Saturday, 26 March 2016

कहानी-अजगर दादर की

कहानी-अजगर दादर की

धूप सेंकते  अजगरों को देखने पहुंच रहे सैलानी

* एक गांव जहां  अजरग बसते हैं

जबलपुर। मुगल सलतन से टकराने वाली रानी दुर्गावती की नगरी मंडल से कुछ किलोमीटर दूर स्थित है अजगर दादर गांव। इस गांव का नाम अजगर दादर इस लिए पड़ा है कि यहां सदियों से अजगर बसते आए है। अजगर दादर में  इन दिनों, ठंड के सीजन में धेप सेंकते अजगर नजर आते हैं और इन्हें देखने सैलानियों की भीड लग रही है। दरअसल दिसम्बर और जनवरी माह कड़ाके के सर्दियो में जंगलों से निकल कर अजगर यहां आते हैं और धूप सकते है।
अजगर दादर में आसपास के क्षेत्रों से लोग अजगर देखने आते ही हैं, इसके अतिरिकत कान्हा नेशनल पार्क तथा कान्हा के बफर जोन में आने वाले सैलानी भी अजगर दादर पहुंचते है। खासतौर पर वीक एंड में यहां अच्छी खासी भीड़ लग रही है। लोगों को चट्टानों के उपर अथवा चट्टानों की छांव में अजगर बैठे नजर आ रहे है।
वन विभाग ने इस  क्षेत्र को संरक्षित भी किया है। इसके अतिरिक्त इस क्षेत्र में चूहे तथ अन्य जीव जन्तु जो अजगर के भोजन होत है उन्हें भी बसाया गया है। करीब  डेढ दो एकड़ के क्षेत्र में वन अमले ने फैसिंग भी कराई है। यहां चट्टानों के बीच दरारें हैं तथा अनेक प्राकृतिक खोह एवं बिल है जिसमें आराम से अजगर रहते है। जानकारों का कहना है कि जिस तरह के प्राकृतिक खोह एवं बिल यहां मौजूद हैं वे गर्मी के सीजन में ठंडाते हैं तथा ठंड में खोह में गर्माहट बनी रहती है। यही अजागरों को पसंद आता है। सांपों में अजगर आराम पसंद जीव होता है, उसे जब भूख लगती है  तभी वह शिकार की खोज में निकलता है, बाकी सयम अजगर आराम फरमाता है। ठंड में खासतौर पर धूप सेकने के लिए निकलता है।
यहां आने वाले सैलानियों की आहत पाकर अजगर धीरे से खोहों में छिप जात ेहै। बड़संख्या मेंं यहा चिट्टी प्रजाति के देशी अजगर पाए जाते है। ये करीब दस से बारह  फुट तक लम्बे होते है। चूहे ,मुर्गी और खरगोस को सीधे निगल जाते है। उल्लेखनीय है कि अजगर दादर हाल में ही सैलानियों की नजर में आया है। पीपुल्स ने इस गांव की खबर पूर्व में प्रमुखता से प्रकाशित की थी। वहीं वन विभाग भी  बीते दो तीन वर्षो से ही इस गांव को अजगर के  पर्यटन के हिसाब से विकसित करने ही प्रयास शुरू किए है। इसके पूर्व सपेरे आदि इस क्षेत्र से अजगर को अवैध तौर से  पकड़ने के लिए इस्तेमाल किया करते थे।

वर्जन
अजगरदादर में अजगरों  के संरक्षण के लिए कार्य  किया  जा रहा  है। सैलानियों के आने पर अजगरों को कोई नुकसान न होए और लोग आसानी से उन्हें दूर से देख ले इसके लिए वॉच टावर बनाए गए है तथा फैसिंग के भीतर घुसना प्रतिबंधित किया गया है।
लाल जी मिश्रा, डीएफओ,मंडला 

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