Friday, 12 June 2015

बजट के अभाव में क्रोकोडायल हुए लावारिस

    जबलपुर। परियट नदी मगरमच्छ का प्राकृतिक घर होने के कारण जबलपुर में सन 2009 से क्रोकोडायल कम्यूनिटी रिसर्च प्रोजेक्ट को यूएनडीपी के सहयोग से प्रारंभ हुुआ लेकिन क्रोकोडायल के संरक्षण के प्रति जानकार लोगों की कमी और फिजूलखर्ची के चलते प्रोजेक्ट बंद हो गया है। इस प्रोजेक्ट को वन विभाग अपने बलबूते चलाने पर विचार कर रहा है लेकिन बजट के अभाव में क्रोकोडायल लावारिस हो गए है। बहरहाल वन रक्षा समिति तथा स्थानीय प्राणी विशेषज्ञों के बलबूते मगरमच्छ का संरक्षण का कार्य जबलपुर में चल रहा है। गर्मियों के कारण परियट नदी जगह जगह सूखने के कारण भी मगरमच्छ को अपने स्थान बदलने पड़ रहे है। जबलपुर में एक अच्छी बात ये है कि यहां मगरमच्छ के शिकार की अब तक एक भी घटनाएं नहीं हुई है। यहां स्थित परियट जलाशय से लेकर खमरिया तक फैल परियट नदी और इस नदी के  सहायक नालें मगरमच्छ के घर है किन्तु प्रतिवर्ष बारिश को नाले तथा परियट में आने वाली बाढ़Þ के परिणाम स्वरूप मगर के बच्चे फल्ड के पानी में बहकर समीपस्थ ग्राम के खेतों में चले जाते थे। इसमें से कुछ ही जीवित बचते रहे हैं। वहीं मगर भी नदी स्थित अपने घर छोड़ कर गांव की ओर पहुंच कर हादसे का शिकार होते रहे है जिससे इनकी संख्या बेहद कम हो गई थी।मगरमच्छ संरक्षण के  के लिए  वर्ष 2009 से क्रोकोडायल कम्यूनिटी प्रोजेक्ट शुरू किया गया। इस प्रोजेक्ट के लिए यूएनडीपी से करीब 30 लाख की राशि स्वीकूत हुई। इसके तहत परियट से झुरझुर तक मगर का प्राकृतिक आवास विकसित करना था, लेकिन वह आज तक विकिसत नहीं हो पाया अलबत्ता प्रोजेक्ट ही बंद हो गया है।अब वन विभाग अपने बलबूते उनका घर  आबाद करने कबायद कर रहा है लेकिन बजट के अभाव में मगरमच्छ लावारिस हो गए हैं।   फिजूलखर्ची हुई प्रोजेक्ट में  जानकारों का कहना है कि मगरमच्छ का कैसे और किस तरह संरक्षण करना है इसकी तननीकि जानकारी के अभाव में प्रोजेक्ट में फिजूल खर्ची ज्यादा कर दी गई। इसकी तुलना में मगरमच्छ को संरक्षण का लाभ नहीं मिला। यही प्रोजेक्ट बंद होने का मुख्य कारण बना। परियट से मगरमच्छ बाहर न आए इसके लिए फैसिंग की गई थी लेकिन वह भी चोरी चली गई है।  नदी -नाले के पाट उंचे करने थे बताया गया कि मगरमच्छों के प्राकृतिक आवास विकसित करने नदी एवं नाले के पाटों को उंचा करना था जिससे फ्लड में वे बहें न और नदी छोड़कर भी न जाए लेकिन तमाम कार्य अधूरे पड़े है और अब भी बारिश में मगरमच्छ पर मुसीबत आती है। जानकारी के अनुसार अभी परियट में करीब 60 से अधिक क्रोकोडायल है।  ------------ परियट में क्रोकोडायल के संरक्षण के लिए वन रक्षा समिति एवं ग्रामीणों के सहयोग से लगातार कार्य चल रहा है। वन विभाग अपने स्त्रोत से क्रोकोडायल संरक्षण के लिए कार्य कर रहा है।   आरएस पांडे एसडीओ जबलपुर ----------------------------------------------------------  जिस क्षेत्र में प्रोजेक्टर चल रहा था, वह वन्य क्षेद्ध नहीं है  , किन्तु प्रोजेक्ट के लिए नोडल विभाग  वन विभाग  ही था। करीब 8 किलोमीटर एरिया में मगर एवं आम ग्रामीणों के सह अस्तिव को लेकर प्रोजेक्ट शुरू हुआ था लेकिन वन विभाग की उपेक्षा के कारण प्राजेक्ट बंद हो गया है इसे फिर शुरू करना आवश्यक है।  मनीष कुलेश्रेष्ठ वन्य प्राणी विशेषज्ञ  -------

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