Wednesday, 30 September 2015

सिहोदा की बदली तस्वीर


 जबलपुर। आजादी के प्रणेता राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जानते थे भारत की आत्मा गांवों में वास करती है। उन्होंने भारतीय गांवों की जो स्वदेशी कल्पना की थी, उनकी कल्पना के विपरीत आजादी के बाद गांव विकसित हुए। यूं कहा जाए कि गांव शहर बनने की होड़ पर दौडने लगे और शहरी बुराइयां गावों में घर कर गई। शराब और नशा खोरी, जुआ-सट्टा, आर्थिक अपराध ,धोखाधड़ी और चोरियां सब कुछ गांवों में होने लगे  लेकिन जबलपुर के भेड़ाघाट क्षेत्रांतर्गत सिहोरा ग्राम के लोगों अब बापू के सपने को साकार कर रहे है।
 करीब 3 हजार की आबादी वाले इस गांव के लोगों ने शराब का सेवन बंद कर दिया है। सट्आ और जुआ खेलना बंद कर दिया गया है। गांव को लगभग अपराध मुक्त बनाया गया है लेकिन यह पुलिसिया डंडे के जोर पर नहीं बल्कि  स्वप्रेरणा से हो रहा है। गांव की महिलाओं ने इसकी शुरूआत की।
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आव्हान किया है कि प्रत्येक सांसद एक गांव को गोद  ले और उसे एक आदर्श गांव बनाए। इसी नक्शेकदम में चलते हुए  जबलपुर पुलिस ने भेड़ाघाट के सिहोदा गांव को गोद लिया।इस गांव को शराब एवं मादक पदार्थों की लत से मुक्त बनाने के लिए दर्जनों सभाएं की।लोगों  के  घर घर पुलिस  पहुंची। ग्रामीणों ने भी रूचि ली और एक दूसरे को प्रेरित करते  चले गए। पिछले जनवरी माह से सतत प्रयास चलते रहे और करीब 8 माह में गांव की तस्वीर बदल गई है।
महिलाओं ने ली रूचि
भेड़ाघाट टीआई एमडी नगौतिया बताते हैं कि पर्यटन स्थल भेड़ाघाट के निकट इस गांव में शहरी लोगों की दखल थी। गांव में अवैध शराब की खूब बिक्री होती थी। गांव के गरीब परिवार के पुरूष नशे के आदी हो रहे थे। घर के युवा के भी नशे की गिरफ्त में जा रहे थे। पुरूषों की कमाई का बड़ा हिस्सा नशा खोरी मेंं जा रहा था। ऐसे में गांव की महिलाएं एकत्र होकर पुलिस के पास पहुंची और अपने मर्दो के लिए कुछ करने की अपील की। तत्कालीन पुलिस अधीक्षक, वर्तमान में एसपी ग्वालिर हरिनारायण चारी मिश्र ने विशेष रूचि दिखाई और भेड़ाघाट थाने को गांव गोद लााो के निर्देश दिए।
सुखदुख में भागीदार बनी
पुलिस ने गांव के लोगों के सुखदुख में भागीदार बन बनी, विभिन्न एनजीओ तथा अन्य संस्थाओं की मदद से ग्रामीणों को स्वरोजगार के लिए प्रशिक्षण दिया गया। उन्हें रोजगारोन्मुखी किया गया।महिलाओं को सिलाई मशीने दी गई और पेटीकोट, ब्लाउज आदि सिलने लगे। पुरूषों को सायकिल दी गई और वे फेरी लगाकर उन्हें बेंचने लगे। इसी तरह चटाई बुनाई, झाडू बनाने आदि के प्रशिक्षण दिए। इससे गांव के लोगों स्थिति में सुधार आया और गांव में आवारगर्दी युवाओं में बंद हुई। अपराध भी घट गए।
स्वच्छता का महत्व जाना
गांव के लोगों के बार बार बीमार पड़ने, कैद दस्त जैसी बीमारी फैलने पर पुलिस के सहयोग से नियमित स्वास्थ्य कैम्प के आयोजन हुए। चिकित्सकों एवं  वालेंटियर्स ने स्वच्छता के महत्व को समझाया। गांव के लोग अब अपने गांव को स्वच्छ रखने लगे है।
पंचायतों में होते है निर्णय
इस ग्राम के लोग छुटपुट झगड़े एवं विवाद पर पुलिस थाने और कोर्ट कचहरी में जाने बजाए अपने विवाद चौपाल में सुलझाने लगे है। झगड़ों में पुलिस की प्रेरणा पर राजीनामा हो रहे है जिससे लगभग अपराध मुक्त हो गया है सिहोदा।

 सिहोदा गांव पुलिस के प्रयास से नशा मुक्त गांव बना है। यह आदर्श गांव बनने जा रहा है। इसके लिए लगातार गांव की मानीटरिंग अब भी चल रही है।
संजय साहू,
एएसपी ग्रामीण जबलपुर

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