उसकी सहायक नदियों में बनने वाले बांधों में करीब 13 प्रोजेक्ट का रद्द करने जा रही है।
यहां नहीं बनेंगे कोई बांध
मंडला जिला में प्रस्तावित 4 बांध, जबलपुर में अटारिया बांध , नरसिंहपुर में शक्कर नदी पर बांध, होशंगाबाद में तीन बांध अब नहीं बनेंगे। उल्लेखनीय है कि उक्त क्षेत्रों में जहां शानदार जंगल और उपजाऊ जमीन बांध के कारण बर्बाद जा रही थी।
पम्प हाउस बनेंगे
नर्मदा और उसकी सहायक नदियों में कुण्ड तथा स्टॉप डेम आदि के माध्यम से पानी पंपिंग कर उसको पाइप लाइन के द्वारा अब किसानों के खेतों तथा दूर दराज में पहुंचाने पर कार्य योजना तैयार की जा रही है। बांध से कहीं अधिक मात्रा में पानी लिफ्ट किया जाएगा किन्तु इस योजना में मुख्य समस्या गर्मियों के सीजन में नदी में पानी कम होने पर आएगी लेकिन इसके लिए पानी स्टोर करने की योजना भी तैयार की जा रही है। सब कुछ ठीक चला तो जल्द ही प्रदेश में किसानों के खेतों तक पाइप लाइने पहुंचने लगेगी। इस योजना के तहत करीब 27 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की योजना विकसिक करना है।
बरगी से पहुंच रहा पानी
नर्मदाघाटी विकास योजना के तहत बने बरगी बांध की नहर से अब हिरण नदी में पानी पहुंचाया जा रहा है जिससे एक बहुत बड़े क्षेत्र की जीवन दायनी हिरन नदी में नर्मदा का जल इस भीषण गर्मी में हिलोरे ले रहा है और लाखों लोगों को पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित हुई है।
कटनी भी पहुंचेगा पानी
बरगी नहर पर पम्प स्टेशन बनाकर अब कटनी की पांच पहुंच नदियों तक पानी पहुंचाए जाने को लेकर एक प्रस्ताव नर्मदा घाटी विकास विभाग को सौंपा गया है। दरअसल कटनी में गर्मियों के कारण पानी की समस्या विकराल रूप ले चुकी है। उल्लेखनीय है इसके अतिरिक्त अन्य कई जिलों से नर्मदा नदी से पानी की मांग को लेकर प्रस्ताव विभाग के पास पहुंचे है। इनको पानी लिफ्टिंग योजना में शामिल करने पर विचार चल रहा है।
बाक्स
मध्य प्रदेश में औद्योगिक विकास को लेकर सरकार जहां एक तरफ तेजी से कार्य कर रही े। दूसरी तरफ उद्योग को पानी उपलब्ध कराए जाने की समस्या बनी हुई है पानी की कर्मी के कारण जहां प्रदेश में कई बड़े उद्योग बंद हो गए है। बांध परियोजनाओं पर लगभग ब्रेक लगने की स्थिति बनी हुई है। ऐसे में उद्यौगिक घरानों की नजर भूमिगत जल धाराओं पर गड़ गई है। गुगल सहित अन्य साधनों की तरह किस क्षेत्र में जमीन के नीचे कितना जल भंडारण है उसका पता लगाकर उन इलाकों में उद्यौगिक घराने जमीन खरीद है। सूत्रों का कहना है कि कटनी इलाके में नदियों की दिशाएं बदलने के बाद जिन इलाकों में जमीन के नीचे जल धाराएं बह रही है वहां उद्योगपति लगातार जमीन खरीद रहे है।
वर्जन
बांध में जमीन की बर्बादी तथा सिचाई क्षेत्र सीमित होने के कारण नर्मदा घाटी विकास के तहत एक दर्जन बांधों को न बनाने के विषय पर निर्णय लिया गया है लेकिन नदियों से पानी दोहन के लिए पानी लिफ्ट करने की योजना तैयार की जा रही है।
रजनीश वैश्य
सचिव, नर्मदा घाटी विकास विभाग
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