Saturday, 17 October 2015

घर के आंगन से बह रही थी खून की नाली


तकरीबन 20 साल लगातार क्राइम रिपोर्टिंग की है मैंने, अनेक हत्याकांड पर मौके-ए-वारदात पर पहुंचा, लेकिन 12 अक्टूबर 2009 को जो हौलनाक खूनी दृश्य देखा तो सकते में आ गया। सुबह-सुबह मोबाइल फोन पर किसी ने मुझे सूचना दी कि सैनिक सोसायटी में एक साथ 7 हत्याएं हो गई हैं। मामला बड़ा होने के कारण तत्काल मौके पर पहुंचा। सैनिक सोसायटी कॉलोनी में घुसते ही पूरी कॉलोनी में जगह-जगह पुलिस बल तैनात दिखा। घटनास्थल के आसपास लोगों की भीड़ के बजाय पुलिस वालों की भीड़ थी। उनके बीच से होता हुआ, जब उस घर के आंगन के पास पहुंचा तो देखा कि आंगन खून से रंगा हुआ है, घर के भीतर से बहती हुई खून की धार आंगन से होते हुए सड़क पर बह रही थी। यूं तो किसी को उस दौरान पुलिस वाले भीतर नहीं जाने दे रहे थे, किन्तु मुझे जाने की इजाजत दे दी। अन्दर कमरे में तीन लाश पड़ी हुई थीं, जो खून से सनी थीं। इतना वीभत्स दृश्य था, अगले कमरे में झांका तो वहां भी दीवार और फर्श खून से रंगे थे, यूं लग रहा थी पूरे घर में खून की होली खेली गई। तत्कालीन एएसपी सत्येन्द्र शुक्ला से घटनास्थल पर बातचीत हुई तो उन्होंने बताया कि परिवार के मखिया ने ही अपने बूढ़ पड़ोसी, अपनी  मां ा, अपनी पत्नी तथा अपने मासूम बच्चों की हत्या कर दी है। वह इसलिए परेशान था कि पड़ोसी से नाली का विवाद चल रहा था। इसके साथ ही मुझे ध्यान आया कि जिस पड़ोसी से आरोपी का नाली के लिए विवाद चल रहा था, वह पड़ोसी मेरे प्रेस के एक आॅपरेटर का ससुर था। घटना के एक दिन पहले ही गढ़ा थाने में दोनों पक्षों ने एक-दूसरे की शिकायत की थी और एक पड़ोसी पक्ष को पुलिस ने थाने में बैठाकर रखे हुए था, मुझसे इस मामले में हस्तक्षेप कर एक पक्ष को छुड़वाने का प्रयास करने कहा गया, लेकिन न जाने क्यूं मेरी आत्मा इस मामले में हस्तक्षेप न करने कह रही थी, मैंने कोई रुचि नहीं दिखाई और दूसरे दिन खून की होली देखने मिली। इस घटना का मेरे मन में ऐसा असर हुआ है कि शहर में अब भी जब कभी पड़ोसियों के बीच अक्सर होने वाले नाली के विवाद का मामला आता है तो सैनिक सोयायटी की ये घटना जेहन में ताजा हो जाती है। 12 अक्टूबर 2009 को सुबह सुनील का व्यवस्था के प्रति आक्रोश ने अपनी  मां मुन्नी बाई उम्र 60 वर्ष, पत्नी ज्योति उम्र 33 वर्ष, बहन संगीता उम्र 22 वर्ष, पुत्र हिमांशु उर्फ हैप्पी 6 वर्ष, रूद्रांश उर्फ लक्की उम्र 3 वर्ष, भांजा राजुल उम्र 2 वर्ष को कुल्हाड़ी से मौत के घाट उतार दिया। इस लोमहर्षक घटना के बाद आज दिनांक तक नालियों के विवाद पर सिर फूट रहे हैं। करीब दो साल बाद फिर मामला एक बार फिर ताजा हुआ, हत्या के आरोपी सुनील सेन को उम्र कैद की सजा सुनाई गई तथा सात हजार रुपये का जुर्माना भी किया गया।  जबलपुर के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश बीपी शुक्ला की अदालत में प्रकरण की सुनवाई हुई थी, लेकिन दुख इस बात का है कि सुनील सेन जिसका पूरा परिवार खत्म हो गया, वही इस मामले में आरोपी है। विचारणीय है कि उसी रात गढ़ा पुलिस मामूली विवाद में सुनील को न्याय देकर संतुष्ट कर देती तो शायद ये नरसंहार न होता।

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