घर के आंगन से बह रही थी खून की नाली: डायरी
तकरीबन 20 साल लगातार क्राइम रिपोर्टिग की , अनेक हत्याकांड पर मौके ए वारदात पर पहुंचा लेकिन 12 अक्टूबर 2009 को जो हौलनाक खूनी दृश्य देखा तो सकते में आ गया। सुबह- सुबह मोबाइल फोन पर किसी ने मुझे सूचना दी कि सैनिक सोसायटी में एक साथ 7 हत्याएं हो गई है। आसपास लोगों की भीड़ के बजाए पुलिस वालों की भीड़ थी। उनके बीच से होता हुआ जब उस घर के आंगन के पास पहुंचा तो देखा कि आंगन खून से रंगा हुआ है , घर के भीतर से बहती हुई खून की धार आंगन से होते हुए सड़क पर बह रही थी। यूं तो किसी को उस दौरान पुलिस वाले भीतर नहीं जाने दे रहे थे किन्तु मुझे जाने की इजात दे दी। अंदर कमरे में तीन लाश पड़ी हुई थी जो खून से सनी थी। इतना वीभत्स दृश्य था, अगले कमरे में झांका तो वहां भी दीवार ओर फर्स खून से रंगे थे, यूं लग रहा थी पूरे घर में खून की होली खेली गई। तत्कालीन एएसपी सत्येन्द्र शुक्ला से घटना स्थल पर बातचीत हुई तो उन्होंने बताया कि परिवार के मखिया ने ही अपने बूढे माता पिता, अपनी पत्नी तथा अपने मासूम बच्चों की हत्या कर दी है। वह इस लिए परेशान था कि पड़ोसी से नाली का विवाद चल रहा था। इसी नाली के चलते उसने खूनी खेल? बेहद मामूली कारण से सात हत्याएं?
इस हत्याकांड से जुड़ा एक और रहस्यम तथ्य है जिसको आज मै उजागर करना चाहता हूं जिस पड़ोसी से आरोपी का नाली के लिए विवाद चल रहा था, वह पड़ोसी मेरे प्रेस के एक आपरेटर का सुसर था। घटना के एक दिन पहले ही गढ़ा थाने में दोनों पक्षों ने एक दूसरे की शिकायत की थी और एक पड़ोसी पक्ष को पुलिस ने थाने में बैठाकर रखे हुए था, मुझसे इस मामले में हस्तक्षेप कर एक पक्ष को छुडवाने का प्रयास करने कहा गया लेकिन न जाने क्यू मेरी आत्मा इस मामले में हस्तक्षेप न करने कह रही थी, मैने कोई रूचि नहीं दिखाई? और दूसरे दिन खून की होली देखने मिली। शहर में अब भी जबकभी पड़ोसियों के बीच अक्सर होने वाले नाली के विवाद का मामला आता है तो सैनिक सोयायटी की ये घटना जेहन में ताजा हो जाती है। करीब दो साल बाद फिर मामला सामने आया हत्या के आरोपी सुनील सेन को उम्र कैद की सजा सुनाई गई तथा सात हजार रूपयें का जुर्माना भी की गया। जबलपुर के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश बी.पी.शुक्ला की अदालत में प्रकरण की सुनवाई हुई थी लेकिन दुख इस बात का है कि सुनील सेन जिसका पूरा परिवार खत्म हो गया, वहीं इस मामले में आरोपी है । अब भी सोच में पड़ जाता हूं कि इस फैसले का क्या लाभ। जरूरत थी तो उसी रात गढ़ा पुलिस मामूली विवाद में सुनील को न्याय देकर संतुष्ट कर देती तो शायद ये नरसंहार न होता। इस वारदात के बाद पड़ोसी पड़ोसी राजकुमार गौतम भी अपना मकान बेंच कर कहीं और रहने चले गए।
12 अक्टूबर 2009 को सुबह सुनील का व्यवस्था के प्रति आक्रोश ने अपनी मां मुन्नी बाई उम्र 60 वर्ष, पत्नी ज्योति उम्र 33 वर्ष, बहन संगीता उम्र 22 वर्ष, पुत्र हिमांशु उर्फ हेप्पी 6 वर्ष, रूद्रांश उर्फ लक्की उम्र 3 वर्ष, भांजा राजुल उम्र 2 वर्ष को कुल्हाड़ी से मौत के घात उतार दिया। इस लोमहर्षक घटना के बाद आज दिनांक तक नालियों के विवाद पर सिर फूट रहे है।
तकरीबन 20 साल लगातार क्राइम रिपोर्टिग की , अनेक हत्याकांड पर मौके ए वारदात पर पहुंचा लेकिन 12 अक्टूबर 2009 को जो हौलनाक खूनी दृश्य देखा तो सकते में आ गया। सुबह- सुबह मोबाइल फोन पर किसी ने मुझे सूचना दी कि सैनिक सोसायटी में एक साथ 7 हत्याएं हो गई है। आसपास लोगों की भीड़ के बजाए पुलिस वालों की भीड़ थी। उनके बीच से होता हुआ जब उस घर के आंगन के पास पहुंचा तो देखा कि आंगन खून से रंगा हुआ है , घर के भीतर से बहती हुई खून की धार आंगन से होते हुए सड़क पर बह रही थी। यूं तो किसी को उस दौरान पुलिस वाले भीतर नहीं जाने दे रहे थे किन्तु मुझे जाने की इजात दे दी। अंदर कमरे में तीन लाश पड़ी हुई थी जो खून से सनी थी। इतना वीभत्स दृश्य था, अगले कमरे में झांका तो वहां भी दीवार ओर फर्स खून से रंगे थे, यूं लग रहा थी पूरे घर में खून की होली खेली गई। तत्कालीन एएसपी सत्येन्द्र शुक्ला से घटना स्थल पर बातचीत हुई तो उन्होंने बताया कि परिवार के मखिया ने ही अपने बूढे माता पिता, अपनी पत्नी तथा अपने मासूम बच्चों की हत्या कर दी है। वह इस लिए परेशान था कि पड़ोसी से नाली का विवाद चल रहा था। इसी नाली के चलते उसने खूनी खेल? बेहद मामूली कारण से सात हत्याएं?
इस हत्याकांड से जुड़ा एक और रहस्यम तथ्य है जिसको आज मै उजागर करना चाहता हूं जिस पड़ोसी से आरोपी का नाली के लिए विवाद चल रहा था, वह पड़ोसी मेरे प्रेस के एक आपरेटर का सुसर था। घटना के एक दिन पहले ही गढ़ा थाने में दोनों पक्षों ने एक दूसरे की शिकायत की थी और एक पड़ोसी पक्ष को पुलिस ने थाने में बैठाकर रखे हुए था, मुझसे इस मामले में हस्तक्षेप कर एक पक्ष को छुडवाने का प्रयास करने कहा गया लेकिन न जाने क्यू मेरी आत्मा इस मामले में हस्तक्षेप न करने कह रही थी, मैने कोई रूचि नहीं दिखाई? और दूसरे दिन खून की होली देखने मिली। शहर में अब भी जबकभी पड़ोसियों के बीच अक्सर होने वाले नाली के विवाद का मामला आता है तो सैनिक सोयायटी की ये घटना जेहन में ताजा हो जाती है। करीब दो साल बाद फिर मामला सामने आया हत्या के आरोपी सुनील सेन को उम्र कैद की सजा सुनाई गई तथा सात हजार रूपयें का जुर्माना भी की गया। जबलपुर के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश बी.पी.शुक्ला की अदालत में प्रकरण की सुनवाई हुई थी लेकिन दुख इस बात का है कि सुनील सेन जिसका पूरा परिवार खत्म हो गया, वहीं इस मामले में आरोपी है । अब भी सोच में पड़ जाता हूं कि इस फैसले का क्या लाभ। जरूरत थी तो उसी रात गढ़ा पुलिस मामूली विवाद में सुनील को न्याय देकर संतुष्ट कर देती तो शायद ये नरसंहार न होता। इस वारदात के बाद पड़ोसी पड़ोसी राजकुमार गौतम भी अपना मकान बेंच कर कहीं और रहने चले गए।
12 अक्टूबर 2009 को सुबह सुनील का व्यवस्था के प्रति आक्रोश ने अपनी मां मुन्नी बाई उम्र 60 वर्ष, पत्नी ज्योति उम्र 33 वर्ष, बहन संगीता उम्र 22 वर्ष, पुत्र हिमांशु उर्फ हेप्पी 6 वर्ष, रूद्रांश उर्फ लक्की उम्र 3 वर्ष, भांजा राजुल उम्र 2 वर्ष को कुल्हाड़ी से मौत के घात उतार दिया। इस लोमहर्षक घटना के बाद आज दिनांक तक नालियों के विवाद पर सिर फूट रहे है।
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