स्वाइन फ्लू का समय पर इलाज कराया जाए तो यह जानलेवा बीमारी नहीं है। इससे बचाव के लिए उपाय करना बेहद आवश्यक है। हॉल ही में मेरे पास स्वाइन फ्लू से पीड़ित तीन मरीज इलाज के लिए जबलपुर हास्पिटल पहुंचे थे , तीनों की जिंदगी बच गई है। यहां पिछले सप्ताह ही सदर निवासी 35 वर्षीय महिला नर्गिस (काल्पिनिक नाम ) को इलाज के लिए लाया गया था जिसका दो दिन बुखार के कारण दम फूलने लगा था तथा सांस नहीं ले पा रही थी, उसे तत्काल अस्पताल में दाखिल किया गया तथा महिला पांच दिन वेंटिलेटर पर रही और स्वास्थ्य होने के बाद घर चली गई।
दीपक परोहा
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जबलपुर हॉस्टिल नेपियर टाउन के वरिष्ठ चिकित्सक दीपक बेहरानी एमडी, कार्डियोलाजिस्ट ने स्वाइन फ्लू के इलाज के संबंध में अपने अनुभव शेयर करते हुए बताया कि पिछले सप्ताह जबलपुर हास्पिटल में स्वाइन फ्लू के तीन मामले आए और बेहद खुशी की बात है कि तीनों मरीज स्वस्थ्य होकर चले गए है। दरअसल स्वाइन फ्लू को लेकर लोगों में जबदस्त भ्रांति भी व्याप्त है कि बीमारी से मौत होना निश्चित है। किन्तु पिछले तीन सालों से जबलपुर हास्पिटल में स्वाइन फ्लू के मरीज आ रहे है जिसमें 5 में चार मरीजों की जान बचाई जा रही है। स्वाइन फ्लू वास्तव में बेहद खतरनाक बीमारी हो चुकी है। इसके वायरस एच1 एन1 बेहद शक्तिशाली हो चुके है। स्वाइन फ्लू पीड़ित मरीज के सम्पर्क में जैसे ही लोग आते है , उनको भी इंफैक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है।
मेरे पास हाल ही में सदर से 35 वर्षीय महिला को लाया गया। उसको सांस लेने में भारी परेशानी हो रही थी। सांस नहीं ले पाने के कारण शरीर नीला पड़ रहा था। परिवार वालों ने बताया कि दो दिन से उसे तेज बुखार है और उल्टी भी हो रही है। इस लक्षण से मुझे यही संदेह हुआ कि महिला को कहीं स्वाइन फ्लू तो नहीं है? उसको आइसोलेशन कक्ष में भर्ती किया गया तथा वेंटीलेटर में रखकर कृत्रिम सांस दी जाने लगी। उसके एक्सरे कराया गया तो फेफड़ों में सूजन एवं इंफैक्शन नजर आया। फेफड़ों में पानी भी भरा हुआ था। तत्काल टेस्ट कराया गया तो स्वाइन फ्लू की पॉजेटिव रिपोर्ट आई । महिला को टेमीफ्लू तथा अन्य दवाइयों को डोज प्रारंभ किया गया। तीन दिन तक महिला की हालत बेहद गंभीर रही। करीब 5 दिन तक वेंटीलेटर में रही । इसके बाद उसे आक्सीजन पर रखा गया । करीब 7 दिन के इलाज के बाद वह स्वस्थ्य होकर घर चली गई। इसी तरह जबलपुर हास्पिटल में दो अन्य मरीज स्वस्थ्य होकर गए।
डॉक्टर टॉक
कोई जवान मरता है तो बेहद दुख होता है
स्वाइन फ्लू के मरीज प्रतिवर्ष बढ़ रहे है। इस वर्ष अभी तक तीन मामले आ चुके है जबकि पिछले वर्ष 5 मामले तथा उसके पूर्व वर्ष में 4 मामले जबलपुर हास्पिटल में आए थे। औसतन पांच में एक व्यक्ति की मौत हो रही है। किन्तु जब स्वाइन फ्लू से किसी बच्चे अथवा जवान की मौत होती है , बेहद दुख होता है।
स्वाइन फ्लू के लक्षण
* स्वाइन फ्लू के लक्षण हैं सर्दी, जुकाम तथा बुखार आना।
* सूखी खांसी , शरीर में थकान तथा सांस फूलना।
बवाव के उपाय
* सर्दी जुकाम एवं खासी के मरीज से दूरी बनाए रखे।
* सार्वजकिन स्थल पर मॉस्क का इस्तेमाल करें।
* स्वाइन फ्लू के मरीज के पास मॉस्क लगाकर ही मिले।
* घर आने पर हाथों को साबुन से अच्छे से धोएं ।
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