जबलपुर। भारतीय इतिहास में ईस्ट इंडिया कम्पनी की लूट खसोट एवं भारतीय राजवाड़ों को हड़पे जाने से उपजे 1857 के विद्रोह बाद भारत में ब्रिटिश हुकुमत ेकी यादगार है टॉउन हॉल। दरअसल ब्रिटेश की महारानी विक्टोरिया के जुबली वर्ष पर उनकी चिरकालीन स्मृति में जबलपुर के राजा गोकुलदास राय बहादुर बल्लभ दास सेठ ने 30 हजार रूपए की लागत से भवन बनाकर ब्रिटिश कमिश्नर को 1890 में सौंपा था। इसका भवन को जनता के उपयोग के लिए बनाया गया था बाद में इसका संचालन नगर निगम के हाथों में आ गया। आजादी पूर्व के नगर पालिका इस भवन को नगर में होने वाले उत्सव एवं कार्यक्रमों के लिए उपयोग करती रही है। वर्षो तक इस ऐतिहासिक इमारत का नाम टाउन हाल रहा है। ये नाम देश प्रेमियों को ब्रिटिश हुकुमत की यादगार दिलाता रहा है। जबलपुर के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को तो भी भी हाउन हाल नाम पसंद नहीं आया। ये इमारत ब्रिटिश साम्राज्ञी की स्मृति पर बनी जरूर लेकिन इस दौर में भवन कला का ये बेजोड नमूना रही है। फारसी और भारतीय स्थापत्य कला का मिला जुला नमूना है। भारतीय शैली से पत्थर की नींव तथा फारसी इंजीनियरिंग के आधार पर बेस स्थापित किया गया। इसकी दीवारे डेढ़ से दो फुट मोटी पक्के ईटों की थी। ईटों के बीच चूना और रेत की जुड़ाई तथा इसी का प्लास्टर है जो अब भी मौजूद है। बाहरी तथा भीतरी वास्तु सज्जा में फारसी गुम्बद, झरोके तथा आर्च का बहुतायत से उपयोग किया गया है। सिलालेख में उल्लेख है कि 1890 में तैयार हुए इस भवन की कीमत 30 हजार रूपए थी। 1962 में हुआ गांधी भवन इस ऐतिहासिक इमारत में आजादी के साथ ही स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की गतिविधियां शुरू हो गई थी। इसको ब्रिटिश शाासन की यादगार के साथ भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की याद और स्मृति से जोड़नें की बात उठने लगी। तत्कालीन महापौर रामेश्वर प्रसाद गुरू ने भवन का कायाकल्प कराते हुए यहां राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा स्थापित की गई। इस प्रतिमा का अनावरण गांधीवादी तथा भू दान आंदोलन के महा नायक जय प्रकाश नारायण ने किया। जबलपुर का टाउन हाूॅल गांधी भवन हो गया। यहां स्वतंत्रता संग्राम सेनानी वाचनालय तथा स्वतंत्रता संग्राम सेनानी उत्तराधिकारी संघ को एक रूम आवंटित है। इसके अतिरिक्त गांधी भवन को नगर निगम का वाचनालय स्थापित है। इसमें एतिहासिक गजट, एतिहासिक समाचार पत्र एवं पुस्तकों के भरमार है। यह वाचनालय जबलपुर एतिहास की अनमोल धरोहर है जिसमें ब्रिटिश हुकुमत के दौरान जारी होने वाले कई आदेश तथा गजट का व्यौरा मिलता है। वर्तमान हालत गांधी भवन के सामने खुले मैदान में महात्मा गांधी की प्रतिमा स्थापित है जिसपर गांधी जयंती तथा 30 जनवरी को कांग्रेसी तथा गांधी विचारधारा के लोग श्रद्धासुमन अर्पित करने आते है। पार्क की दीवार जर्जर हालत हो चली है। फुहारा तथा उसकी टंगी की हालत जर्जर है। टाउन हाल के चारों तरफ जबदस्त गंदगी व्याप्त है। गांधी की छत्रछाया में नशाखोरी विक्टोरिया अस्पताल के बाजू से स्थित टाउन हाल में गांधी की प्रतिमा तले उनकी छत्रछाया में जबदस्त तरीके से नशाखोरी चलती है। एविल तथा अन्य नशीले इंजेक्शन लगाने वाले तत्वों ने यहां डेरा जमाए रहते है। वाचनालय के रात्रि 8 बजे बंद हो जाने के बाद परिसर की दीवार कूंद कर नशेलची अपना डेरा जमा लेते हैं।
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