* मेजर सर्जरी के बाद निकला शिशु
जबलपुर हॉस्पिटल की स्त्री रोग विशेषज्ञ महिला डॉ. प्रज्ञा धीरावाणी के पास 18 वर्षीय एक गर्भवती महिला कविता ( काल्पनिक नाम ) को तीन महीना पहले डिलेवरी के लिए लाया गया। महिला को लेबर पेन होना शुरू हो गया था तथा तत्काल डिलेवरी की स्थिति बन रही थी, उसके बच्चादानी का मुंह भी 5 इंच खुल गया था। फिजिकल चौकप के दौरान पाया गया कि महिला दाहिने तरफ पेट पत्थर की तरह कड़ा था , आशंका हुई कि पेट में बच्चा नहीं है वरन बेहद बड़ा ट्यूमर पल रहा है जबकि चैकअप करने पर बॉय तरफ गर्भस्थ शिशु की धड़कन भी सुनाई पड़ी । ट्यूमर ने आधे से अधिक बच्चा दानी को अपने कब्जे में कर रखा था, ऐसा केस पहली मार आया था जब बच्चा और ट्यूमर दोनों बच्चा दानी से जुडेÞ हुए थे। मामला बेहद पेचिदा था, जच्चा-बच्चे की जान बचाने टीम गठित करनी पड़ी।
डॉ. धीरवाणी ने बताया कि संयोग से महिला को लेबर पेन इतना अधिक नहीं था कि उसकी डिलेवरी तुरंत कराई जाए। इस बीच चैकअप कराने के लिए एक-दो दिन का समय मिल गया। सोनोग्राफी कराने में पाया गया कि दाहिने तरफ पूरे पेट में उपर से लेकर नीचे तक ट्यूमर फैला हुआ है। यह ट्यूमर बोन ट्यूमर की तरह हार्ड था। जिसकी सर्जरी करने पर महिला की जान जा सकती थी।
बॉयप्सी कराई गई
महिला की बच्चादानी के बाहर से बॉयप्सी कराने लिए सैम्पल लिया गया। रिपोर्ट जल्द मंगाई गई ट्यमर में केंसर सेल नहीं थी यह एक अच्छी खबर थी। इसके साथ ही आॅपरेशन करने के लिए वरिष्ठ सर्जन के साथ डॉ श्रिया दुग्गल तथा डॉ पी मालाकर की टीम बनाई गई। डिलेवरी के लिए अमूमन पेट में आड़ा चीरा लगाया जाता है किन्तु ट्यूमर के कारण चीरा लगाने के लिए जगह नहीं थी और परिणाम स्वरूप उपर से लेकर नीचे तक लम्बा चीरा लगाने की जरूरत थी, चूंकि टयूमर के कारण बच्चे को बाहर निकालने के लिए जगह नहीं थी। मेजर आॅपरेशन होना था, इसके लिए खून का प्रबंध कराया गया। पांच यूनिट खून की व्यवस्था होने के बाद करीब तीन-चार घंटे आॅपरेशन चला और बालक शिशु को निकाला गया। बच्चे का वजन 2.3 किलो था तथा बच्चा स्वस्थ्य था। आॅपरेशन के बाद महिला को टांके लगा दिए गए जबकि ट्यमर को पेट में ही छोड़ दिया गया।
डेसमॉइड ट्यमर
महिला के पेट में जो ट्यूमर था वह बच्चा दानी के भीतर नहीं था वरन पेट का ट्यूमर था जिसने आधे से अधिक बच्चादानी को दबा रखा था। वह डेसमॉइड ट्यूमर था। यह दर असल मसल्स ट्शिू वाला होता है, इस तुरंत निकालने पर शरीर के मसल्स को बड़ी क्षति पहुंचती तथा रक्त स्त्राव बेहद होने पर महिला की जान चली जाती। यह ट्Þयमर गर्भावस्था में हार्मोंस के कारण तेजी से विकसित होता है। डिलेवरी के बा इसके छोटा होने की संभावना थी। महिला के पेट में मौजूद ट्यमर करीब 20 सेमी का था। इसका वजन भी तीन किलो से अधिक था।
फालोअप किया गया
महिला को डिलेवरी के बाद फालोअप किया गया। उसका सीटी स्केन कराया गया। डिलेवरी के बाद दवाइयां आदि के चलते काफी हद तक ट्यमर का साइज कम हुआ है। महिला द्वारा भी संपर्क कर ट्Þयमर निकालने की बात कहीं जा रहा है। एक- दो महीना और इंतजार करने के बाद सहजता से पेट के बाहरी हिस्से में आॅपरेशन कर महिला का ट्यूमर निकाल लिया जाएगा।
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