जबलपुर। प्रदेश एवं देश में यदि कोई बड़ी परियोजना शुरू होना है ,चाहे बांध निर्माण हो , बड़ी सड़क निर्माण, बहु मंजिला इमारत, खदान तथा अन्य कोई प्रोजेक्ट हो जिसमें पर्यावरण मंत्रालय की मंजूरी आवश्यक है तो अब मंत्रालय राज्य वन अनुसंधान केन्द्र (एसएफआरआई) की सर्वे रिपोर्ट के आधार पर देगा। दरअसल अब तक प्रदेश की कोई भी सरकारी संस्था ऐसी नहीं थी जिसको क् वालिटी कंट्रोल आॅफ इंडिया ने अधिकृत किया हो। इसके साथ ही प्रदेश सहित देश में हजारों संस्थाएं एवं व्यक्ति व वैज्ञानिक थे जो रिपार्ट तैयार करते थे लेकिन नई नीति के तहत क्वालिटी कंट्रोल आॅफ इंडिया द्वारा ही अनुकृत संस्थाओं की रिपोर्ट अब विचारण योग्य समझी जाएगी।
जानकारी के अनुसार देश में एसएफआरआई की तरह अन्य संस्थाएं भी है जिन्हें क्यूसीआई ने मान्यता दे रखी है। राज्य वन अनुसंधान केन्द्र ने भी क्यूसीआई के समझ मान्यता प्रदान करने आवेदन कर रखा था। क्सूसीआई की टीम ने पिछले दिनों अनुसंधान का दौरा किया। यहां के वैज्ञानिकों से रूबरू हुए। उनके बातचीत की। रिचर्स संबंधी साजो सामान एवं अन्य तमाम तरह की बिन्दुओं की गंभीरता से पड़ताल की।
गुरूवार को मिला मान्यता
राज्य वन अनुसंधान केन्द्र के डायरेक्टर डॉ. जी कृष्ण मूर्ति ने बताया कि क्यू सीआई से गुरूवार को मान्यता संबंधी आदेश प्राप्त हुए है। इस आदेश से संस्था में काफी उत्साह है। क्यूसीआई ने संस्था के चार वैज्ञानिकों को भी मान्यता प्रदान की है। जिसमें डॉ. आर के पांडे, डॉ प्रतिभा भटनागर, डॉ. अंजना राजपूत तथा डॉ अमित पांडे को अधिकृत किया है।
क्या होगा फायदा
मध्य प्रदेश शासन तथा उससे संबंधी विभाग कोई बड़ी योजना और प्रोजेक्ट
प्रारंभ प्रारंभ करते थे तो उन्हें पर्यावरण मंत्रालय के समझ पर्यावरण पर होने वाले प्रभाव एवं उससे बचाव के उपाय संबंधी प्रोजेक्ट रिपोर्ट प्रायवेट कं सल्टेंट से तैयार करवानी पड़ती थी जिसमें करोड़ों का भुगतान करना पड़ता था लेकिन अब स्वयं शासकीय संस्था को मान्यता मिल गई है जिसका फायदा सरकार को होगा। इतना ही नहीं राज्य वन अनुसंधान संस्था को निजी एवं शासकीय क्षेत्र अपनी प्रोजैक्ट रिपोर्ट तैयार करने देश भर में कहीं के लिए अनुबंधित कर सकते है। इससे संस्था के वैज्ञानिक प्रदेश ही नहीं पूरे देश में कहीं भी प्रोजेक्ट तैयार करने का काम कर सकते हैं।
गाइड लाइन तय है
पर्यावरण मंत्रालय परियोजना के संबंध में जो प्रोजेक्ट मांगती है उसके गाइड लाइन तय है। सड़क निर्माण, रेल लाइन निर्माण, ब्रिज निर्माण, बांध निर्माण, खनन कार्य तथा बड़ी आवासीय कालोनी, नदी के किनारे नगर विकास संबंधी तमाम तरह के कार्य के लिए जीवन जन्तु, वनस्पिति, पर्यावरण, मानव, प्रदूषण की स्थित सहित अन्य बिन्दुओं पर पड़ने वाला प्रतिकूल प्रभाव तथा प्रतिकूल प्रभाव से निपटने संबंधी योजना की जानकारी मांगती है। इसके अतिरिक्त प्रोजेक्ट से संतुष्ट न होने पर आवश्यक अन्य बिन्दुओं पर जानकारी मांग सकती है। इस प्रोजेक्ट को तैयार करने में ही काफी समय लगता है लेकिन गाइड लाइन के तहत पर्यावरण संबंधी प्रोजेक्ट रिपोर्ट राज्य वन अनुसंधान संस्था को एक वर्ष के भीतर करना पड़ेगा।
कैसे करेगा काम
पर्यावरण संबंधी प्रोजेक्ट राज्य वन अनुसंधान संस्था कैसे तैयार करेगा? इस सबंध में बताया गया कि उपलब्ध वैज्ञानिक एवं संसाधन का इस्तेमाल तो किया जाएगा लेकिन जररूत पड़ने पर क्यूसीआई द्वारा मान्य वैज्ञानिक को हम अनुबंधित कर सकते है। फिलहाल जिस संस्था के लिए हम प्रोजेक्ट पर काम करेंगे उनको वैज्ञानिकों एवं लगने वाले कर्मचारी, वाहन एवं अन्य संसाधन का खर्चे का भुगतान करना पड़ेगा। कुल खर्च का 15 प्रतिशत
संस्था के विकास के लिए लिया जाएगा।
वर्जन
राज्य वन अनुसंधान को मान्यता मिलने से यहां उपलब्ध मानस संसाधन का लाभ उठाया जाएगा तथा संस्था को काम की कोई कमी नहीं रहेगी।
डॉ. जी कृष्ण मूर्ति
डायरेक्टर एसएफआरआई
न अनुसंधान केन्द्र
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