ताला रेंज स्थित राम-जानकी मंदिर में कृष्ण जन्माष्टमी की रही घूम
जबलपुर। नेशनल पार्क बांधवगढ़ के बीचो बीच ताला रेंज में गेट से करीब 8 किलोमीट दूर बघेल राजवंश के प्रचान रामजानकी मंदिर जहां वर्तमान में नेशनल पार्क का वायरलेस कंट्रोल रूम स्थित है। वहां वर्ष में एक दिन जन्माष्टमी के दिन आम जनता के लिए मंदिर खुलता है। इसी तरह वर्ष में अन्य दो दिन भी ये मंदिर परिसर भक्तों के लिए खोला जाता है। परम्परा अनुसार बड़ी संख्या में कृष्ण भक्तों का जत्था जै कन्हैया लाल के गूंज लगाते मंदिर के लिए पैदल रवाना हुए। इस दौरान उन्हें बाघों के हमले का कोई खौफ नहीं था।
अमूमन ताला रेंज के इस जंगल में यदि कोई ग्वाला धोखे से भी घुस जाए तो जंगल के राजा को ये बरदास्त नहीं होता है कि उसके राज्य में हस्तक्षेप होए और वे हमला करने से नहीं चूकते है। ताला रेंज में शनिवार को सुबह 8 बजे से श्रद्धालुआं का आगमन शुरू हुआ। वन विभाग ने नि:शुल्क गेट पास की व्यवस्था कर रखी थी। सुबह 8 बजे से आना लगा रहा तथा शाम ढलते ही श्रृद्धालुओं की रवानगी भी शुरू हो गई। कृष्ण जयकारे लगाते हुए मंदिर पहुंचे।
नेशनल पार्क से मिली जानकारी के अनुसर करीब 15 हजार लोगों मंदिर पहुंचे थे। उनकी व्यवस्था के लिए करीब ढाई सौ लोगों का पुलिस बल तथा करीब ढाई सौ का बल वन अमले का लगा हुआ था। मौजूदा वन अमला हाथियों के साथ भी तैनात था। जंगली जानवरों की सुरक्षा के साथ आने वाले श्रद्धालुओं को बाघ या अन्य जानवर के हमले से बचाने मुस्तैद रहे। वन अमले के दौरान जन्माष्टमी में जंगल में किसी तरह की अप्रिय घटना नहीं हुई। यूं भी नेशनल पार्क में आने वाले पर्यटकों के लिए सफारी की व्यवस्था रहती है लेकिन भक्तों के लिए नियम में इस दिन छूट रहती है तथा वे पैदल ही मंदिर तक का सफर तय करते है।
2 हजार साल पुराना
यह मंदिर एतिहासिक बांधवगढ़ किला का हिस्सा है जो करीब 2 हजार साल पुराना है। इस क्षेत्र में 5 से 10 शताब्दी तक सेंगर राजवंश तथा 10 वीं शताब्दी में कल्चुरियन राजवंश का शासन था। 10 वीं शताब्दी के बाद बघेल वंश का शासन आया। बघेल शासक ने रीवा को अपनी राजधानी बनाई और सन 1635 में बांधवगढ़ किला को छोड़ दिया। किला पहाड़ी पर स्थित है तथा इसके करीब साढे चार सौ वर्ग क्षेत्र में घना जंगल फैला है। इस किले को ताला फोर्ड के रूप में जाना जाता है।
वर्जन
लोगों के लिए साल में तीन बार ही किला और मंदिर खुलता है जिसमें जन्माष्टमी पर विशेष भीड़ रहती है। वर्तमान में वन अमला की किला एवं मंदिर की देखरेख करता है यहां हमारा कंट्रोल रूम है।
सीएच मुरलीकृष्ण
फील्ड डायरेटर बांधवगढ़
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