प्रदेश में मांस उत्पादन दो गुना
बढ़ा लेकिन गुणवत्ता का नहीं
* प्रदेश में घटिया मांस बिक रहा
जबलपुर। उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के आने के बाद वहां बिकने वाले मांस की स्वच्छता एवं गुणवत्ता के उद्देश्य से 3 सौ से अधिक सलाटर हाउस बंद करा दिए गए है, मध्य प्रदेश में अवैध कत्लगाह जगह जगह स्थापित है तथा पशुवध के लिए एनजीटी के निर्देश का न केवल उल्लंघन किया जा रहा है,वरन ं मांस की गुणवत्ता भी बेहद घटिया है। इससे बीमारी फैलने का खतरा बना हुआ है। दरअसल मांस का कारोबार करने वाले मानव स्वास्थ्य के साथ लम्बे अर्से से खिलवाड़ कर रहे हैं और उसकी अनदेखी हो रही है।
आश्चर्य जनक पहलू यह है पशु विभाग का दायित्व है कि वह कत्ल किए जाने वाले पशुओ का स्वास्थ्य परीक्षण करेगा। उसमें कोई घातक रोग तो नहीं है लेकिन आलम यह है कि संक्रमित और बीमार मवेशियों को काट दिया जाता है और इसका गोस्त खुलेआम बिना स्वच्छता के बेचा जा रहा है। पशु विभाग लायसेंसी स्लाटर हाउस में आने वाले पशुओं का परीक्षण मात्र करते हैं।
घंटो पुराना मांस
अमूमन कत्लगाह में मिलने वाला गोस्त घंटो पुराना हो जाता है। भीषण गर्मी के चलते इन दिनों मांस 18 से 48 घंटे के बीच डिस्पोजल होने लगता है। मप्र में मांस का उत्पादन पिछले कुछ सालों में दो गुना बढ़ा है, जो प्रतिवर्ष 70 मीट्रिक टन के करीब है। सबसे बड़ी बात यह है कि जबलपुर में पोल्टी का बड़ा कारोबार होता है और बीमार मुर्गियां जो अंडे देना बंद कर देती है, वहीं मांस विक्रेताओं को बेची जाती है। जबदस्त इंफैक्टेड मुर्गी की बिक्री हो रही है, यहां तक कैंसर पीड़ित मुर्गी तक कटने पहुंच रही है।
जानकारों की माने तो जबलपुर में गुणवत्ता हीन मांस बिक रहा है जबकि भोपाल तथा इंदौर में भी मीट की गुणवत्ता मैनटेन की गई है। मटन शॉप चलाने वालों द्वारा फुटपाथी कत्लखाने चलाए जा रहे है। उनके पास पशुओं और मुर्गियों को काटने का कोई लायसेंस नहीं है। जानकारी के अनुसर जबलपुर में एक मुर्गी का मांस बचने वाला दुकानदार प्रतिदिन 3-4 क्विंटल मांस तैयार करता है। ऐसी आधा दर्जन दुकानें जबलपुर में है। यहां अवशिष्ट नष्ट करने का उनके पास कोई साधन नहीं है। खून नालियों में बहाया जाता है।
दिमाग में कीड़े का संक्रमण
जानकार की माने तो संक्रमित मांस खाने से दीमाग में कीड़े पनपने की बीमारी तेजी से फैली है। इस बीमारी का मूलत: स्त्रोत प्राणी ही होता है। मवेशियों से ही सब्जियों में पहुंचता है। वहीं दूषित घास खाने से जानवर फिर कृमि से संक्रमित होता है। यदि संक्रमित जानवर का मांस अच्छी तरह से नहीं पक पाता है तो बीमारी का खतरा ज्यादा होता है। गौवंश ,भैस तथा अन्य मवेशी भी इसी तरह के संक्रमण के शिकार होते है। इनका मांस खाने से क्रमि से लीवर तथा फैफड़े व ब्रेन सिस्ट तक की बीमारी होती है।
क्या है नियम
नियम यह है कि किसी भी पशु को मारने के पहले उसका मेडिकल चैकअप कराया जाना जरूरी है। पशुओं को मारने के लिए भी आवश्यक शर्तों का पालन नहीं होता। मवेशी के संबंध में पूरा लेखा-जोखा, जिसमें उसकी उम्र, वजन, फिटनेस संबंधी व्यौरा आदि होना चाहिए। मांस का परिवहन करने के लिए डिब्बाबंद एसी वाहन होना जरूरी है।
70 प्रतिशत बीमारियां पशुओं से
मनुष्यों में आने वाली 70 प्रतिशत बीमारियां जानवरों से आती है। बर्ड फ्लू, स्वाइन फ्लू तथा एन्थ्रैक्स जैसी जानलेवा एवं संक्रमण वाली बीमारी ऐसी है कि इससे एक पशु भी यदि संक्रमण का शिकार होता है तो उसकी सूचना देनी चाहिए । मांस की स्वच्छता बेहद जरूरी है तथा उसे अच्छी तरह पकाने के बाद ही खाना चाहिए।
डॉ. प्रयाग दत्त जुयाल
कुलपति पशु चिकित्सा विश्व विद्यालय
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