Monday, 31 August 2015

Pawan sthapak

रोते हुए युवती ने जब डॉ स्थापक को बताया तो वे भी आश्चर्य मे 10 साल बाद मेरी आंख लौट आई ... आंसू भरी आंखों से डॉ पवन स्थापक को पूरी श्रद्धा से देखते हुए अकोला से आई 17 वर्षीय वैशाली ने कहा सर मेरी आंखे दस वर्ष बाद लौट आई है। मुझे दस साल बाद पता चला कि रौशनी क्या होती है, दुनिया कितनी रंगीन है, ये चमत्कार आपन तीन इंजेक्शन लगाकर कर डाला। डॉ स्थापक की इस मरीज की बात सुनकर आश्चर्य चकित थे कि ये कैसा चमत्कार हो गया है। उन्होंने तो इस लाइलाज बीमारी पर सिर्फ एक्पेरिमेंट किया था। युवती की आंखों की नशे दस साल पहले ही टाइटफाइट इन्फैलोफैथी के कारण सूख चुकी थी और की रौशनी आने की कोई उम्मीद नहीं थी। Ñजबलपुर के ख्यातिलब्ध नेत्र रोग चिकित्सक डॉ.पवन स्थापन जिन्होंने सड़क दुर्घटनाओं के मामले में लगभग फूट चुकी सैकड़ों आंखों की सर्जरी कर उसकी मरम्मत कर लोगों की आंख की रौशनी लौटाई। हजारों आंखों के क्षतिग्रस्त रेटीना और आई लैंस की आधुनिक मशीनों से मरम्मत की। आंख की जटिल एवं कठिन बीमारियों का निदान किया। करीब 60 से अधिक नेत्र प्रत्यारोपण किए है। लोगों की खोई हुई आंख की रौशनी लौटाई है। एक लाख से अधिक आई आपरेशन कर चुक है जिसमें 40 हजार आपरेशन नि:शुल्क भी शामिल है, लेकिन इस सबके बावजूद उनके जीवन का ये विलक्षण मामला था। डॉ पवन स्थापक सन 1992 से लगातार नेत्र चिकित्सा कर रहे। इस प्रकरण के बाद उनकी स्वयं की धारणा बदल गई और अब उनका कहना है कि चिकित्सा जगह में असंभव कुछ भी नहीं है। मृत आदमी भी जिंदा हो जाता है। इसी तरह अनेक मामले ऐसे होते है जिसमें नेत्र रोग विशेषज्ञ मरीज को स्पष्ट कह देते है कि आपकी आंख की रौशनी चली गई है अब वह नहीं लौटेगी, चूंकि ये बाते हमे चिकित्सा के कोर्स में पढ़ाई गई है लेकिन मेरी व्यक्तिगत राय है कि कोशिश अंत तक नहीं छोड़नी चाहिए । इस केस के बाद अनेक ऐसे मामले आए जिसमें लोग तमाम जगह से निराश हो गए थे लेकिन मैने प्रकरण हाथ में लिया। किसी में सफलता मिली और बहुत में असफल भी हुआ लेकिन कोशिश को विराम नहीं लगाया। दस वर्ष बाद आंख की रौशनी लौटने के मामले के डॉ स्थापक ने बताया कि मेरे पास एक वृद्धजन इलाज के लिए आए थे। उनकी आंख में मोतिया बिंद हो गया था। जिसका आॅपरेशन किया गया और उसको साफ दिखाई देने लगा। ये मरीज कुछ महीना बाद उनके पास एक युवती को लेकर आए और कहा कि आप के हाथों में जादू है, आप इस लड़की का इलाज करें। आप इसको ठीक कर सकते है। वह युवती वृद्धजन की भतीजी थी जिसे वे अकोला महाराष्ट्र से लेकर आए थे। युवती के केस स्टडी पढ़ने पर पता चला कि दिल्ली , मुम्बई सहित भारत के कई शहरों के नामी डॉक्टर्स ने युवती को कोई भी इलाज होने से असमर्थता व्यक्त कर चुके थे। उसकी आंख की रौशनी सात साल की उम्र से जा चुकी थी। नर्वस मृत हालत में युवती को बचपन में टाइटफाइट हुआ था जिसके कारण उसके आंख की नर्व मृत हो चुके थे जिसे आंखो की नशे सूखना कहते है। उसकी आंख प्रकाश संबंधी संवेदना गृहण नहीं करती थी। वह दृष्टिबाधित हो चुकी थी और उसका कोई इलाज संभव नहीं था। किन्तु आगंतुक सज्जन पीछे पड़ गए थे आप को इसकी आंख की रौशनी लौटानी पड़ेगी, आप से बेहतर कोई डॉक्टर नहीं है। इस स्थिति में काफी अध्ययन करने के बाद एक प्रयोग करने का निर्णय लिया। वर्षो से बंद चिकित्सा पद्धति आंखों के पीछे इजैक्शन लगाने का निर्णय किया गया। रेटोवल यूटरारीम तथा एक अन्य दवाई को मिलाने के बाद तीन इंजेक्शन का कोर्स दिया गया। इसके बाद युवती को रवाना कर दिया गया। चमत्कार हुआ डॉ स्थापक के अनुसार कुछ दिनों बाद उनकी क्लीनिक में एक युवती आई और दण्डवत होकर उनके पैर छूए ओर वह रो रही थी। डॉ स्थापक के कहे अनुसार मै उसे पहचान नहीं पा रहा था लेकिन उसके पैर पड़ने से यह जाहिर हो रहा था कि वह बेहद प्रभावित है। उससे पूछा कि तुम कौन हो ,तो उसने बताया कि मै वैशाली हूं, अकोला से आई हूं। आपने मेरी आंखों में इंजेक्शन लगाया था इसे बाद अचानक अकोला में मुझे दिखाई देने लगा। दस साल बाद मेरी आंख लौट आई है।