Saturday, 17 October 2015

टीबी का अधूरा इलाज बेहद खतरनाक


डॉ. आरके बाधवा
नाक-कान-गला विशेषज्ञ
फोन-0761-2411993
जबलपुर के ख्यातिलब्ध नाक-कान-गला रोग विशेषज्ञ डॉ. आरके बाधवा की स्वयं के हॉस्पिटल में प्रतिदिन  मरीजों की भारी भीड़ लगी रहती है। उन्होंने असाध्य मामले में इलाज किया है, लेकिन उनका कहना है कि आज भी देश मे टीबी एक खतरनाक बीमारी है, जिसका पूर्ण इलाज बेहद आवश्यक है। अधूरा इलाज बेहद खतरनाक होता है जिससे मरीज को ड्रग रजिस्टेंट ट्यूबरक्लोसिस हो जाता है।
उन्होंने टीबी के संबंध में बताया कि देश में हर वर्ष टीबी के लाखों नए मरीज शिकार हो रहे हैं। करीब 26 लाख लोगों की हर वर्ष इस बीमारी से मौत होती है। टीबी भारत में 30 प्रतिशत जनसंख्या में फैला हुआ है। ये बीमारी शहर एवं देहात सभी जगह पाई जा रहा है। इस रोग में मृत्युदर में गिरावट आई है, लेकिन इसके बावजूद चिंताजनक स्थिति अब भी बनी है।
बीमारी के कारण के संबंध में आपने

Ñबताया कि माइक्रो बैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस के संक्रमण से बीमारी होती है। यदि टीबी का रोगी जिसने इसका इलाज नहीं कराया है अथवा अधूरा इलाज कराया है, वह रोगी बीमारी फैलाव का मुख्य कारण बनता है, लेकिन वर्तमान में अच्छी और असरकारक दवाइयां आने लगी हैं। दवाई के दो दिन सेवन करने के बाद बैक्टीरिया के फैलाव की ताकत 60 प्रतिशत कम हो जाती है। टीबी के मरीज को पौष्टिक आहार, हलका व्यायाम तथा योग करना चाहिए। टीबी के संक्रमण से बचाव के लिए नवजात शिशु को बीसीजी तथा साथ में डीपीटी का टीका लगवाना चाहिए। डॉ. बाधवा का कहना है कि टीबी के इलाज के चलते अधूरा इलाज कराने से ड्रग रजिस्टेंट ट्यूबरक्लोसिस हो जाता है। ऐसे में मरीज को कई बार दवाइयां असर नहीं करती हैं और लाइलाज बीमार में तब्दील हो जाता है। अमूमन गले में गिल्टी टीबी की बीमारी का सूचक होता है। 

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