सॉइल मैपिंग एप जल्द ही होगा लांच
* खेत में खड़े होने पर मोबाइल से मिलेगी सॉइल रिपोर्ट
* मैपिंग का काम अभी बाकी
जबलपुर। खेत में खड़े किसान, अपने घर और खलिहान में मौजूद किसान को अपने मोबाइल में सॉइल रिपोर्ट एक बटन दबाने पर मिल जाए। इसके लिए कृषि विश्व विद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा एप विकसित करने का काम किया जा रहा है, जो जल्द ही पूरा होने की संभावना है। इस एप को तैयार करने के लिए आवश्यक डाटा एवं तकनीक का एक हिस्सा तो जुटा लिया गया है लेकिन मैपिंग के लिए महत्वपूर्ण तकनीक में अभी कुछ समय लगेगा।
कृषि विश्व विद्यालय के वैज्ञानिकों की माने तो इस तकनीक के विकसित होने पर जल्द ही इसको प्रदेश सरकार द्वारा लांच किया जाएगा। इस प्रोजेक्ट पर कार्य करने के लिए शासन से राशि प्राप्त हो रही है। यह एप करीब दो माह पहले ही पूरी तरह बन कर तैयार हो जाना था लेकिन तकनीक समस्याओं के कारण इसमें अभी आधा काम बाकी है। कृषि विश्व विद्यालय एप को जल्द पूरा करने की कोशिश में लगा है।
जीपीएस से जुड़ा
इस एप के माध्यम से यदि किसान अपने खेत में खड़ा होकर एप का इस्तेमाल करता है तो गुगल नक्शे के आधार पर एप में जमीन की पहचान हो जाएगी और उस जमीन की सॉइल रिपोर्ट किसान के हाथ में होगी। कृषि वैज्ञानिक चाहते है कि किसान एप में अपना जिला ,ब्लाक एवं खसरा नम्बर डाले तो वह जहां भी मौजूद होगा उसको अपनी जमीन की सॉइल रिपोर्ट मिल जाएगी। इस रिपोर्ट के आधार पर वह अपनी खेती कर सकता है। लेकिन इस कार्य में सबसे बड़ी बाधा राजस्व नक्शे है। कृषि विश्व विद्यालय राजस्व नक्शे पूरी तरह से प्राप्त नहीं हुए है जिसके कारण अभी खसरा नम्बर डालने पर यह एप स्वाइल रिपोर्ट नहंी दे पा रहा है। इस एप की तकनीक विकसित करने के बाद इसको लांच किया जाएगा। एक बार एप लांच होने पर शीघ्र ही विभिन्न जिलों में कृषि विभाग से विभिन्न क्षेत्र की सॉइल रिपोर्ट प्राप्त की जाएगी।
अपडेट भी होगी रिपोर्ट
सॉइल टेस्ट की रिपोर्ट समय समय पर अपडेट भी की जाएगी। एक दो साल में जमीन की मिट्टी में आने वाले बदलाव भी इस एप में दर्ज हो जाएगे। जवाहर लाल नेहरू विवि जबलपुर के वैज्ञानिकों की मंशा है कि किसान अपनी जमीन के हिसाब से खेती करे। किस जमीन मेें कौन सी फसल की पैदावार अच्छी होगी उसको ज्ञात हो जाए। किसान को मिट्टी (सॉइल) टेस्ट के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। किसान अपनी खेत की मिट्टी का परीक्षण घर बैठे कर सकता है लेकिन इसमें कुछ वक्त लगेगा।
जबलपुर में एक ब्लाक
में हुए सघन परीक्षण
सॉइल मैप तैयार करने के लिए कृषि विश्व विद्यालय के वैज्ञानिकों न एक ब्लाक का खसरा नम्बर के आधार पर मृदा परीक्षण कर उसकी रिपोर्ट तैयार कर चुके है। भविष्य की योजना है कि हर किसान के अपने खेत की रिपोर्ट उसे एप पर उलब्ध हो सके। जवाहर लाल नेहरू विवि जबलपुर के कृषि विशेषज्ञों ने इसके लिये जीपीएस के जरिए कैप विकसित कर लिया है लेकिन इसका अपडेट करना शेष है।
क्या होगा टेस्ट में
इस एप में मिट्टी की जो रिपोर्ट प्राप्त होगी, उसमें 11 पाइंटों कीजानकरी होगी। इसमें मिट्टी में मौजूद पोषकतत्व पोटाश, नाइट्रोजन ( यूरिया), फास्फोरस सहित माइक्रो न्यूट्रेन्ट की जानकारी होगी। इसके अतिरिक्त जमीन की लवणीयता, क्षारीयता तथा अम्लीयता की जानकारी भी होगी। जमीन की पीएम वैल्यू की जानकारी एप में मिलेगी। मिटÞटी के प्रकार के हिसाब से उजप के संबंध में भी जानकारी दी जाएगी। ।
वर्जन
सॉइल मैपिंग का एप तैयार करने का काम तेजी से चल रहा है। हमने आधे से अधिक काम कर लिया। उम्मीद है कि जल्द ही एप लॉज कर लिया जाएगा। फिलहाल खसरा नम्बर प्राप्त करने मेंवक्त लग रहा है।
विजय सिंह तोमर
कुलपति कृषि विश्व विद्यालय
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