डुमना बन गया तेन्दुये का ठिकाना 24.10.05
जबलपुर। डुमना, खमरिया तथा ईडीके इलाके को तेन्दुओं ने अपना ठिकाना बना चुके हैं। बारिश खत्म होने के बाद और ठंड के सीजन की शुरुआत प्रारंभ से इन इलाकों में तेन्दुओं की हलचल बढ़ती है और हर साल बस्तियों में घुसते हैं, लेकिन इसके बावजूद तेन्दुआ अब इंसान से रिश्ते कायम कर रहा है। उनकी बस्तियों के करीब रहना सीख रहा है। इंसान तो दूर उनके मवेशियों पर भी हमला करने से बचता है।
वन प्राणी विशेषज्ञों की मानें तो जंगल सिमट गए हैं और इंसानी बस्तियां जंगल तक पहुंची गई हैं। इंसान बस्तियां और जंगल पड़ोसी हो गए। जानवरों के इलाके में इंसानी दखल के बावजूद इंसान जंगल से लौट आते हैं कि यदि कोई जानवर इंसानी बस्ती में घुस आए तो इसके लिए रेस्क्यू टीम लगानी पड़ती है। वहीं इन हालातों के बीच भी तेन्दुओं इंसानों का पड़ोसी बनता जा रहा है। अमूमन देश अधिकांश बड़े महानगरों में तेन्दुए की इंसानी मुहल्लों में घुसपैठ की खबर बनी रहती है। जबलपुर में डुमना, ईडीके, सीता पहाड़, खमरिया इस्टेट, डुमना से लगा ओएफके परिसर तेन्दुओं का ठिकाना बन चुका है। दशकों से यहां तेन्दुए की हलचल रही है, किन्तु अब तक इंसान पर हमले की कोई गंभीर घटना नहीं हुई है। अलबत्ता बीते वर्ष फैक्टरी कर्मियों के टाइप टू में एक महिला पर तेन्दुए ने अचानक हमला बोल दिया था। इसकी वजह सिर्फ इतनी थी तेन्दुये को भ्रम हो गया था कि वह उसका शिकार है। इसी तरह इस वर्ष गोहलपुर क्षेत्र से लगे मंगेली गांव में भटक कर आ गए एक तेन्दुये ने एक किसान पर हमला इसलिए कर दिया कि उसने तेन्दुये पर पहले लाठी से वार कर दिया था।
प्राणी विशेषज्ञों की मानें तो तेन्दुआ तेजी से इंसानों के करीब रहना सीख रहा है। तेन्दुआ को छिपकर शिकार करने का जबरदस्त हुनर आता है ऐसे
में वह इंसान को आसानी से अपना शिकार बना सकता है, लेकिन बाघों की तुलना में तेन्दुये कम ही इंसान पर हमला करते हैं।
प्राणी विशेषज्ञ जबलपुर स्थित डुमना नेचर पार्क में ठंड के सीजन में मादा तेन्दुये की दस्तक हर वर्ष शुरू हो जाती है। वर्षों से मादा तेन्दुआ डुमना के जंगल से होते हुए ओएफके की दीवार फांद कर सुरक्षित परिसर में आ जाती है। इस दौरान संभवत: मादा तेन्दुआ अपने शावकों को जन्म देती है। इसके अतिरिक्त यह भी महसूस किया गया है कि ठंड के सीजन की शुरुआत से ही डुमना, खमरिया तथा परियट डैम के आसपास तेन्दुये की हलचल बढ़ जाती है। वर्षों से इस क्षेत्र में निश्चित सीजन पर तेन्दुए आते रहे हैं, तेन्दुए ने इस क्षेत्र को अपना ठिकाना बना लिया है। गत वर्ष सिविल लाइन क्षेत्र पचपेढ़ी में साइंस कॉलेज परिसर में तेन्दुआ देखा गया था। तेन्दुये ने सिविल लाइन में एक मवेशी को मारा भी था। इसके अतिरिक्त सीता पहाड़ी क्षेत्र में सांभर का शिकार भी गत वर्ष तेन्दुये ने किया था।
अभी से दस्तक शुरू
डुमना स्थित ट्रिपल आईटीडीएम परिसर में दिन में ही तेन्दुआ के घुस आने से हड़कम्प मच गया था। वहां से तेन्दुआ समीप स्थित जंगल में चला गया। वन अमले ने मौके पर पहुंच कर जांच-पड़ताल की तो तेन्दुये का पग मार्क मिले। इसके बाद उसकी आसपास में हलचल देखी गई। वन विभाग ने डुमना के आसपास अपनी गश्त बढ़ा दी है, लेकिन टीम तेन्दुये को पकड़ कर उसे घने जंगल में छोड़ने कोई आॅपरेशन चलाने के मूड में नहीं, चूंकि इस तेन्दुए ने अभी तक इंसानी मवेशी पर भी हमला नहीं किया है। वन्य प्राणी विशेषज्ञों की मानें तो तेन्दुआ आवारा कुत्तों का शिकार करने के चक्कर में कई बार बस्तियों में घुस आता है।
...वर्जन...
तेन्दुआ अब जंगल से लगे शहरी इलाके एवं बस्तियों से अच्छी तरह अवगत हो चुका है। वन प्राणियों के नैसर्गिक इलाकों में हम घुस चुके हैं। अत: तेन्दुये की समस्या कभी-कभी सामने आ जाती है। इसके लिए वन विभाग की मॉनीटरिंग चलती रहती है। हमारे पर रेस्क्यू टीम भी मौजूद है। हमारे सामने प्राण्ी को बचाने की चुनौती रहती है, साथ ही यह भी प्रयास रहता है वन्य प्राणी इंसान को कोई नुकसान न पहुंचा पाए।
विसेंट , कन्जवेटर, जबलपुर
जबलपुर। डुमना, खमरिया तथा ईडीके इलाके को तेन्दुओं ने अपना ठिकाना बना चुके हैं। बारिश खत्म होने के बाद और ठंड के सीजन की शुरुआत प्रारंभ से इन इलाकों में तेन्दुओं की हलचल बढ़ती है और हर साल बस्तियों में घुसते हैं, लेकिन इसके बावजूद तेन्दुआ अब इंसान से रिश्ते कायम कर रहा है। उनकी बस्तियों के करीब रहना सीख रहा है। इंसान तो दूर उनके मवेशियों पर भी हमला करने से बचता है।
वन प्राणी विशेषज्ञों की मानें तो जंगल सिमट गए हैं और इंसानी बस्तियां जंगल तक पहुंची गई हैं। इंसान बस्तियां और जंगल पड़ोसी हो गए। जानवरों के इलाके में इंसानी दखल के बावजूद इंसान जंगल से लौट आते हैं कि यदि कोई जानवर इंसानी बस्ती में घुस आए तो इसके लिए रेस्क्यू टीम लगानी पड़ती है। वहीं इन हालातों के बीच भी तेन्दुओं इंसानों का पड़ोसी बनता जा रहा है। अमूमन देश अधिकांश बड़े महानगरों में तेन्दुए की इंसानी मुहल्लों में घुसपैठ की खबर बनी रहती है। जबलपुर में डुमना, ईडीके, सीता पहाड़, खमरिया इस्टेट, डुमना से लगा ओएफके परिसर तेन्दुओं का ठिकाना बन चुका है। दशकों से यहां तेन्दुए की हलचल रही है, किन्तु अब तक इंसान पर हमले की कोई गंभीर घटना नहीं हुई है। अलबत्ता बीते वर्ष फैक्टरी कर्मियों के टाइप टू में एक महिला पर तेन्दुए ने अचानक हमला बोल दिया था। इसकी वजह सिर्फ इतनी थी तेन्दुये को भ्रम हो गया था कि वह उसका शिकार है। इसी तरह इस वर्ष गोहलपुर क्षेत्र से लगे मंगेली गांव में भटक कर आ गए एक तेन्दुये ने एक किसान पर हमला इसलिए कर दिया कि उसने तेन्दुये पर पहले लाठी से वार कर दिया था।
प्राणी विशेषज्ञों की मानें तो तेन्दुआ तेजी से इंसानों के करीब रहना सीख रहा है। तेन्दुआ को छिपकर शिकार करने का जबरदस्त हुनर आता है ऐसे
में वह इंसान को आसानी से अपना शिकार बना सकता है, लेकिन बाघों की तुलना में तेन्दुये कम ही इंसान पर हमला करते हैं।
प्राणी विशेषज्ञ जबलपुर स्थित डुमना नेचर पार्क में ठंड के सीजन में मादा तेन्दुये की दस्तक हर वर्ष शुरू हो जाती है। वर्षों से मादा तेन्दुआ डुमना के जंगल से होते हुए ओएफके की दीवार फांद कर सुरक्षित परिसर में आ जाती है। इस दौरान संभवत: मादा तेन्दुआ अपने शावकों को जन्म देती है। इसके अतिरिक्त यह भी महसूस किया गया है कि ठंड के सीजन की शुरुआत से ही डुमना, खमरिया तथा परियट डैम के आसपास तेन्दुये की हलचल बढ़ जाती है। वर्षों से इस क्षेत्र में निश्चित सीजन पर तेन्दुए आते रहे हैं, तेन्दुए ने इस क्षेत्र को अपना ठिकाना बना लिया है। गत वर्ष सिविल लाइन क्षेत्र पचपेढ़ी में साइंस कॉलेज परिसर में तेन्दुआ देखा गया था। तेन्दुये ने सिविल लाइन में एक मवेशी को मारा भी था। इसके अतिरिक्त सीता पहाड़ी क्षेत्र में सांभर का शिकार भी गत वर्ष तेन्दुये ने किया था।
अभी से दस्तक शुरू
डुमना स्थित ट्रिपल आईटीडीएम परिसर में दिन में ही तेन्दुआ के घुस आने से हड़कम्प मच गया था। वहां से तेन्दुआ समीप स्थित जंगल में चला गया। वन अमले ने मौके पर पहुंच कर जांच-पड़ताल की तो तेन्दुये का पग मार्क मिले। इसके बाद उसकी आसपास में हलचल देखी गई। वन विभाग ने डुमना के आसपास अपनी गश्त बढ़ा दी है, लेकिन टीम तेन्दुये को पकड़ कर उसे घने जंगल में छोड़ने कोई आॅपरेशन चलाने के मूड में नहीं, चूंकि इस तेन्दुए ने अभी तक इंसानी मवेशी पर भी हमला नहीं किया है। वन्य प्राणी विशेषज्ञों की मानें तो तेन्दुआ आवारा कुत्तों का शिकार करने के चक्कर में कई बार बस्तियों में घुस आता है।
...वर्जन...
तेन्दुआ अब जंगल से लगे शहरी इलाके एवं बस्तियों से अच्छी तरह अवगत हो चुका है। वन प्राणियों के नैसर्गिक इलाकों में हम घुस चुके हैं। अत: तेन्दुये की समस्या कभी-कभी सामने आ जाती है। इसके लिए वन विभाग की मॉनीटरिंग चलती रहती है। हमारे पर रेस्क्यू टीम भी मौजूद है। हमारे सामने प्राण्ी को बचाने की चुनौती रहती है, साथ ही यह भी प्रयास रहता है वन्य प्राणी इंसान को कोई नुकसान न पहुंचा पाए।
विसेंट , कन्जवेटर, जबलपुर
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