Friday, 12 June 2015

Newsप्रदेश के किसान सीख रहे एसडब्ल्यूआई खेती

 जबलपुर। अमूमन एक एकड़ खेत में किसान को गेहूं की बोनी के लिए 70 से 80 किलो गेहंू के बीज का छिंडकाव करना पड़ता है। उपचारित और अच्छे बीज की कीमत रोज बढ़ रही है। ऐसे में किसानों को अब महा बचत का तरीका कृषि विभाग सिखा रहा है। खेत में फालतू बीज नहीं फेंकना पड़ेगा। अत्याधुनिक और रिसर्च पर आधारित गेहूं बोनी और उपज हासिल करने की पद्धति विकसित हुई है। इस पद्धति से मालवा अंचल तथा महाकौशल अंचल के अनेक किसानों को खेती कराई गई। अब जब उपज आई तो इस नई पद्धति एसडब्ल्यूआई के चमत्कार देखने मिले है। उपज कई गुना बढ़ी इसके साथ ही ओला और पानी की जबदस्त मार में भी फसल बच गई। कृषि विभाग इस रिजल्ट से बेहद आशान्वित है दूसरी तरफ किसानों में इसे सीखने जबदस्त उत्साह है।   कृषि विभाग के अनुसार सिस्टम आॅफ वीट इंटेन्सिफिकेशन (एसडब्ल्यूआई ) अत्याधुनिक गेहंू खेती का एक तरीका है। इसे जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय सहित देश के अन्य गेहूं एवं कृषि वैज्ञानिकों ने पद्धति विकसित है। जबलपुर संभाग के लगभग सभी जिलों में छोटे किसाने जिनके पास एक दो एकड़ जमीन है उन्हें चुनकर इस तरीके से खेती कराई गई। पाटन तहसील के ग्राम उड़ना में करीब आधा सैकड़ा किसानों ने इस तरीके से खेती सीखी और की। अब वे इतने परंगत हो गए हैं कि अन्य किसानों को भी आधुनिक खेती सिखा सकते है। जबलपुर के लगभग सभी जिलों में किसानों को एसडब्ल्यूआई पैटर्न सिखाया गया है। इस वर्ष इसका दायरा और अधिक बढ़ाया जाएगा।   क्या है तरीका  एसडब्ल्यूआई के तहत एक एकड़ में गेहूं की बोनी करने के लिए किसान को दस किलो बीज लेने के बाद हल्के गर्म पानी का बीज में छिडकाव कर उसे अंधेरे में रखा जाता है। उसमें अंकुर अच्छी तरह से आ जाने के बाद आठ -आठ इंच की दूरी में दो से तीन अंकुरित बीज को बोया जाता है। यह कुछ धान के रोपा लगाने की तरह होता है। इस तहर से बीज बोने से बीज की बचत होती है। 80 किलो की जगह मात्र दस किलो बीज लगता है।   क्या परिणाम मिले इस तरके से खेती करने पर चौकाने वाले परिणाम आए। गेहूं के पौधों में दूरिया होने होने के कारण वे मजबत थे। अमूमन गेहूं में 10 से 15 कंसे फूटते है लेकिन इस तरीके से खेती करने पर 30 से 40 कसें फूटे। एक एकड़ में किसान जहां 10-15 क् िवंटल उपज लेता था, वहीं कम बीज में उसमें 25 से 30 क्विंटल तक गेहूं की उजप ली। परम्परागत पद्धति से पांच एकड़ जमीन में जितनी उपज होती थी, वह एक एकड़ में ली गई। सर्वाधिक महत्वपूर्ण परिणाम यह आया कि इस तरह से बीजारोपण करने वाले किसानों की फसल ओला और भारी वर्षा में खड़ी रही। उनकी जड़े मजबूत होने के कारण प्राकृतिक आपदा में भी खड़ी रही और पेड नहीं गिरे।  वर्जन  एसडब्ल्यूआई से बीजारोपण करने के बेहत अच्छे परिणाम सामने आए है। कृषि विभाग द्वारा किस तरीके से खेती करने का कार्य युद्ध स्तर पर सिखाया जाएगा जिन किसानों ने इस तरीके से खेती की है, वे अन्य को भी सिखा सकते है। छोटे और कम जमीन वाले किसानों के लिए खेती फायदे का धंधा साबित होगी।  बीपी त्रिपाठी संयुक्त संचालक कृषि   अमूमन होती है, उतनी उसने इसके तहत किसान को एक एकड़ के लिए दस किलो गेहूं के बीज लेकर उसको गर्म पानी की सहायाता से अंकुरित किया जाता है। अंकुर कुछ बड़ा होने पर     

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