दीपक परोहा
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जबलपुर। कमलेश अग्रवाल वर्तमान में नगर निगम में पार्षद एवं मेयर इन काउंसिल सदस्य हैं और भाजपा के सक्रिय कार्यकर्ताओं में हैं। राजनीति से हटकर समाज सेवा भी कमलेश अग्रवाल अग्रवाल के जीवन का एक हिस्सा है लेकिन इसे चर्चा और सुर्खियों में रखने पर भरोसा नहीं करते हैं। समाज सेवा के क्षेत्र में कमलेश अग्रवाल ने एक अनूठा कार्य कर रहे है जिसपर किसी का ध्यान नहीं जाता है।
वे अपने इस कार्य से केन्द्रीय जेल जबलपुर में वर्षो से सजा काट रहे और अपने समाज और परिवार से उपेक्षित बंदियों के रहनुमा बन गए हैं। दरअसल जबलपुर केन्द्रीय जेल ही नहीं प्रदेश भर के जेल में सैकड़ों की संख्या में ऐसे बंदी हैं जिनकी सजा खत्म हो जाती है लेकिन आर्थिक परेशानियों ओर परिवार व अपने समाज की उपेक्षा के कारण अपना अर्थदण्ड जमा नहीं कर पाते हैं जिससे उन्हें सश्रम कारावास पूरा भुगतने के बाद भी अर्थदण्ड जमा न कर पाने के कारण कारवास भोगना पड़ता है। खासतौर पर जीवन कारवास की सजा प्राप्त बंदी इनमें शामि हैं जिन्होंने 14 साल की सजा पूरी कर ली और आजाद होने का स्पप्न संजोए है लेकिन आर्थिक तंगी के कारण काल कोठरी में मुक्ति नहीं मिल पाती है। कैद के दिन बढ़ जाते है ऐसे में एक-एक घंटे उन्हें वर्ष समान लगते है। ऐसे बंदियों का अर्थदण्ड जमा करने का काम पिछले पांच साल से कमलेश अग्रवाल कर रहे है। इसके इस कार्य में उनके मित्र एवं परिवार का सहयोग मिलता है।
15 अगस्त को होती है थोक में रिहाई
कमलेश अग्रवाल जेल के अधिकारियों से संपर्क करके उन बंदियों के सम्बंध में पतासाजी करते हैं जिनको उनके परिवार वाले उपेक्षित कर चुके है। उनका सामाजिक बहिष्कार लगभग हो चुका है। उनसे मिलने जुलने कोई नाते रिश्तेदार नहीं आते हैं और वे अर्थदण्ड भरने की स्थिति में नहंी है। उनकी कुछ महीने या दिनों की सजा भी 15 अगस्त के मौके पर माफ करती है उन बंदियों का अर्थदण्ड श्री अग्रवाल स्वयं भरते हैं, और 15 अगस्त को थोक में रिहाई होती है। यूं तो प्रदेश भर के जेलों में ऐसे बंदियों की भरमार हैं लेकिन व्यकित की अपनी सीमाएं होती है। कमलेश अग्रवाल अपने सामर्थ के हिसाब से केन्द्रीय जेल जबलपुर के बंदियों को रिहा कराने में अपना योगदान देतें है। ये बंदी जबलपुर के कम बाहरी जिलों के ज्यादा होते है। उनकी रिहाई से कमलेश को राजनैतिक लाभ तो नहीं मिलता है लेकन मन में किसी को आजादी दिलाने का जो सकून महसूस करते हैं उसे वे अनमोल मानते है। कमलेश अग्रवाल की अपेक्षा है कि और शहर ही नहीं प्रदेश के भी और लोग इस तरह के कार्य के लिए आगे आए, जिससे धन के कारण कोई बेवजह एक दिन की भी सजा न काटे।
4 सौ से अधिक को रिहा कराया
श्री अग्रवाल ने अब तक 400 से अर्थिक बंदियों को रिहा करा चुके हैं। स्वयं एवं परिवार के सहयोग से करीब 4 लाख रूपए का अर्थदण्ड इन बंदियों के बदले भर चुके है। बंदियों को रिहा कराने के अतिरिक्त प्रतिवर्ष वे एक रक्तदान शिविर करते है जिसमें दो से तीन सौ लोग रक्तदान करते है। वे प्रतिवर्ष 31 दिसम्बर को वृद्धजनों के लिए भंडारे का आयोजन करते हैं। उन्होंने छात्र राजनीति से अपना राजनैतिक कैरियर शुरू किया। 45 वर्षीय श्री अग्रवाल 20 साल से सक्रिय राजनीति में है तथा दूसरी बार मेयर इन काउंसिल सदस्य नगर निगम में बने है। इसके अतिरिक्त भाजयुमों में विभिन्न पदों में रह चुके हैं।
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