Friday, 14 September 2018

कबाड़ को बेसकीमती बना डाला सुहैल के शौक ने

  * सालों की मेहनत में बन पूरा म्यूजियम घर में एकत्र

 जबलपुर। सहज ही आप को यकीन नहीं होगा कि एक व्यक्ति के पास प्राचीन सिक्कों को दुर्लभ संग्रह मौजूद है। देश-विदेश के इतिहास में प्रशिद्ध शासकों के सिक्के, ब्रिटिस हुकुमत के सिक्के, भारत के सल्तनत कालीन सुल्तानों, मुगल शासकों, मराठा शासकों एवं रियासतों एवं रजवाड़ों के सिक्के मौजूद है सुहैल के पाास। भारत सरकार द्वारा मैमोरियल के लिए जारी होने वाले हर सिक्के मौजूद है।
 बेलबाग निवासी, स्क्रीन प्रिंटिंग करने वाले मोहम्मद सुहैल को बचपन से पुरानी वस्तुओं का संग्रहण करने का शौक हो गया। पुरानी चीज जो घर परिवार वाले कबाड़ मार फेंकते उसके प्राचीनता में कहानी और इतिहास खोजने के विचार ने मोहम्मद सुहैल को एंटिक वस्तु एकत्र करने का शौकीन बनाया। उसकी अपनी हाबी इस कदर बढ़ी की विभिन्न प्रदर्शनियों में जाकर , गुरंदी सहित देश भर के चोर बाजारों में घुमकर एंटिक वस्तुए एकत्र करना शुरू किया। आज स्थिति यह है कि सुहैल स्वयं किसी स्कूल में अपने पास मौजूद सामग्रियों की प्रदर्शनी लगाते है और बच्चों को इन वस्तुओं से जुड़ा इतिहास बताते है।
ये है खजाने में मौजूद
 मुगल काल में गुडगुडाए जाने वाला प्राचीन हुक्का अब भी उसक काल की गाथा सुनाता है। हुक्के में सादगी एवं नक्काशी दोनों ही देखने मिलती है। कभी 17वीं -18वीं शताब्दी के सोल्जर एवं जमीनदार अपने कमर में सोरे (गंधक और पोटास) रखने का पॉट रखकर घूमते थे जिससे भरमार तमंचा ( पिस्टल) ओर  बंदूक में बारुद भरा जाता था और फायर किया जाता था। कौतुहल पैदा करने वाले अनेक उपकरण सुहैल के पास मौजूद है।
 सरौंते की एक श्रंखला है
 एक जमाना जब था जब घर घर पान के शौकीन होते थे और हर घर में सरौंता जरूर होता था। आने वाले मेहमान की आवभग जल-पान से ही होती थी। ऐसे में सरौंता की जरूरत थी। तरह तरह के डिजाइन के सरौंते समय के साथ कबाड़ में चले गए कुछ ने इसे धरोहर के रूप में संजा कर रखा है।

नवाव पटौदी के नाना के
 काल के स्टॉप
 रजिस्ट्री एवं लिखा पढ़ी के सैकड़ों की संख्या में है। जार्ज पंचम, से लेकर महारानी विक्टोरिया तक के कार्यकाल के स्टॉप, विभिन्न रियासतों के स्टाम्प पेपर का दुर्लभ संग्रेह है सुहैल के पास।
विक्रमादित्य की नगरी के सिक्के
 सिक्कों के संग्रह में उज्जैनी नगरी के के ई. पूर्व के सिक्के सुहैल के संग्रहण में है। उनके पास मुगल कालीन 70 सिक्के, सलतन कालीन 100 सिक्के, भारत सरकार के यादगार 100 सिक्के, दम, दीनार, गनी तथा टुक्का जैसे सिक्के जो कभी प्रचलन में थे,उनका भी बड़ा संग्रह है। इसके अतिरिक्त क्षिप्रा नदी से निकले सैकड़ों साल पुराने धातू के आभूषण, सन1860-1900 के दरम्यान कर्नाटक की टोडा जनजाति द्वारा पहने जाने वाले प्राचीन आभूषण, रोमन कैथोलिक चर्च में उपयोग की जाने वाली खुशबू दानी, घंटी, विदेशों में निर्मित होने वाले प्राचीन पानदान सहित तमाम चीजे संग्रह में है।
 वर्जन
 मुझे बचपन से पुरानी चीज जोड़ने का शौक था। अपने शौक को मैने व्यवसाय नहंी बनाया। एंटिक वस्तुओंं की पहचान एवं उसके संबंध में जानकारी जुटाने काफी अध्ययन किताबों से ही करना पड़ता है।
 मोहम्मद सुहैल, संग्रहणकर्ता



Saturday, 27 January 2018

यार मैं जीता ..


मोहब्बत में मिली वो ताकत
 पत्थरों ने गाया है गीत,
दिल की स्पंदों को  से  मिला
पत्थरों  को जीवन भेंट।
कोई गम नहीं अपनी कहानी पर
यार मै हार कर जीta।
पत्थरों के कोने कोने से
फूट पड़े है निरझर श्रोते।
अनूठा-अलबेला बनाया
 मोहब्बत में मुझको।
 बिन मोहब्तत के हरा
दरख्त बन गया काठ। 

Saturday, 6 January 2018

DEEPAK PAROHA: कहां गायब हुए 15 हजार लोग। वर्ष 2005 से 2012 क...

DEEPAK PAROHA: कहां गायब हुए 15 हजार लोग । वर्ष 2005 से 2012 क...: कहां गायब हुए 15 हजार लोग । वर्ष 2005 से 2012 के दरम्यान 14283 लोग जबलपुर जिले से गायब हो गए। इसी तरह इस वर्ष के पिछले 4 माह में 722 लो...

Thursday, 14 December 2017


 एक अंजान दोस्त ने
  दिया है हाथ।
अब तक जिसका नहीं
 मिला था साथ।
 दे गया मुस्कराता हुआ
 हुआ एक तोहफा।
 जिनको भूला वो
 फिर आई है सामने ।
 दोस्तों एक आइना मिला जिसका
 हर प्रतिबिम्ब है यादें।
जीना चाहता हूं मै आज
 पर जीने नहीं देता कल।
पिंजरा है तंग और
 आकाश है अनंत।
उन्मुक्त है मन
 जोखिम भरा आकाश।
 भय है हृदय में
फिर कैसे मिले प्रेम।
छूटते नहीं है
 बंधन तन के तो
मन के छोड़ दे।
बस जाएगा रे
 इस पिजरें में
 अनंत आकाश।

भू माफिाफिया के हाथों कठपुतली बना खनिज विभाग

भू माफिाफिया के हाथों कठपुतली बना खनिज विभाग
 करोड़ों साल पुरानी पहाड़ियों का कत्लेआम
हाईकोर्ट के निर्देशों की उड़ाई जा रही धज्जियां
जबलपुर। जबलपुर के पर्यावरण एवं प्राकृतिक धरोहर  ग्रेनाइट निर्मित पहाड़ियां है जिसकी श्रंखला तिलवारा के निकट से रांझी तक फैली है। वहीं घमापुर से होकर महाराजपुर तक ग्रेनाइट की पहाड़ियां है। ग्रेनाइट रॉक्स एवं पहाड़ियों के संरक्षणाइट की पहाड़ियां है। ग्रेनाइट रॉक्स एवं पहाड़ियों के संरक्षणे निकट से रांझी तक फैली है। वहीं घमापुर से होकर महाराजपुर तक ग्रनाइट की पहाड़ियां है। ग्रेनाइट रॉक्स एवं पहाड़ियों के संरक्षण के लिए हाईकोर्ट ने अलग-अलग जनहित याचिकाओं में आदेश दे चुके है लेकिन इसके बावजूद  अब भी खजिन विभाग पहाड़ियों को तोड़ने अनुमति दे रही है। पहाड़ियों का कत्लेआम खजिन के लिए किया ही नहीं जा रहा है और न ही विभाग को कोई रॉयल्टी मिलती है ये खेल तो सिर्फ पहाड़ी को मिटाकर वहां आवासीय भूखंड तैयार किए जाने का चल रहा है।
पीपुल्स के सामने हाल ही में एक मामला प्रकाश में है, जिसके तहत रांझी में बजरंग नगर से लगी करीब 5 एकड़ से अधिक निजी भूखंड जिसमें ग्रेनाइट की रॉक्ट प्रचुरता में मौजूद है। यह मदन महल से लेकर रांझी तक फैली पहाड़ी की श्रंखला का हिस्सा है। इस पर पिछले तीन साल से लगातर तोड़ाई का काम चल रहा है।
अचंभा का विष्य यह है कि पहाड़ी को तोड़ने के लिए हैदराबाद से बड़े बड़े कटर मंगाए गए है। जेसीबी मशीन एवं हिटाची मशीन में अन्य मशीने फिट कर पहाड़ी और चट्टाने तोड़ी जा रही है। करीब एक साल तो यहां पहाड़ी तोड़े जाने का काम चलता रहा।
शिकायतों के बाद रोक
यहां पहाड़ी अवैध तौर से तोड़े जाने की शिकायत के बाद रोक लगाई गई तो भू स्वामी बिल्डर मेसर्स महाराजपुर को खजिन उत्खनन की अनुमति रॉयल्टी की शर्त पर दी गई। निरीक्षण में छेनी हथौड़ी का उपयोग किया जाना बताया गया। इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में भी याचिका दायर की गई। इ

इसी बीच बिल्डर्स ने फिर खनन अवधि बढ़ाने मांग की तो क्षेत्रीय लोगों के विरोध में उस पर रोक लगा दी गई।
अब भी तोडी जा रही पहाड़ी
इस मामले को लेकर खनिज विभाग में शिकायर्ता करने वाले चंद्रिका प्रसाद सोनकर ने बताया कि खजिन विभाग की रोक के बावजूद सांठगांठ कर पहाड़ी तोड़े जाना जारी है। इस पहाड़ी के संरक्षण के लिए प्रशासन को भूमि अधिगृहण कर लेना चाहिए।
बिकने को तैयार है
इसी तरह बाजनामढ रोड पुरवा पर करीब 11 एकड़ की ग्रेनाइट पहाड़ी को भू स्वामी बिल्डरों के हाथें बेचने प्रयास रत है। इस पहाड़ी को तोड़ने एवं समतलीकरण के लिए खनिज विभाग से दो दफे अनुमति मिल गईहै लेकिन संयोग से पहाड़ी बची हुई है लेकिन फिर भी धीरे धीरे कर अवैध तरीके से पहाड़ी का करीब डेढ़ दो एकड़ हिस्सा नष्ट किया जा चुका है।

कई पहाड़ी नेस्तनाबूत
मदन महल क्षेत्र में शिमला हिल्स पहाड़ी जो निजी भूमि रही है, इसको तोड़कर समतल बनाकर लगभग खत्म की जा चुकी है। शारदामंदिर के निकट दानबाबा पहाड़ी कत्लेआम जारी है। बेदीनगर से लगी पहाड़ी अब भी तोड़ी जा रही है। इसी तरह कई एकड़ पहाड़ी नष्ट कर तक्षशिला इंजीनियरिंग कॉलेज बन चुका है।
कोई नियम कानून नहीं
दरअसल राजस्व रिकार्ड में हुए अनेक मालगुजारी पहाड़िया निजी हाथों में आ गई और इसके बाद भू माफिया एकएक कर पहाड़ी का कत्ल करता जा रहा है और जबलपुर के पर्यावरण से जबदस्त तरीके से खिलवाड़ किया जा रहा है। जबकि ये पहाड़ियां जबलपुर की स्वास नलिका की तरह है जहां से पूर्वाई एवं पछुआ हवाआें के शहर में बहने की दिशा तय होती है और शहर को स्वच्छ हवाएं मिलती है।

 बिना अनुमति के पहाड़ी की एक चट्टान भी नहीं तोड़ने दी जाएगी। नियम विरूद्ध बिना अनुमति के पहाड़ियों में तोड़फोड़ करने पर कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल किसी भी पहाड़ी को तोड़ने अनुमति नहीं दी गई है।
एसएन रूपला
कलेक्टर जबलपुर

Sunday, 3 September 2017

टीचर मोबाइल पहुंचेगी बच्चों को पढ़ाने


 * ज्ञानपुंज योजना शिक्षा विभाग
 अब नए  स्वरूप में करेगा शुरू
 जबलपुर। प्रदेश में वर्ष 2015 से बंद की गई ज्ञानपंजु योजना को शिक्षा विभाग दोबारा  प्रारंभ करने जा रहा है। इस योजना का नए स्वरूप के साथ लाया जाएगा। अब ज्ञानपुंज  दल के व्याख्याताओं की टीम उन स्कूलों पर सूचना मिलते ही पहुंचेगी जहां शिक्षकों की  किन्हीं कारण से कमी हो गई है। जहां विभाग को अतिथि शिक्षक भी नहीं मिल पा रहे है। बकायदा इसको लेकर विडियो कांफ्रेसिंग में घोषणा हो गई है और  समस्त जिला में एक टीम तैयार करना है।
यदि योजना लागू होने पर ठीक तरह से काम करती है तो अब शिक्षक के गैर हाजिर रहने पर बच्चों की पढ़ाई प्रभावित नहीं होगी। शिक्षक मोबाइल वैन सूचना मिलते ही तत्काल स्कूल में पहुंच जाएगी और शिक्षक अपना मोर्चा संभाल लेंगे। यूं तो वर्ष 2015 में ज्ञानपुंज योजना के तहत पहले गणित तथा विज्ञान के शिक्षक को रखा जाता था लेकिन बाद में इस में गणित,रसायन शास्त्र, भौतिक शास्त्र, जीव विज्ञान, अंग्रेजी, हिन्दी, संस्कृत, सहित अन्य सभी विषयों के शिक्षक की टीम बनाई गई।
 कमजोर स्कूल पहुंचेगे
इसके अतिरिक्त 10वीं एवं12 वी ं में जिन स्कूलों का परीक्षा परिणाम कम रहा है। वहां शिक्षा का स्तर सुधाने का काम भी मोबाइल करेगी। वहां व्याख्याता तथा वरिष्ठ शिक्षक पहुंच कर बच्चों की अतिरिक्त क्लास लेकर उन्हें होशियार बनाएंगे।
इन्हे रखा जाएगा
इस योजना में जहां अतिशेष शिक्षक को रखने के साथ ही ऐसे अतिथि शिक्षक रखें जा सकेंगे जिन्हे सरकारी स्कूल में पढ़ाने का कम से कम पांच साल का अनुभव है अथवा वे हाल ही में सेवानिवृत हुए है। योजना के तहत उपलब्ध वैन से चयनित शिक्षकों को वहां तक पहुंचाया जाएगा जहां उनकी जरूरत है, यानी की जिन स्कूलों में शिक्षक नहीं आ रहे है अथवा वहां संबंधित विषय के शिक्षकों की कमी है। शिक्षक मोबाइल के लिए शिक्षकों का चयन भोपाल मुख्यालय द्वारा किया जाएगा। इसके लिए बकायदा शिक्षकों की सूची सभी जिलों से मंगाई जाएगी।
108 की तर्ज पर चलाने का विचार
जानकारों की माने तो टीचर मोबाइल वेन को शिक्षा विभाग 108 की तर्ज पर चलाने का विचार कर रहा है। स्कूलों से आने वाली डिमांड पर तत्काल शिक्षक की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी। फिलहाल इसका कंट्रोल रूम जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में रखे जाने पर विचार चल रहा है। 

6 वीं अन्तर्राष्ट्रीय कांफ्रेंस में सम्मानित हुए अर्जुन




  जबलपुर। हमेशा अवार्ड्स के करीब रहे शासकीय आदर्श विज्ञान महाविद्यालयए जबलपुर के शोधार्थी अर्जुन शुक्ला को एक बार पुन: अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर नई ख्याति मिलीए अर्जुन को शोध नर्मदा पर उत्कृष्ट कार्य हेतु 6वीं अन्तर्राष्ट्रीय कांफ्रेंस  दिल्ली में अन्तर्राष्ट्रीय यंग साइंटिस्ट अवार्ड से सम्मानित किया गया। अर्जुन को यह सम्मान वर्ष 2017 में नर्मदा पर अब तक किये गए कार्य के आधार पर दिया गया  है।
समाज में सतत विकास विषय पर स्वामी श्रद्धानन्द कॉलेज  दिल्ली विश्वविद्यालय में 26 से 28 अगस्त 2017 को आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय कांफ्रेंस में अर्जुन शरीक हुए एवं अपना  शोध प्रस्तुत किया।  कार्यक्रम में डॉ.पीवी. खत्री,  जी रमेश कुमार, डॉ. अर्चना ठाकुर,  सचिव यूजीसी दिल्ली एवं मुख्य अतिथि शहर जबलपुर से बायो साइंस विभाग के प्रो. सुरेन्द्र सिंह उपस्थित थे।


Friday, 14 July 2017

 दीपक परोहा
9424514521

ग्लोबल वार्मिंग से स्कीन कैंसर से बचाव के लिए कवच तैयार  
* अल्ट्रावायलेट प्रोटैक्टर लेयर इजाद की शिखा ने
 
* इस शोध आईआईटी मुम्बई ने बनाया रिसर्च एसोसियेट  
 जबलपुर। बिगड़े पर्यावरण के कारण  ग्लोबल वार्मिंग जिस तेजी से बढ़ा है, उससे सूर्य की खतरनाक अल्टावॉयलेट रेज धरती में ज्यादा मात्रा में आ रही है। इससे कैंसर बढ़ा है। ओजोन लेयर कम होने पर सूर्य की खतरनाक विकिरण से बचाव के लिए साइंस कॉलेज की छात्रा शिखा चौहान ने पॉलिमर लेयर तैयार की है, जो अल्ट्रावायलेट किरणों के लिए कवच की तरह है।
   ये लेयर पॉलीथिन मटेरियल की होने के बावजूद टॉक्सीन रहित है। इसको कई चरणों में विभिन्न संस्थाओं ने परख लिया है। खतरनाक अल्ट्रावायलेट रे को पॉलिमर लेयर पार नहीं होने देती है। इस मटैरियल को अल्ट्रावायलेट प्रोटैक्टर लेयर नाम दिया गया है। ये शोध विश्व में अनूठा है। इसके सूक्ष्म लेयर को चाहे तो लेप की तरह शरीर में चिपकाया जा सकेगा। इसको जेली की तरह उपयोग किया जा सकता है। इतना ही नहीं वस्त्र उद्योग में इसका उपयोग कर घातक किरणों से बचाव करने वाले वस्त्र भी भविष्य में तैयार किए जा सकते हैं।
 सेना के लिए बेहद उपयोगी
 ये शोध सेना के लिए बेहद उपयोगी साबित हो सकता है। लद्दाख एवं हिमालय के ग्लेशियर में तैनात फौजियों के सामने सबसे बड़ी समस्या हिम से परावर्तित होकर आने वाली अल्ट्रावायलेट रेस होती है जिसके प्रभाव से फौजियों की चमड़ी पर घातक असर होता है और वे कैंसर जैसी बीमारी के शिकार हो जाते है। अनेक पर्वतारोही इसी किरणों के कारण अपनी आंखे खो देते है। ऐसे में ये लेयर उनके लिए रक्षा कवच का काम करेगी।  बर्फीले इलाके में रहने वाले लोग अपने घरों की खिड़की एवं दरवाजे में इसके पर्दे लगा सकते है। इसी तरह पायलेट अपने विमान के विन्डो में पॉलिमर लेयर चढ़ाई जा सकती है।
गहन परीक्षण हुआ
 साइंस कॉलेज की इस छात्रा की रिसर्च को वैज्ञानिक संस्थाओं ने जांचा और परखा भी है। छात्रा द्वारा तैयार यूवीपीएल(अल्ट्रावायलेट प्रोटेक्टेड लेयर) को आईआईटी मुम्बई, ट्रिपल आईटीडीम जबलपुर, इंदौर ,कलकत्ता विश्व विद्यालय के वैज्ञानिकों ने परखा और ओके किया। इसक परिणाम है कि इस नव वैज्ञानिक को आईआईटी मुम्बई ने अपने यहां रिसर्च करने के लिए दो साल का अनुबंध कर रिसर्च एशोसियेट के पद पर चयन किया है। वे 14 जुलाई से आईआईटी में रिसर्च का कार्य प्रारंभ करेंगी। इस खोज के लिए उन्हें यंग साइंटिस्ट एवार्ड मिला है। मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान भी सम्मानित कर चुके है। उनकी रिसर्च का प्रकाशन होने के उपरांत उन्हें 28 से 1 दिसम्बर तक  हांगाकांग में होने वाली इंटरनेशनल कांफ्रेंस में रिसर्च पेपर प्रजेंट करने का निमंत्रित किया गया है। उन्होंने ये अनुसंधान साइंस कॉलेज के प्रोफेसर डॉ. अनिल बाजपेई के मार्गदर्शन में किया है।
वर्जन
 मैने फिलहाल जो मैटेरियल बनया है, वह कार्बनिंग कम्पाउंड  है जिसमें जिंक आॅक्साइड रहता है। ये मटैरियल अल्ट्रावायलेट किरणों को एब्जर्व कर लेता है जिससे शरीर को नुकसान नहंी है। ये हार्ड एवं जेली दोनों अवस्था में रह सकता है।  इसका उपयोग पतली फिल्म के रूप में भी उपयोग किया जा सकता है। आंखों की सुरक्षा के लिए इसको चश्मे पर भी चढ़ाया जा सकता है।
शिखा चौहान
युवा वैज्ञानिक, जबलपुर

12 फरार पाकिस्तानियों से शहर को खतरा

12 फरार पाकिस्तानियों से शहर को खतरा
 * 17 की कांवड़ यात्रा को लेकर आईबी ने किया अलर्ट
* एसपी ने किया खुफिया तंत्र को सक्रिय 
 जबलपुर। टूरिस्ट बीजा में आए 12 पाकिस्तानी जबलपुर से  लापता हो गए है, इन लापता पाकिस्तानियों के आतंकी होने की आशंका के मद्देनजर पुलिस को अलर्ट किया गया है। आईबी ने पुलिस अधीक्षक को पत्र भेज कर 17 जुलाई को होने वाली विशाल कांवड यात्रा में हमला होने की आशंका जाहिर करते हुए अलर्ट रहने निर्देश दिए है।
 जानकारी के अनुसार पिछले कुछ सालों में जबलपुर में 70 से अधिक पाकिस्तानी नागरिक टूरिस्ट बीजा में जबलपुर आए थे। इसमें से वर्ष 2012 से 12 पाकिस्तानी लापता है। इसकी तलाश आईबी काफी समय से कर रही थी। खुफिया तंत्रों को सूचना मिली कि ये पाकिस्तानी आतंकी गतिविधियों में लिप्त हो सकते है। इसके बाद खुफिया तंत्र को यह भी जानकारी लगी कि जबलपुर में सबसे बड़ी कांवड़ यात्र 17 जुलाई को निकाली जानी है जिसको वल्ड रिकार्ड भी बनना है। इस यात्रा में गड़बड़ी  फैलाई जा कसती है। 
 पुलिस ने शुरू की तलाश
 इंटेलीजेंस से मिलने वाली सूचना के बाद जबलपुर पुलिस अधीक्षक डॉ. महेन्द्र सिंह सिकरवार ने टीम बनाकर संवेदनशील इलाकों में लापता पाकिस्तानियों की तलाश शुरू की है। 

वर्जन 
आईबी से सूचना मिलने के बाद खुफिया तंत्र को सक्रिय किया गया है। लापता पाकिस्तानियों की तलाश के लिए टीम कार्य कर रही है। पुलिस प्रशासन कांवड़ यात्रा के मद्देनजर विशेष अलर्ट है। 
डॉ. महेन्द्र सिंह सिकरवार
 पुलिस अधीक्षक जबलपुर