Saturday, 17 October 2015

एक यूनिट खून से बचेगी 3 की जान




 जबलपुर। एक यूनिट रक्त से डेंगू के तीन मरीज की जान बचाई जा सकती है। प्रदेश में मच्छर जनित रोग डेंगू के रोकथाम के लिए प्रचार प्रसार मुहिम में शासन ने रक्तदान को भी जोड़ा है। प्रदेश में वर्ष 2014-15  इस वर्ष जोरदार तरीके से डेंगू फैला है और मध्यप्रदेश में डेंगू से होने वाली मौतें तो अन्य राज्यों से कहीं अधिक है।
 प्रदेश में जहां डेंगू को प्रकोप बढ़ता जा रहा है, इसके साथ ही उतनी ही भ्रांतियां भी लोगों में बढ़ती जा रही है। डेंगू के टेस्ट के बिना ही निजी चिकित्सक भी हजारों रुपए की कीमती इंटीबायोटिक दवाइयां देकर न केवल मुनाफाखोरी कर रहे हैं बल्कि मरीज के जान से भी खिलवाड़ कर रहे हैं। एन्टीबायोटिक के उपयोग से शरीर की रोग प्रतिरोधन क्षमता स्वत: कम होने लगती है।  मलेरिया अधिकारी अजय कुरील ने बताया कि डेंगू के प्रकरण को लेकर डब्ल्यूएचओ के निर्देश हैं कि सिर्फ पैरासिटामॉल ही दी जाए। पेरासिटामॉल दरअसल एनाल्जेसिक (दर्द निरोधक) एवं बुखार रोधी दवाई है। डब्ल्यूएचओ ने खासतौर पर बच्चों को 101 डिग्री एफ.  तक बुखार आने पर इसी के उपयोग की अनुशंसा की है। दरअसल डेंगू वायरल जनित बीमारी है तथा इसके वैक्सीन एवं दवाई नहीं होती है। शरीर के रोग प्रतिरोधन क्षमता के माध्यम से ही इस पर नियंत्रण होता है। आमतौर पर तीन दिनों के बाद डेंगू नियंत्रण में आ जाता है और सात दिनों में डेंगू का मरीज स्वत: स्वस्थ हो जाता है।
 * प्लेटलेट्स घटना खतरनाक
अजय कुरीन के मुताबिक डेंगू तीन श्रेणी का डेन-1, डेन-2 और डेन-3 आमतौर पर होता है। डेन-3 टाइप के डेंगू में शरीर में तेजी से प्लेटलेट्स की कमी होती है और ऐसी स्थिति में रोगी के आंख, नाक, कान से रक्तस्त्राव होता है। प्लेटलेट्स की संख्या 15 हजार से कम होने की स्थिति में मरीज की जान बचाने के लिए रक्त चढ़ना जरूरी हो जाता है।  एक यूनिट रक्त भी महत्वपूर्ण  एक डोनर से एक यूनिट में 350 ग्राम रक्त लिया जाता है जिससे चढ़ाने योग्य 425 एमएल रक्त तैयार कर लिया जाता है। लैब में उक्त रक्त से करीब 250 ग्राम पीआरपी (प्लाजमा) तैयार किया जाता है। यही पीआरपी डेंगू मरीज के शरीर में प्लेटलेट्स की कमी करता है।
डेन -3 टाइप के घातक डेंगू के मरीज की जान रक्तदान से बच सकती है, 250 ग्राम पीआरपी से  एक ही रक्त समूह के तीन मरीजों को 75-75 एमएल चढ़ाया जा सकता है। इस वजह से डेंगू के रोकथान के प्रचार-प्रसार मुहिम में रक्तदान को बढ़ावा देने की मुहिम भी शासन द्वारा जोड़ी गई है।
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निजी पैथोलॉजी सहित मेडिकल कॉलेज तथा अन्य अस्पतालों में पीआरपी तैयार करने वाली मशीनें मौजूद है। डेंगू के मरीज के लिए रक्तदान करने वाले रक्तदाता के ब्लड से पीआरपी तैयार करने के साथ ही रक्त के शेष बचे हिस्से का भी उपयोग किया जाता है। एक यूनिट रक्त से पीआपी तैयार करने के बाद शेष रक्त को अन्य मरीज के उपयोग में लाया जा सकता है।   डॉ. अमिता जैन  प्रभारी पैथालॉजी विभाग  विक्टोरिया अस्पताल 

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