अब हर साल होगी बाघों की गणना
*डब्ल्यू आईआई ने एसएफआरआई को दी प्रदेश की जिम्मेदारी
* बाघों पर निगरानी रखने नई कवायद
जबलपुर। बाघ स्टेट का दर्जा खो चुका मध्य प्रदेश इस बार भी अपना खोया हुआ खिताब हासिल नहीं कर पाया। बाघों की गणना होने पर इस वर्ष तीसरे नम्बर पर रहा है। मध्यप्रदेश स्थित नेशनल पार्क एवं टाइगर सेंचुरी में बाघों के शिकार और उसकी मौत को लेकर भारतीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण द्वारा कड़ी आपत्तियों के चलते बाघों पर सतत निगरानी रखने के कवायद तेज की गई है। इसके चलते अब राज्य स्वयं अपने बाघों की गिनती कराएगा। मध्य प्रदेश में गणना एसएफआरआई के डायरेक्शन में की जाएगी।
उल्लेखनीय है कि आरएफआरआई का मुख्यालय जबलपुर में स्थित है। भारतीय वन्य प्राणी संस्थान देहरादून (डब्ल्यू आईआई) ने प्राणी गणना के लिए राज्य वन अनुसंधान संस्थान जबलपुर(एसएफआरआई) को नोडल सेंटर बनाते हुए अधिकृत किया है। वर्तमान में वन्य प्राणी अनुसंधान संस्थान प्रति 4 वर्ष में बाघों सहित अन्य वन्य प्राणियों की गणना करता रहा है। बाघों की गणना को लेकर तकनीकि और प्रशिक्षित व्यक्ति वन प्राणी अनुसंधान संस्थान के पास ही थे। पिछली बार हुई बाघ की गणना को लेकर अनेक आरोप भी लगाए गए थे। यहां तक की एमीनेशन के जरिऐ फर्जी तौर से बाघ की गणना बढ़ाए जाने के आरोप लगाए गए थे। इसी तरह कुछ नेशनल पार्क ने भी इस गणना पर आपत्तियां व्यक्त की थीं।
इसके चलते भारतीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने प्रत्येक राज्यों को अपने क्षेत्र स्थित नेशनल पार्क तथा जंगल में मौजूद बाघों तथा वन्य प्राणियों की गणना स्वयं करने के निर्देश दिए हैं। इसके चलते अब प्रति वर्ष मध्यप्रदेश में बाघों की गणना होगी। प्रदेश में बाघों सहित अन्य वन्य प्राणियों की गणना के लिए एसएफआरआई को अधिकृत किया गया है।
प्रशिक्षण दिया गया
पिछले दिनों एसएफआरआई के सात अधिकारियों को गणना कराने संबंधी तकनीकि प्रशिक्षण डब्ल्यूआईआई ने दिया। इसके तहत ट्रेप कैमरा लगाने का प्रशिक्षण दिया। बाघ, तेन्दुए की गणना के साथ ही अन्य शाकाहारी वन्य प्राणियों की गणना संबंधी प्रशिक्षण दिया गया। जानकारों का कहना है कि गणना के कार्य के लिए और भी कर्मचारी राज्य वन अनुसंधान केन्द्र , संविदा के तहत भर्ती भी करेगा। इसके अतिरिक्त वन्य प्राणियों की गणना नेशनल पार्क के अधिकारियों को भी दी गई है।
मध्यप्रदेश की जवाबदारी
मध्यप्रदेश स्थित 9 नेशनल पार्क, 6 टाइगर रिजर्व, 25 सेंचुरी तथा वन मंडल के अधीन जंगल आते हैं। इनमें प्रतिवर्ष वन्य प्राणियों की निगरानी एवं गिनती राज्य वन अनुसंधान संस्थान कराएगा। इस कार्य में नेशनल पार्क एवं वन मंडल के अधिकारियों को भी लगाया जाएगा। उनके द्वारा तैयार रिपोर्ट का सत्यापन का कार्य राज्य वन अनुसंधान केन्द्र जबलपुर का होगा।
अगले सत्र से शुरू होगा काम
इस सत्र में तो गणना हो चुकी है लेकिन अगले सत्र में वन्य प्राणियों की गणना का नोडल केन्द्र राज्य वन अनुसंधान केन्द्र ही होगा। फिलहाल दो साल संस्था डब्ल्यूआईआई की निगरानी में काम करेगी।
एसएन नचना
एडी. डायरेक्टर
राज्य वन अनुसंधान केन्द्र मप्र जबलपुर
बाक्स
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प्रतिमाह होती है गणना
यूं तो नेशनल पार्क तथा वन मंडल अंतर्गत जंगलों में बाघ सहित अन्य वन्य प्राणियों की प्रतिमाह बीट स्तर पर गणना का कार्य होता है लेकिन इस तकनीकि गणना में शामिल नहीं किया जाता है।
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