नृशंस हत्याकांड के बाद... जीवन बना नरक...
-तमाम उपचार नहीं आए काम, विकलांग का जीवन जी रही
दीपक परोहा
9424514521
..इंट्रो...
कीर्ति पटैल के जीवन में 18-19 मई 1999 की काली रात ने उसके जीवन में जीते जी नर्क की सजा सुना दी गई। उस रात के बाद से अब तक कीर्ति पटैल जिंदा लाश की तरह जी रही है। गर्दन पर कुल्हाड़ी का ऐसा वार हुआ था, इस मासूम के आज तक उसके दोनों हाथ-पैर सुन्न हैं, शरीर में किसी तरह का सेंस एवं ताकत नहीं है। जबलपुर से लेकर नागपुर तक चिकित्सकों के कई चक्कर काटते हुए आज कीर्ति पटैल 24 साल की हो गई बीते 15 साल से आस लगी है कि अपाहिज के जीवन से छुटकारा मिल जाए।
अपाहिज का जीवन जी रही कीर्ति पटैल को इतनी घातक चोट पहुंची है कि उस काली रात की कुछ बातें वह भूल नहीं पाई हैं तो गहरी चोट के कारण अनेक बातें उसकी स्मृति से हमेशा के लिए लुप्त हो चुकी हैं। उसे याद है कि रात को जब गहरी नींद में थी, तभी उसके एक भाई की आवाज आई थी भूरा मत मारो। भूरा दरअसल उनके यहां के एक बैल का नाम था, जिसने एक बार छोटे भाई को सींग मार दिया था, तभी से उसके मन में भूरा का भय था। रात को जब कातिलों ने पूरे परिवार सहित उसके छोटे भाई पर हमला किया तो भयभीत बच्चा चीख रहा था भूरा मत मारों और कातिलों ने उसे भी मौत के नींद सुला दिया।
ये है घटना क्रम
बरेला के सालीवाड़ा निवासी राम कुमार पटैल सपरिवार चकरघट हार में बने मकान में रात को गहरी नींद में सो रहा था। उसके घर पर उसकी बहन की बच्ची भी आई हुई थी। जमीनी विवाद के चलते सोते हुए परिवार पर कुल्हाड़ी से एक दम्पत्ति ने घातक हमला कर राम कुमार पटैल, उसकी पत्नी, एक बेटा एवं एक बेटी को मौत की नींद सुला लिया। हमले में कीर्ति तथा उसके एक भाई अनिल भर बच गया था। भाई-बहन और माता-पिता के कत्ल के बाद उस घटना की गवाह कीर्ति अपाहिज का जीवन जी रही है।
मदद की दरकार
कीर्ति के इलाज में उसके परिवार की तमाम जमा-पूंजी खत्म हो गई है। उसका भाई मोटर मैकेनिक है। वही अपनी बहन की देखरेख करता है। इसके साथ ही उसके रिश्ते के चाचा-चाची मदद करते हैं। कीर्ति को उम्मीद है कि गर्दन के पीछे कुल्हाड़ी के बार से उसकी जो नर्व कट गए हैं, जिससे वह जिंदा लाश हो गई है किसी तरह फिर से जुड़ जाए और इस नर्क बने जीवन से छुटकारा मिल जाए। जबलपुर के अनेक डॉक्टर तथा नागपुर में कई चिकित्सक इलाज कर हार गए हैं, लेकिन कीर्ति के अंगों में जान और ताकत नहीं आ पाई है।
...वर्जन...
मेरी इच्छा है कि जघन्य हत्यारों को सजा मिले, लेकिन वे सब छूट गए हैं। मुझे मदद की जरूरत है, लेकिन चाहती हूं कि देश-विदेश का कोई नामी डॉक्टर इलाज कर मेरे बेजान शरीर में प्राण फूंक दे। फिजियो थैरेपी भी कराई हूं, लेकिन उसका विशेष लाभ नहीं मिल पााया है।
कीर्ति पटैल, सालीवाड़ा
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