Sunday, 19 April 2015

ध्य प्रदेश के जंगलों में अब घुलेगी रक्त चंदन की खुशबू


राज्य वन अनुसंधान केन्द्र में लाल चंदन की रोपणी तैयार, हजारों वृक्ष विभिन्न जंगलों में लगाए
दीपक परोहा
7771837888
जबलपुर। सतपुला के घने सागौंन के जंगलों के में टेसू और पलाश के फूलदार एवं खुशबू वाले वृक्षों के साथ ही अब लाल चंदन की महक से जंगल महकेंगे। इसके लिए राज्स वन अनुसंधान केन्द्र को बड़ी सफलता मिल चुकी है। अत तक हजारों की संख्या में पौधे तैयार किए जा चुके है और उनका जंगलों में रौपण भी किया गया है। इनमें से कई पौधे काफी बड़े हो चुके है और कुछ अभी सरवाइव कर रहे है।
 कडप्पा के जंगल में होता है
दक्षिण भारत में कडप्पा के जंगल में ही सिर्फ रक्त चंदन के पौधे है। इस रक्त चंदन की लकड़ी इमारती लकड़ी के रूप में उपयोग होती है। इसके अतिरिक्त सेंट उद्योग, दवा उद्योग तथा कास्मेटिक्स आइटम व पूजन सामग्री में भारी मात्रा में उपयोग की जातीहै। एक 1000 रूपए  से 2000 हजार रूपए किलो तक की कीमत में बिकती है। लकड़ी की

डिमांड इतनी रहती है कि इसकी पूर्ति नहंी की जा सकती है। पत्ती को छोड़ पूरा पेड़ लाल रंग का होता है।
मध्य प्रदेश में रोपण
राज्यवन अनुसंधान केन्द्र में वर्ष 2002 से रक्त चंदन के पौधे तैयार करने का कार्य चल रहा है। अब तक अमरकंटक से लेकर होशंगाबाद तक नर्मदा नदी के किनारे रक्त चंदन के पौधे रोप जा चुके हैं। इसके अतिरिक्त बैतूल, होशंगाबाद, सिवनी, बालाघाट तथा मंडला एवं छत्तीसगढ़ के जंगल में रक्त चंदन के पौधे रोपे गए है। इनमें से कुछ बड़े भी हो गए। आने वाले समय में सतपुला के जंगल लाल चंदन की खुबबू से महकने लगेंगे। इस  करोड़ो रूपए की वन संपदा का इजाफा भी होगा।
वर्जन
रक्त चंदन के बीच कड्प्पा से  मंगाकर उससे प्लांट अनुसंधान केन्द्र में तैयार किए जा रहे है। पौध पूजापाठ के भी काम में आते है। वन विभाग को पौधे बेचे जाते  है। इसके अतिरिक्त कुछ संख्या में प्रायवेट व्यक्तियों को भी पौधे

बेचे जाते है। अनुसंधान से यह हम इस  नतीजे पर  पहुंच है कि मध्य प्रदेश के लगभग सभी जंगलों का पर्यावरण एवं जलवायु इस तरह की है कि यहां रक्त चंदन के पौधे पनप सकते है। धीरे-धीरे कर रक्त चंदन प्रदेश के लगभग सभी जंगलों में लगाए  जाएंगे।
डॉ परवेज जलील
पौधा विशेषज्ञ एवं  नर्सरी हैड
राज्य वन अनुसंधान केन्द्र

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