बाघ स्टेट का दर्जा खो चुके मध्य प्रदेश
टाइगर क्लोनिंग की दिशा की ओर बढ़ा
* पशुचिकित्सा विश्व विद्यालय में शुरू हुई कवायद
जबलपुर। मध्य प्रदेश टाइगर स्टेट का दर्जा खो चुका है। देश के जंगल में बाघ सहित अन्य कई प्राणी की संख्या कम होती जा रही है। ऐसे में इन प्राणियों को भविष्य में सुरक्षित रखने के लिए क्लोन का इस्तेमाल किया जाएगा। इसके लिए नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विश्व विद्यालय में इस दिशा में मिशन टाइगर शुरू किया गया है जिसमें गहन अनुसंधान कार्य प्रारंभ किया जाएगा।
प्रदेश के लगभग सभी नेशनल पार्क में मेल और फिमेल टाइगरों को सिफ्टिंग उनकी संख्या बढ़ाने के लिए लगातार की जाती है। । वहीं मादा के लिए नर टायगरों में संघर्ष में मारे भी जा रहे है। नर एवं मादा के संतुलन बनाए रखने क्लोन का उपयोग निकट भविष्य में करना पड़ेगा।
उल्लेखनीय है कि वाइट टागर सफारी मुकुंदपुर की स्थापना के पीछे मूल उद्देश्य रहा है कि वाइट टाइगर मोहन के वंश को आगे बढ़ाना है। मुकुंदपुर एक फार्मिंग सेंटर की तरह आने वाले समय में विकसित होगा। इसके साथ ही प्रदेश में टाइगर सहित अन्य प्राणियों की क्लोनिंग की दिशा में अनुसंधान का जिम्मा पशु चिकित्सका महाविद्यालय लेने तैयार है। इसके लिए एक प्रोजेक्ट तैयार किया जा रहा जिसको अनुमति के लिए केन्द्र एवं राज्य सरकार सहित अन्य संस्थाओं को भेजा जाएगा। इसके तहत वाइल्ड लाइफ आॅफ इंडिया देहरादून ने पशु चिकित्सा विश्व विद्यालय से अनुबंध करने तैयार है।
क्या है क्लोन
पशु वैज्ञानिकों के मुताबिक मूल प्राणी (मदर एनिमल) के पूर्ण गुणसूत्र की सहायता से हुबहू प्राणी तैयार किया जाता है। पशु वैज्ञानिक की माने तो इसके लिए सरोगेट मदर की जरूरत पड़ती है। प्राणी के सेल से सोमेटिक सेल न्यूक्लियर निकाल कर उसे फर्टीलाइज करने के बाद सरोगेट मदर को ट्रांसफर कर दिया जाता है।
वर्जन
टाइगर क्लोन पर अनुसंधान करने एक प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। इसकी अनुमति एवं बजट मिलने के बाद यहां कार्य प्रारंभ किया जाएगा। फिलहाल प्रारंभिक स्तर पर प्रयास किए जा रहे है।
डॉ. एबी श्रीवास्तव
पशु चिकित्सका विश्व विद्यालय जबपुर
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