Saturday, 5 December 2015

पलायन के चक्कर में तेजी से फैल रहा एचआईवी


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 आदिवासी जिलों में पीड़ितों की संख्या हुई चार गुना
* जिम्मेदार भी हैरान
दीपक परोहा
 9424514521
जबलपुर। मंडला और डिंडोरी जिले से बड़ी संख्या में श्रमिकों की गैंग पड़ोसी जिले जबलपुर ही नहीं मध्य प्रदेश के अन्य जिलों एवं प्रदेश के बाहर भी जाती है। अल्प वर्षा से प्रभावित आदिवासी क्षेत्र से श्रमिकों का तेजी से पलायन हो रहा है। ऐसे में बड़ी संख्या में एचआईवी पॉजिटिव श्रमिक भी बड़ी संख्या में बाहर गए हैं। अनेक आदिवासी जो एचआईवी संक्रमित है यदि वे किसी से संबंध बनाते हैं, जो एचआईवी के फैलाव का होना तय है। इसके साथ ही एचआईवी के प्रति आदिवासियों मे जागरुकता की कमी बड़ा रोड़ा है।
आदिवासी जिलों में पांच सालों में एड्स के कुल मरीजों की संख्या चार गुना हो चुकी है। इससे जिम्मेदार भी हैरान में है। मलेरिया टेस्ट के साथ ही एचआईवी टेस्ट के लिए ब्लड के नमूने लिए जा रहे है। आदिवासी महिला एवं पुरुष श्रमिक तेजी से एचआईवी ग्रसित हुए हैं। उनके बढ़े हुए आंकड़े से स्वास्थ्य अमला भी चौक गया है। आदिवासियों में एचआईवी का आना जाहिर करता है कि वे काम के सिलसिले में अपने गांव एवं घर से महीनों बाहर रहते हैं। इसमें बड़ी संख्या में विवाहित-अविवाहित पुरुष एवं महिलाएं शामिल रहती हैं। यूं तो जिले में मिलने वाले आंकड़ों में यह स्पष्ट नहीं है कि एचआईवी पीड़ित आदिवासी हैं अथवा गैर आदिवासी, किन्तु जाहिर है आदिवासी बाहुल्य जिले में एचआईवी के प्रकरण चार गुना से अधिक बढ़ना जाहिर करते हैं कि आदिवासियों में एड्स तेजी से फैल रहा है। एक तथ्य यह भी सामने आया है कि महिलाओं की तुलना में पुरुषों में एसआईवी तेजी से बढ़ा है। इससे बहुत बड़ा कारण पुरुषों का काम के  सिलसिले में महीनों घरों से बाहर रहना तथा महिलाएं ज्यादा संख्या में अपने घर गांव में रुक जाती है, किन्तु आदिवासी महिलाएं भी पुरुषों के साथ काम के सिलसिले में बाहर जाती है। मंडला जिले में बीते 4 सालों में एचआईवी के 107 नए मरीज मिल चुके है। इसी तरह डिंडोरी जिले में 5 चार साल में एचआईवी के 50 से अधिक नए मरीज मिल चुके हैं, वहीं चार साल में एचआईवी पीड़ित मरीजों की संख्या दोनों जिले में चार गुना बढ़ चुकी है। 

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