Saturday, 26 March 2016

डेढ़ साल के बच्चे के दिल के 3 छेद किए बंद



*चेहरे में चमक और माता-पिता के चेहरे की मुस्कान लौटी
दीपक परोहा
9424514521

कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. अच्युत खांडेकर और उनकी टीम ने जबलपुर शहर में  बच्चों के दिल में छेद बंद करने पिछले कुछ दिनों में 16 आॅपरेशन किए है। इसमें सर्वाधिक चुनौती पूर्ण आॅपरेशन में डेढ़ साल के बच्चे  का था, जिसके दिल में एक नहीं तीन छेद थे। दिल में  छेद होने के कारण वह बेहद कमजोर एवं सुस्त हो गया था। उसके दिल की धड़कने भी कम थी, ऐसे में अपने अनुभव और दक्षता पर भरोसा रखते हुए डॉ अच्युत खांडेकर ने अपनी टीम के साथ सफल इलाज किया। बिना आॅपरेशन किए जांघ से तार डालकर दिल का छेद बंद किया गया। महानगरों की तर्ज पर पहली बार जबलपुर में दिल के छेद बंद कर ने की आधुनिक तकनीक से इलाज  प्रारंभ किया गया है।

डॉ खांडेकर ने बताया कि नरसिंहपुर निवासी डेढ वर्षीय मुन्ना के माता -पिता बुरी तरह निराश हो गए थे। नागपुर सहित कई शहरों में बच्चे का दिखा चुके थे और डॉक्टर भी उसका इलाज करने से बच रहे थे। उनका कहना था कि बच्चा बहुत कमजोर है। कुछ स्वस्थ हो जाए  तभी इलाज किया जाएगा। किन्तु इससे बच्चे के दिल  का छेद और बड़ा होने का खतरा भी बना था। इस बच्चे के दिल में छेद  होने से  दिन -प्रतिदिन कमजोर होता जा रहा था। उसकी चेहरे में चमक खत्म हो चुकी थी। मात्र 20 मिनट में सफलता पूर्वक जांघ से तार डालकर बच्चे के दिल का छेद बंद कर दिया  गया। उसके हॉर्ट में क्लोजर डिवाइज इंन्प्लांट की गई। इससे  बालक के चेहरे में एक दिन में ही मुस्कान लौट आई और उसके माता पिता के चेहरे खिल गए।
डॉक्टर अच्युत्य खांडेकर  एक साल से जबलपुर में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। वे वर्ष 2010 मे कॉडियोलॉजिस्ट हैं तथा हिन्दुजा मुम्बई में उन्होंने आधुनिक उपचार तकनीकि सीखी है।

ऐसे हुआ इलाज
डॉक्टर खांडेकर ने बताया कि बच्चे की जांघ से कैथेरेटर डाला गया था और दिल के छेट के पास छतरी नुमा पार्ट खोला गया जिससे उसके दिल के छेद बंद हो गया। अब छेद बंद होने के बाद बच्चा अपना सामान्य जीवन जी सकेगा। वह भागदौड़-खेलकूद सामान्य बच्चों की तरह करेगा। इस तरह के आॅपरेशन को करने में मात्र 20 मिनट लगता है। दरअसल यह आॅपरेशन नहीं होता है। बच्चे के दिन में तार द्वारा  एम्पलाजर ट्रांसप्लांट किया गया था। इस तकनीक से इलाज के दौरान ं किसी प्रकार के चीड़-फाड़ की जरूरत नहीं पड़ती है।  यह तकनीक बहुत सुरक्षित है। बच्चों में जन्मजात हार्ट में छेद की विकृति होने पर जल्द से जल्द इलाज करा लेना चाहिए ।

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