* डॉ रामनारायण नेमा
कॉर्डियोलॉजिस्ट जबलपुर
करीब तीस साल पहले जब मै मुम्बई में कार्यरत था, तभी सुरेन्द्र नामक 36 वर्षीय मरीज मेरे पास आया। उसके पैरों में असहनीय दर्द हुआ करता था और उसने कई जगह इलाज भी करवा लिया था। उसके पैर का पंजा काला पड़ रहा था। पैरों में खून की सप्लाई बंद थी। इस स्थिति में उसको गेंगरीन होने का खबरा था तथा उसका पैर कट जाता। उसकी एक पैर की सभी अंगुलिया काली पड़ गई थी। इस मरीज की रक्त वाहिनी धमनी में ब्लॉके ज थे। नई तकनीक ब्लाक खोलने की आई थी, जिससे उसके ब्लॉकेज खोले गए।
नगर के प्रमुख कार्डिलॉजिस्ट डॉ. रामनारायण नेमा ने बताया कि हार्ट में जिस तरह से स्टेनासिस (नशों का सिकुड़ना) तथा कोलस्टॉल के कारण ब्लॉकेज की समस्या होती है और उसके लिए एंजियो प्लास्टी की जाती है और धमनी के ब्लॉकेज खोले जाते है। इस तरह के शरीर के विभिन्न अंगों से गुजरने वाली धमियों के सिकुडने से ब्लाकेज होने की समस्या है। इसका अब आधुनिक तकनीक से इलाज किया जाने लगा है। धमनी के ब्लॉकेज का माइक्रो कैथेटर से खोला जाता है तथा माइक्रो स्टेंट डाल दिया जाता है। हृदय की धमनियों की तुलना में ये स्टेंट छोटे होते है।
मरीज पूर्ण स्वस्थ है
श्री नेमा ने बताया कि मुम्बई के इस मरीज के ब्लॉकेज खोलने के बाद माइक्रो स्टेंट डाला गया तो उसके पैर में रक्त प्रवाह पहले की तरह हो गया और उक्त मरीज पूर्ण स्वस्थ हो गया है। वह अपने सभी कार्य सामान्य रूप से कर रही है।
सरवाइकल समझ रहे थे
श्री नेमा का कहना है अमूमन धमनियां सिकुड़ना अनुवांशिक होता है। इसके अतिरिक्त खान पान से भी ये बीमारी होती है। जबलपुर शहर का एक अन्य मरीज ऐसा आया था जिसके गर्दन में दर्द रहा करता था तथा उसे चक्कर आते थे। कई चिकित्सकों ने उसे सरवाइकल की समस्या बताई थी तथा उसका इलाज चल रहा था लेकिन जब उसका चैकप किया गया तो पता चला कि गले की नस सिकुड गई थी। उसको भी गले के ब्लॉकेज को कैथेटर से खोलने के बाद स्टेंट डाला गया । श्री नेमा के अनुसार हाथ सहित शरीर के अन्य अंगो में इस तरह की समस्या आती है। लकवा का भी बड़ा कारण नसों का सिकुड़ना होता है और सिर को पहुंचने वाली धमनी का उपचार किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि श्री नेमा जबलपुर में एंजियोप्लाटी करने वाले नामी डॉक्टरों में शुमार हैं।
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