Wednesday, 30 September 2015

करोड़ों साल पुरानी पहाड़ियों का कत्लेआम



हाईकोर्ट के निदेर्शों की उड़ाई जा रही धज्जियां
जबलपुर। जबलपुर के पर्यावरण एवं प्राकृतिक धरोहर यहां की ग्रेनाइट निर्मित पहाड़ियां है जिसकी श्रंखला तिलवारा के निकट से रांझी तक फैली है। वहीं घमापुर से होकर महाराजपुर तक ग्रेनाइट की पहाड़ियां है। इसके संरक्षण के हाईकोर्ट के निर्देश के बावजूद पहाड़ियों का कत्लेआम हो रहा है।
 ग्रेनाइट रॉक्स एवं पहाड़ियों के संरक्षण के लिए हाईकोर्ट ने अलग-अलग जनहित याचिकाओं में आदेश दे चुके है लेकिन इसके बावजूद  अब भी खजिन विभाग पहाड़ियों को तोड़ने अनुमति दे रहा है। पहाड़ियों का कत्लेआम खनिज के लिए  नहीं वरन प्लाटिंग के लिए हो रहा है। इतना ही नहीं इसके बदले विभाग को कोई रॉयल्टी नहीं मिल रही है।  पहाड़ी को मिटाकर वहां आवासीय भूखंड तैयार किए जाने का खेल चल रहा है।
 हाल ही में एक मामला प्रकाश में है, जिसके तहत रांझी में बजरंग नगर से लगी करीब 5 एकड़ से अधिक निजी भूखंड जिसमें ग्रेनाइट की रॉक्ट प्रचुरता में मौजूद है। यह मदन महल से लेकर रांझी तक फैली पहाड़ी की श्रंखला का हिस्सा है। इस पर पिछले तीन साल से लगातर तोड़ाई का काम चल रहा है।
अचंभा का विषय यह है कि पहाड़ी को तोड़ने के लिए हैदराबाद से बड़े बड़े कटर मंगाए गए है। जेसीबी मशीन एवं हिटाची मशीन में अन्य मशीने फिट कर पहाड़ी और चट्टाने तोड़ी जा रही है। करीब एक साल से  यहां पहाड़ी तोड़े जाने का काम चलता रहा।
शिकायतों के बाद रोक
यहां पहाड़ी अवैध तौर से तोड़े जाने की शिकायत के बाद रोक लगाई गई तो भू स्वामी बिल्डर मेसर्स महाराजपुर को खनिज उत्खनन की अनुमति रॉयल्टी की शर्त पर दी गई। निरीक्षण में छेनी हथौड़ी का उपयोग किया जाना बताया गया। इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में भी याचिका दायर की गई। इसी बीच बिल्डर्स ने फिर खनन अवधि बढ़ाने मांग की तो क्षेत्रीय लोगों के विरोध में उस पर रोक लगा दी गई।

* अब भी तोड़ी जा रही पहाड़ी
इस मामले को लेकर खनिज विभाग में शिकायकर्ता े चंद्रिका प्रसाद सोनकर ने बताया कि खजिन विभाग की रोक के बावजूद सांठगांठ कर पहाड़ी तोड़ा  जाना जारी है। इस पहाड़ी के संरक्षण के लिए प्रशासन को भूमि अधिगृहण कर लेना चाहिए।
बिकने को तैयार है
इसी तरह बाजनामढ रोड पुरवा पर करीब 11 एकड़ की ग्रेनाइट पहाड़ी को भू स्वामी बिल्डरों के हाथों बेचने प्रयास रत है। इस पहाड़ी को तोड़ने एवं समतलीकरण के लिए खनिज विभाग से दो दफे अनुमति मिल गई है लेकिन संयोग से पहाड़ी बची हुई है लेकिन फिर भी धीरे धीरे कर अवैध तरीके से पहाड़ी का करीब डेढ़ दो एकड़ हिस्सा नष्ट किया जा चुका है।

*कई पहाड़ी नेस्तनाबूत
मदन महल क्षेत्र में शिमला हिल्स पहाड़ी जो निजी भूमि रही है, इसको तोड़कर समतल बनाकर लगभग खत्म की जा चुकी है। वहीं एक पहाड़ी को तोड़कर निजी इंजीनियरिंग कालेज तैयार किया गया है।  शारदा मंदिर के निकट दानबाबा पहाड़ी कत्लेआम जारी है। बेदीनगर से लगी पहाड़ी अब भी तोड़ी जा रही है।
*कोई नियम कानून नहीं
दरअसल राजस्व रिकार्ड में हुए अनेक मालगुजारी पहाड़िया निजी हाथों में आ गई और इसके बाद भू माफिया एकएक कर पहाड़ी का कत्ल करता जा रहा है और जबलपुर के पर्यावरण से जबदस्त तरीके से खिलवाड़ किया जा रहा है। जबकि ये पहाड़ियां जबलपुर की स्वास नलिका की तरह है जहां से पूर्वाई एवं पछुआ हवाओं के शहर में बहने की दिशा तय होती है और शहर को स्वच्छ हवाएं मिलती है।

 * बिना अनुमति के पहाड़ी की एक चट्टान भी नहीं तोड़ने दी जाएगी। नियम विरूद्ध बिना अनुमति के पहाड़ियों में तोड़फोड़ करने पर कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल किसी भी पहाड़ी को तोड़ने अनुमति नहीं दी गई है।
एसएन रूपला
कलेक्टर जबलपुर

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