Wednesday, 6 January 2016

35 घंटे आॅपरेशन करना पड़ा


 डॉ बी.के. पांसे,
न्यूरो सर्जन, जबलपुर.
इंट्रो----
जबलपुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में न्यूरो सर्जरी विभाग की स्थापना तथा उसके विकास के साथ शहर में न्यूरो सर्जरी की शुरूआत करने वाले वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. बी.के. पांसे के अपने जीवन में यादगार आॅपरेशनों में एक आॅपरेशन ऐसा भी है, जिसको वे अब तक का सबसे चुनौती पूर्ण आॅपरेशन मानते है। ब्रेन में छह सेमी का विशाल ट्यूमर निकालने में उन्हें और उनकी टीम को 35 घंटे आॅपरेशन करना पड़ा। सुबह 8 बजे से आॅपरेशन चला जो रात 12 बजे तक आधा हो सकता था। इसके बाद सिर को कच्चा सिलने के बाद मरीज को आईसीयू में रख दिया गया और अगले दिन फिर सुबह से आॅपरेशन शुरू किया गया और आधी रात को पूरा हुआ। इस पूरे आॅपरेशन को करने में 36 घंटे का लम्बा समय लगा।
  जबलपुर में अनंत हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ बी.के. पांसे ने बताया कि  सन् 1994-95 में उनके पास मैहर क्षेत्र से एक युवक आया था। युवक के सिर के भीतर करीब 6 बाय 6 सेमी अर्थात् का ट्यूमर था। उक्त युवक नागपुर सहित अन्य कई जगह इलाज करवाने पहुंच चुका था लेकिन उसके सिर के ट्यूमर का आॅपरेशन करने से डॉक्टर बच रहे थे, इसकी वजह यह थी कि ट्यूमर इतना बढ़ चुका था कि सर्जरी के दौरान, मरीज की मृत्यु होने की

संभावना काफी बढ़ी हुई थी लेकिन अपने अनुभव एवं ज्ञान पर भरोसा रखकर उसके आॅपरेशन का निर्णय ले लिया गया। मरीज काफी मेघावी छात्र था और वह 12 वीं की परीक्षा में प्रावीण्य सूची में आया था। उसका आॅपरेशन सुबह 8 बजे से 12 बजे तक चला। इसके बाद दूसरे चरण में आॅपरेशन सुबह 8 बजे से 12 बजे तक चला। करीब 9 दिन भर्ती रहने के बाद वह स्वस्थ्य होकर अपने घर चला गया।
सीटी स्केन तक की सुविधा नहीं थी
 डॉ पांसे का कहना है कि ब्रेन की सर्जरी उन्होंने उस दौर में शुरू की जब ब्रेन सर्जरी बेहद कठिन हुआ करती थी। अब तो ब्रेन सर्जरी आसान हो गई है। उन्होंने बताया कि सितम्बर 1989 में जबलपुर पहुंचे थे। उस दौरान सीटी स्केन तथा एमआरआई की कोई व्यवस्था नहंीं होती थी। ब्रेन में ट्यूमर तथा फ्यूटोमा का इलाज करने के पहले गले से ब्रेन में नली डालकर एन्जियोग्राफी की जाती थी। जबलपुर मेडिकल कालेज अस्पताल में न्यूरो सर्जरी विभाग नहीं था। उन्होंने मेडिकल कालेज अस्पताल में इस विभाग की स्थापना कराई तथा आॅपरेशन थियेटर यूनिट आदि के लिए प्रयास किए तथा कई वर्ष मेडिकल कालेज में सेवाएं दी। अब शहर में न्यूरो सर्जरी के लिए एक नई आधुनिक मशीन एवं बेहतर आॅपरेशन थियेटर (आटी) मौजूद है।
  जरा सी लापरवाही होती है घातक
उन्होंने न्यूरो सर्जरी करने के पूर्व मरीज का पूरी तरह से परीक्षण कर संतुष्ट होना आवश्यक है। डॉ. पांसे का मानना है कि मरीज के परीक्षण में थोड़ी सी

चूक भी जान लेवा हो सकती है। उन्होंने बताया कि एक वृद्ध मरीज मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इलाज के लिए आया था। उसके सिर पर रक्त का थक्का जमा था, जिसकी सर्जरी करके निकालना था। एंजियोग्राफी करने के बाद सिर के एक हिस्से में रक्त का थक्का जमा होना पता चला। उसकी सर्जरी करने के लिए कहा गया था लेकिन मुझे संदेह था कि उसके सिर के दूसरे हिस्से में भी रक्त जमा हुआ है। इस वजह से दुबारा दूसरे हिस्से में टेस्ट कराया गया। वहां भी रक्त का थक्का जमा हुआ था। यदि उस दिन सिर के एक हिस्से का आॅपरेशन किया जाता जो शायद मरीज की जान चली जाती, उसके ब्रेन के दोनों हिस्सों से रक्त के थक्के निकाले गए।
नाक के रास्ते का किया गया उपयोग
डॉ पांसे पिट्यूट ट्यूमर रिमूव करने की विधा में प्रदेश भर में विख्यात हैं, उन्होंने बताया कि उनके पास हाल ही में कई मामले आए, जिसमें नागपुर तक के चिकित्सकों ने मरीज के पिट्यूट टयूमर निकालने से मना कर चुके थे। दरअसल ये ट्यूमर ब्रेन के मध्य हिस्से में होता है, जिसको सिर का आॅपरेशन करने निकालने बेहद जोखिम भरा काम होता है। इस ट्यूमर को माइक्रो सर्जरी के माध्यम से निकालने की तकनीक हमने विकसित की है। इसके तहत टेलीस्कोपिक पद्धति से पिट्यूट ट्यूमर निकाल जा रहा है। हाल ही में रूबीना नामक युवती के सिर पर 4-5 सेंटीमीटर का ट्यूमर था, जिसकी नाक के रास्ते से सर्जरी करके ब्रेन के मध्य हिस्से तक पहुंचा गया तथा उसका ट्यूमर निकाला गया। इसके बाद से वह सिर दर्द की असहनीय पीड़ा से मुक्त है। इसी तरह अन्य एक मरीज का ट्यूमर इसी तरीके से निकाला गया। उन्होंने बताया कि चिकित्सक की स्वयं के अनुभव से आॅपरेशन का अपना तरीका होता है, जो कारगर होती है। उन्होंने बताया कि मेडिकल कालेज में कार्य के दौरान फीडिंग ट्यूब से खून के थक्के का आॅपरेशन करने की पद्धति विकसित की थी। इसमें माइको सर्जरी के द्वारा ट्यूब डालकर खून के थक्के निकालना हमने शुरू किया। अब भी इस तरीके से वे बेहद आसानी से खून के जमे हुए थक्के निकालने का इलाज कर रहे हैं। यह तरीका भले ही पुराना हो चुका है लेकिन बेहद कारगर है।

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