कीमो थैरेपी उपचार में आ सकता है क्रांतिकारी बदलाव
जबलपुर की छात्रा की रिसर्च लगभग पूरी
जबलपुर। गाय के दूध की गुणवत्ता को लेकर जहां दुनिया भर में रिसर्च एवं दावे चलते रहे है लेकिन जबलपुर में साइंस कालेज की छात्रा ने मिल्क में मौजूद कैसीन प्रोटीन को कैंसर के इलाज में डिलीवर की तरह उपयोग करने जा रही है। रक्त में कैसीन प्रोटीन आराम से घूम सके इसके लिए पहले इसका नैनो पार्टिकल तैयार किए है, साथ ही कैसीन प्रोटीन में यह खासियत विकसित की गई है कि वे मैग्नेटिक फील्ड की ओर आकर्षित होए। कैसर ग्रस्त अंग के समीप मैग्नेटिक फील्ड विकसित करना को कठिन काम नहीं है और इस प्रोटीन में कीमो थैरेपी की दवा को लोड होगी और वह मैग्नेटिक फील्ड से आकर्षित होकर सीधे वहीं पर एकत्र होगी जहां कैसर सेल मौजूद है और कीमो थैरेपी की दवा अपना जादू दिखाना शुरू कर देगी।
इस नई तकनीकी का फायदा यह होगा कि कीमो थैरेपी की दवा जो कैंसर सेल्स के साथ ही स्वस्थ्य सैल को मारती थी। साइड इफैक्ट के तौर पर कीमो थैरेपी कराने वाले मरीजों के बाल झड़ना तथा अन्य अनेक तरह की साइड इफैक्ट हुआ करते थे। वे काफी हद तक कम हो जाएंगे। इतना ही नहीं दवा कैसर सेल्स को चारो तरफ से घेर कर तथा वहीं पर सतत अपनी मौजूदगी दर्ज कर सटीक इलाज भी करेगी।
यदि रीसर्च पूरी तरह से कामयाब होती है तो कैंसर के इलाज के लिए यह चमत्कारी खोज भारतीय छात्रा अनामिका सिंह एवं उनके निर्देशक डॉ.एक बाजपेई के खाते में जाएगी।
पुलिस विभाग के सब इंस्पेक्टर रवि करण सिंह की पुत्री घमापुर निवासी अनामिका सिंह ने शासकीय साइंस कालेज जबलपुर से एमएससी रसायन शास्त्र में की है। इसके उपरांत पिछले चार वर्षो से पॉली कैमेस्ट्री विषय पर मिल्क प्रोटीन पर रिसर्च का कार्य कर रही है। हाल ही में इंदौर में हुए साइंस कांफेंन्स में उनके रिसर्च पेपर प्रस्तुत किए गए जिसे न केवल काफी सराहा गया वरन प्रथम पुरस्कार भी मिला है।
ऐसे करेगा काम
अनामिका सिंह ने बताया कि कैसीन प्रोटीन के नैनो पार्ट तैयार किए जाते है। इन नैनो पार्ट का गुण स्पंज की तरह होता है। इसमें कीमो थैरेपी की दवाएं जो रेडियो एक्टिव होती है तह इसमे सोख ली जाती है। बल्ड में इंजैक्ट किए प्रोटीन युक्त दवाई की जाती है। इसके पूर्व कैंसर संभावित पार्ट के आसपास मैग्नेटिक फील्ड विकसित करने वाल यंत्र स्थापित कर दिए जाते है, जो की बाड़ी के बाहर होते है। दवा युक्त एंडीवाडी यानी कैसीन जो कि मैग्नीटिक फिल्ड के प्रति संवेदनशील होती है वह मैग्नेटिक फील्ड के समीप यानी कैसर प्रभावित अंग के पास एकत्र हो जाती है। इसके उपरांत मैग्नेटिक फील्ड की रेंज बढ़ाने पर कैसीन सिकुडता है तथा उससे दवाई बाहर आ जाती है।
जानवरों पर होगा रिसर्च
इसके बाद रिसर्च छात्रा द्वारा करीब एक डेढ साल जानवरों पर कीमो थैरेपी संबंधी रिसर्च त्रिवेंन्द्रम इंस्ट्टीयूट में किया जाएगा। इसके लिए आवेदन किया जा चुका है। वहां विभिन्न जानवरों में रिसर्च के बाद यह मानव में प्रयोग के लिए भारत सरकार के हवाले किया जाएगा। शोध का एक चरण पूर्ण हो चुका है तथा यह साइंस जर्नल में प्रकाशित हो चुका है। करीब 15 हजार पन्नों का शोधपत्र इंटरनेट में भी डाउन लोड किया जा चुका है और पूरी दुनिया से इस शोध पर सराहना मिल रही है। शोध को आगे बढ़ाने कई कम्पनियां अपनी रूचि भी दिखा रही है।
वर्जन
नेनो पार्टीकर पर रिसर्च पूर्ण कर लिया गया है तथा रिसर्च पेपर भी अनामिका ने तैयार कर लिए है। अगले चरण मे जानवरों पर शोध कार्य किया जाना है। यह त्रिवेंन्द्रम में अनामिका करेगी। वहां करीब 7-8 महीने विभिन्न जानवरोंं में शोध चलेगा। इसके उपरांत मानव पर सफल प्रयोग होने पर ही यह दवा के रूप में बाजार में आएंगी। फिलहाल शोध को लेकर रिपोर्ट हासिल की गई है, उसके मुताबिक इस नैनो पॉर्टिकल का कोई टॉक्सिन इफैक्ट नहीं है।
डॉ. एके बाजपई
शोध डायरेक्टर