डब्ल्यूएचओ के ड्रग डायरेक्शन की हो रही अनदेखी
डेंगू के इलाज के आड़ में मची निजी अस्पतालों की लूट
दर्जनों बार नोटिस दिए गए अस्पतालों को , फिर भी नहीं रूक रही मनमानी
जबलपुर। भरतीपुर की एक बालिका को गंभीर हालत में स्टॉर हास्पिटल में पिछले दिनों भर्ती कराया गया। इस निजी अस्पताल द्वारा डेंगू टेस्ट किट के माध्यम से डेंगू का टेस्ट कराया गया और परिजनों को अस्पताल प्रबंधन ने डेंगू होने की पुष्टि की। इसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने बेशकीमती एंटी बॉयटिक्स, जीवन रक्षक दवाइयां और न जाने कितनी दवाइयां मंगाई और लगाई किन्तु दो दिन बाद बालिका की मौत हो गई। परिजनों को 60 हजार का बिल थमा दिया गया। इस मामले को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने संबंधित अस्पताल से जवाब तलब भी किया।
प्रदेश में चौतरफा डेंगू का खौफ बना हुआ है शहरी क्षेत्र के साथ ही ग्रामीण एवं कस्बाई क्षेत्रों में डेंगू के मामले आ रहे है। जहां स्वास्थ्य विभाग द्वारा समस्त जिला अस्पतालों एवं अन्य शासकीय एवं मेडिकल कालेज में डेंगू के उपचार की समूचित व्यवस्था की गई है इधर डेंगू के खौफ का फायदा उठाकर निजी अस्पताल पीड़ित मरीज को डेंगू डर दिखाकर अनापशनाप दवाइयां देकर बेहिसाब बिल बना रहे है।
सूत्रों की माने तो निजी अस्पतालों को डेंगू में क्या इलाज देना है, क्या दवाइयां देने है, तत्संबंध में वर्ल्ड हेल्थ आर्गनाइजेशन की गाइड लाइन से अवगत कराया जा चुका है। स्वास्थ्य विभाग ने दर्जनों पत्र निजी अस्पतालों को भेज चुके है लेकिन जब भी उनसे पूछा जाए तो उनका कहना होता है इस संबंध में कोई निर्देश नहीं है।
मनमानी रिपोर्ट बना रहे है
सूत्रों का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग की पकड़ निजी अस्पतालों में नहीं रह गई है। अनेक जिले के स्वास्थ्य अधिकारियों ने निर्देश जारी कर रखे है कि निजी स्वास्थ केन्द्र, निजी अस्पताल व नर्सिगहोम्स अपने मरीजों का डेंगू टेस्ट करते हैं और पॉजेटिव रिपोर्ट आती है तो उसकी तत्काल सूचना सरकारी विभाग को दिया जाए तथा उपयोग की गई टेस्ट किट भी जिला स्वास्थ्य केन्द्र में जमा कराई जाए। किन्तु निजी अस्पताल के चिकित्सक जिन्हें डेंगू नहीं भी हैं, उनकी पॉजेटिव रिपोर्ट मरीज के परिजनो को देने से बाज नहीं आते है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा टेस्ट किट की मांग करने पर डिस्पोजल किए जाने की बात कही जाती है। जबलपुर के जिला स्वास्थ्य अधिकारी एमएम अग्रवाल ने बताया कि करीब एक दर्जन बार किट के लिए निजी अस्पतालों को नोटिस भेज गए है लेकिन वे पॉजेटिव मरीज की किट जमा नहीं करते है।
सिर्फ पैरासिटामॉल दे
जिला मलेरिया अधिकारी अजय कुरील ने बताया कि डब्ल्यूएचओ के निर्देशानुसार डेंगू के मरीज को किसी तरह की एन्टी बॉयटिक्स दवाइयां अथवा दर्द निवारक दवाइयां यहां तक डिस्प्रीन भी नहीं दी जाए। डब्ल्यूएचओ की गाइड लाइन के मुताबिक पैरासिटामॉल ही मरीज को दी जाए तथा उसको ज्यादा से ज्यादा पानी दिया जाए। इसके लिए बोतल चढ़ाई जा सकती है अन्य दवाइयां मरीज के लिए खतरनाक हो सकती है।
बालिका को डेंगू नहंी निकला
जबलपुर में डेंगू से हुई एक मौत के मामले में जब स्वास्थ्य विभाग ने निजी अस्पताल के खिलाफ जांच पड़ताल शुरू की तो निजी अस्पताल ने यूं टर्न लेना पड़ा। कुल मिलाकर मामले में जो तथ्य सामने आए उसके मुताबिक कुछ माह पहले बालिका को मलेरिया हुआ था। इसके बाद उसकी पीलिया हो गया। बाद में फिर उसका स्वास्थ बिगड़ा तो निजी अस्पताल ने डेंगू बताकर गहन चिकित्सा शुरू की लेकिन जब स्वास्थ्य अमले ने बालिका को दी जाने वाली महंगी दवाइयां एवं डेंगू के इलाज की गाइड लाइन को लेकर जवाब मांगा तो निजी अस्पताल ने बालिका को डेंगू होने से साफ इंकार कर दिया।
वर्जन
डेंगू के मरीज को एंटीबायटिक्स दवाइयां देने की जरूरत नहीं पड़ती है। पैरासिटॉमाल दिया जाता है। शरीर में पानी की मात्रा नियंत्रित रखा जाता है।
डॉ.दीपक बहरानी
अधीक्षक जबलपुर हास्पिटल
डेंगू होने की आशंका पर लोग शासकीय अस्पताल में ही टेस्ट कराए तथा यहीं उपचार कराए। निशुन्क उपचार की व्यवस्था की गई है।
अजय कुरील
मलेरिया अधिकारी
डेंगू की बीमारी होने पर अस्पताल में मरीज को पैरासिटॉमाल ही दिया जाता है। इसके अतिरिक्त जरूरत पढ़ने पर ब्लड प्लाजमा चढ़ाया जाता है।
डॉ.के के सिंहा
सिविल सर्जन विक्टोरिया
No comments:
Post a Comment