* सिर्फ जंगल में निगरानी रखने के लायक
जबलपुर। प्रदेश के नेशनल पार्क पन्ना में बाघों पर नजर रखने के लिए प्रयोग के तौर पर ड्रोन कैमरे का इस्तेमाल किया गया, लेकिन इसके परिणाम आशा जनक सामने नहीं आए है। टाइगरों की निगरानी में ड्रोन कैमरे सफल नहीं हुए लेकिन इस नई तकनीक को जिम्मेदार पूरी तरह नकार नहंी रहे है। जंगल की निगरानी के मामले ड्रोन कैमरे काफी सफल साबित हुए है लेकिन अब तक अन्य नेशनल पार्क में ड्रोन कैमरे के इस्तेमाल को फिलहाल मंजूरी नहंी मिल पाई है, अलबत्ता देश के कई पार्क के लिए प्रस्ताव भेजे गए है लेकिन बजट स्वीकृत न होने से ड्रोन कैमरे का मामला अधर पर लटका है।
पार्क प्रबंधन की माने तो बाघों की निगरानी के लिए हाथी ही सर्वाधिक उपयुक्त साधन है। वहीं बाघों के एरिया विशेष में हलचल की नजर ट्रेप कैमरे से की जाती है। कई बाघ अपने एरिया में लगे ट्रेप कैमरा को पंजा मार कर तोड़ चुके है। बहरहाल विशेष क्षेत्र में नजर के लिए अब भी ट्रेप कैमरे कारगर साबित हो रहे है।
प्राणी विशेषज्ञ मनीष कुलश्रेष्ठ ने बताया कि पुरानी पद्धति से ही टाइगरों की निगरानी होना चाहिए। इसमें किसी तरह की चूक की संभावना नहंी है। ड्रोन कैमरे अफ्रीका के जंगलों में घास वाले मैदानों में ज्यादा सफल हैं जबकि पहाड़ी इलाके और ऊंचे-निचे इलाके और घने जंगलों में इनका उपयोग कर पाना बेहद कठिन हो रहा है। मध्यप्रदेश के जंगलों में सफल नहीं हो पा रहे हैं।
गतिविधियां नजर में नहंी आती ं
बाघों की गतिविधियों में नजर रखन ये कैमरे उपयोगी सबित नहंी हो रहे है। खासतौर पर बाघ झाड़ियों में छिपकर बैठने आदि रहता है। वहंी ऊंची-
नीची पहाड़ियों घने जंगल के कारण कैमरे आउट आॅफ रेंज भी हो जाते है। फिलहाल बाघ प्रबंधन ट्रैप कैमरों को लगाने पर ज्यादा जोर दे रहा है।
सूत्रों की माने तो पन्ना नेशनल पार्क सहित अन्य पार्को के लिए ड्रोन कैमरे के लिए बजट की मंजूरी भी नहंी हो पाई है।
जंगल की निगरानी संभव
वरिष्ठ वन अधिकारियों को मानना है कि जनवरी के बाद मई जून तक जब जंगल में पत्ते नहंीं होते है। इस दौरान शिकारी की हलचल तेज रहती है। वहंी जंगल की निगरानी रखने में ड्रोन कैमरे काफी कारगर रहते है। इसी तरह जंगल में खाई एवं घाट जहां पहुंचना कठिन होता है वहां ड्रोन कैमरे पहुंच सकते है। इसी तरह पौधा रोपण सहित अन्य तरह की निगरानी एवं जंगल की वीडियों ग्राफी के लिए ये कैमरा काफी उपयोगी है।
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नए प्रयोग एवं नई तकनीक का इस्तेमाल एवं प्रयोग करना जिम्मेदारी है। ड्रोन कैमरे का कुछ नेशनल पार्क में प्रयोग किया गया है। जंगल की निगरानी के लिए उपयुक्त है लेकिन टाइगर की लगातार कैमरे से निगरानी संभव नहीं है।
चितरंजन त्यागी
सीसीएफ छिंदवाड़ा
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