Sunday, 20 September 2015

और ताकतवर हुआ एच1 एन1 वायरस


जबलपुर। स्वाइन फ्लू का वायरय एच 1 एन 1 वायरस और मजबूत हो रहा है। वायरस अपने जीवन चक्र में लगातार ताकत अर्जित कर रहा है। एन1एच 1  विषय परिस्थितियों में भी सक्रिय होने की कोशिश करता है। इसके लक्षण भी एकदम से नजर नहीं आ रहे है। यानी अब छिपकर हमला करना  एन1 एच 1 सीख रहा है। अमूमन अक्टूबर-नवम्बर माह में ठंड एवं नमी में वायरस सक्रिय होता रहा है। धूप एवं तापमान बढ़ने पर वायरस निष्क्रिय हो जाया करता था लेकिन इस वर्ष अगस्त और सितम्बर माह में भी स्वाइन फ्लू के पॉजेटिव मामले आ रहे है।
विशेषज्ञों की माने तो अब यह नहीं कहा जा सकता है कि स्वाइन फ्लू किस सीजन में होगा। ये भविष्य में गर्मियों के सीजन में भी होने लग जाए , कहा नहंी जा सकता है।  जानकारों का यह भी कहना है कि स्वाइन फ्लू जब पहली बार भारत में प्रकट हुआ था तब से करीब 8 गुना मजबूत और घातक हो चला है। चिकित्सा विज्ञान का मानना है कि वायरस द्वारा लगभग तीन साल में खुद की क्षमता कई गुना तक बढ़ा सकता है।   परिणाम स्वरूप इनके संक्रमण की रफ्तार बढ़ती है। स्वाइन फ्लू के लिए जहां पांच साल पर्व मात्र एक सप्ताह दवा दी जाती थी, वहीं अब दवाओं का डोज डेढ़ से दो महीने तक देना पड़ रहा है।
चिकित्सकों की माने तो स्वाइन फ्लू के अनुकूल ये मौसम नहीं है लेकिन लगातार जबलपुर सहित आसपास के क्षेत्रों में स्वाइन फ्लू के संदिग्ध मरीज एवं पॉजेटिव मरीज मिल रहे है। जबलपुर में तो स्वाइन फ्लू से पिछले दिनों मौत हो चुकी है।
 रूप बदल रहा वायरस
विशेषज्ञों का कहना है कि वायरस का म्यूटेशन  लगातार बदलता रहता है।  यानी वायरस अपना रूप बदल रहा है, विषम तापमान के प्रति अपने को अनुकूल बनाने में जुटा है।एच 1 एन 1 ने दवा के प्रति प्रतिरोधन क्षमता बढ़ा ली है। चिकित्सक दवाई को कोर्स ड्यूरेशन भी बढ़ाते जा रहे है। पिछले पांच साल पहले के मुकाबले डोज छह से आठ गुना बढ़ गया है। वर्तमान में मरीजों को  टेमीफ्लू का हर दिन 75 एमजी डोज सुबह शाम दिया जा रहा है।
 टेमी फ्ूल की सीमित उपयोग
यूं तो टेमीफ्लू के प्रति एच 1 एन 1अपनी प्रतिरोधन शक्ति बढ़ा रहा है। इंटी वायरस दवाई टेमीफ्लू वायरस पर असर करना बंद न कर दे। इसी आशंका के कारण इसका इस्तेमाल प्रतिबंधित है। दरअसल जब चिकित्सक को टेस्ट रिपोर्ट पॉजेटिव मिलती है तभी टेमीफ्लू की दवाई का कोर्स शुरू किया जाता है। खुले बाजार में दवाई की बिक्री प्रतिबंधित है जिसकी वजह भी यहीं समझी जाती है कि इसका दुरूपयोग न किया जाए अन्यथा ये दवाई असर खत्म हो जाएगा।
साइड इफ्टे
उल्लेखनीय है कि दुनिया में स्वाइन फ्लू के वायरस एन-1 एच वन से मुकाबले के लिए जो फार्मूला है वह  भारत में टेमीफ्लू के नाम पर उपलब्ध है।  साइड इफेक्ट घातक हो सकते है। ये दवाई किडनी पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाली समझी जाती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की सूची में बेहद महत्वपूर्ण ड्रग है।
लक्षण भी बदल रहे
चिकित्सक इस वर्ष  स्वाइन फ्लू के वायरस में बदलाव महसूस कर रहे है। जबलपुर में जो पॉजीटिव मरीज मिल रहे हैं उनमें बीमारी के लक्षण भी जल्द नजर नहीं आए। अमूमन मानसून के अंतिम दिनों में गर्मी और उमस के कारण सामान्य फ्लू फैलता है। सामान्य फ्लू की तहर ही अब स्वाइन फ्लू के लक्षण नजर आ रहे है  जिससे बिना जांच के पहचान बेहद कठिन हो गई है।

वर्जन
स्वाइन फ्लू के वायरस भी अन्य वायरस की तरह अपनी स्ट्रेन बढ़ाते है। वायरस के सक्रिय होने के लिए नमी बनी हुई है, जहां तक तापमान की बात है संभवत:
इस तापमान में भी वे सक्रिय हो रहे है। किन्तु फिलहाल प्रतिदिन 4-5 ही टेस्ट  आईसीएमआर में आ रहे है। रही बात तो भविष्य में यदि स्वाइन फ्लू गर्मियों में भी होने लग जाए तो कहा नहंी जाएगा। वायरस के अध्ययन एवं रिसर्च हमारी संस्थान में नहीं की जा रही है अत: इसमें होने वाले बदलाव के बारे में स्पष्ट कुछ नहंी कहा जा सकता है।
डॉ. नीरू सिंह
 डायरेक्टर आईआई सीएमआर
दवा के प्रति वायरस में क्षमता बढ़ जाती है जिसके कारण  टेमीफ्लू का अंधाधुन्ध उपयोग प्रतिबंधित पर रोक है। दवाई असर कारक है लेकिन वायरस की ताकत बढ़ रही है जिसके कारण इसकी दवाई के डोज पिछले कुछ वर्षो की तुलना में बढ़ा है।
डॉॅ.एममए अग्रवाल
 विक्टोरिया हास्पिटल 

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