एक अंजान दोस्त ने
दिया है हाथ।
अब तक जिसका नहीं
मिला था साथ।
दे गया मुस्कराता हुआ
हुआ एक तोहफा।
जिनको भूला वो
फिर आई है सामने ।
दोस्तों एक आइना मिला जिसका
हर प्रतिबिम्ब है यादें।
जीना चाहता हूं मै आज
पर जीने नहीं देता कल।
पिंजरा है तंग और
आकाश है अनंत।
उन्मुक्त है मन
जोखिम भरा आकाश।
भय है हृदय में
फिर कैसे मिले प्रेम।
छूटते नहीं है
बंधन तन के तो
मन के छोड़ दे।
बस जाएगा रे
इस पिजरें में
अनंत आकाश।
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