जिसे पॉइजन का केस समझा जा
रहा था वह न्यूरो प्राब्लम निकला
छतरपुर के 15 वर्षीय राजेश लोधी ( काल्पनिक नाम ) ने दो साल से अधिक समय तर भारी शारीरिक एवं मानसिक वेदना का सामना किया। इस छात्र द्वारा अचानक असामान्य व्यवहार किए जाने पर घर वालों ने पहले यही समझा कि वह बेवजह की ड्रामेबाजी करता है। किन्तु इसके इस व्यवहार में कमी नहंी आई, कुछ समय उपरांत स्कूल में भी ऐसी ही हरकतें होने लगी। उसके शिक्षक और सहपाठी उलाहना देने लगे। घर परिवार वालों ने समझा की भूत-प्रेत लग गए है। बाबा -गुनिया के चक्कर लगाए गए ो लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। पागल खाने में भी इलाज कराया गया किन्तु छात्र की बीमारी कोई नहंी पकड़ पाया। छात्र कभी- कभी चक्कर खाकर गिर जाता था लेकिन कुछ देर बाद ठीक हो जाता है। उसकी मिर्गी भी नहंी थी। उसके इस तरह के व्यवहार के कारण उसे काफी कुछ सहना पड़ा। लेकिन एक दिन ऐसा भी आया कि वह बेहोश होकर गिर गया, इसके बाद उसको उल्टियां होने लगी। सभी ने समझा की शायद अपनी मानसिक परेशानी के कारण जहर खा लिया है। उसका इलाज शुरू हुआ। जबलपुर जहर के सेवन के इलाज के लिए भेजा गया और उसकी असली बीमारी पकड़ ली गई । मस्तिष्क के अंदरूनी हिस्सों में नसों के गुच्छे को आपरेशन कर निकाला गया और अब 4 माह हो गए है राजेश सामान्य हो गया है।
इस चिकित्सकीय मामले के संबंध में न्यूरोसर्जन डॉ.हर्ष सक्सेना ने बताया कि छतरपुर से किशोर को जहर सेवन के कारण नगर के एक अस्पताल में दाखिल कराया गया था। मरीज के खून , पेशाब ओर उल्टी की जांच कराई गई लेकिन उसके शरीर में किसी तहत का जहर नहीं पाया गया। जबलपुर में न्यू सर्जन के रूप में मुझे दिखाया गया है। इस किशोर के परिवार वालों से उसकी समस्या और इलाज के संबंध में परिवार वालों से एक एक जानकारी ली गई।
गले में खाना अटकता था
परिवार वालों के अनुसार राजेश लोधी खाना खाते वक्त अचानक गले में खाना फंसा लेता था तथा लार आदि निकलने लगती थी। वह तड़पने लगाता था। कुछ मिनट तक
उसका व्यवहार असामान्य एवं डरावना हो जाता था। इसके बाद वह सामान्य हो जाता था तथा फिर खाना खाने लगता था। डॉक्टरों ने चैक करने के बाद उसके गले एवं पेट की नलियों को सामान्य बताया था। इससे परिवार तथा डॉक्टर ने यहीं कहा कि शायद लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए ड्रामा करता है। उसकी इस ड्रामें बाजी के लिए परिवार वाले जमकर फटकार लगाते थे। बताया गया कि उसकी समस्या धीरे धीरे बढ़ने लगी और स्कूल में भी वह यही हरकत करने लगा। वह मुंह से झाग निकालते हुए गिर जाया करता था। स्कूल में भी उसको डॉट ही पड़ रही थी और उसकी बीमारी कोई समझ नहीं पा रहा था। उसको फिट भी नहंी आते थे।
झाडफूंक कराई गई
मुंह से झाग निकालने तथा चक्कर खाकर गिरने के कारण घर परिवार वालों ने उपरी हवा लगने की आशंका हुई। लेकिन । जादू -टोना से भी राजेश ठीक नहंी हुआ तो उसका पागल समझ लिया गया। परिवार वाले ग्वालियर स्थित मेंटल हॉस्पिटल में ले गए। जहां उसको मनोवैज्ञानिक व्याधि की आशंका पर इलाज दिया जाने लगा। सभी उसको मानसिक रोगी समझ लिए। उसको कई तरह की दवाइयां भी दी गई लेकिन इस सब के बावजूद उसकी स्थिति में सुधार नहंी आया।
अचेत मिला तो मचा हडकम्प
करीब 5 माह पहले अचानक राजेश अपने घर में बेहोशी की हालत में मिला। उसके मुंह से लार निकल रही थी तथा शरीर भी नीला पड़ा हुआ था। तत्काल डॉक्टरों को दिखाया गया। होश आने पर लगातार उल्टियां हो रही थी और शरीरिक लक्षण देखने के बाद डॉक्टरों ने जहर खाने का केस बताया। उसको इलाज के लिए जबलपुर लाया गया लेकिन शरीर में जहर नहंी पाया गया।
एमआरआई कराई गई
डॉ हर्ष सक्सेना ने किशोर की जांच पड़ताल के बाद एमआरआई कराई तो पाया कि ब्रेन के डीप हिस्से में रसौली याने नसों ं का गुच्छा मौजूद है। मतिष्क के इस हिस्से में नसों का गुच्छा होने के कारण मस्तिष्क के अंदरूनी हिस्सों में खून की सप्लाई करने वाली मुख्य नस दब रही थी। जिससे मस्तिष्क में खून की सप्लाई भी सामान्य नहीं हो पाती थी, वहीं गुच्छे के कारण मस्तिष्क पर प्रतिकूल प्रभाव के कारण किशोर का व्यवहार असामान्य हो जाया करता था।
आपरेशन का निर्णय
एंजियोप्लास्टी की की तर्ज पर माइक्रो सर्जरी करने का निर्णय लिया गया। करीब 6-7 घंटे माइक्रो सर्जरी चली और मस्तिष्क के गहराई वाले पार्ट में पहुंच कर नसों के गुच्छों को अलग किया गया। ब्रेन की माइक्रो सर्जरी सफल हुई। इस मरीज का नसों का गुच्छा ब्रेन ओपन कर अलग करना असंभव था लेकिन माइक्रो सर्जरी से आॅपरेशन सफल हो गया। इसका आॅपरेशन हुए चार माह का समय बीत चुका है और अब वह पूरी तरह सामान्य है।
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