Saturday, 26 March 2016

बिना इंसुलीन के नियंत्रण में आई डायबिटीज


  * पांच साल से ले रही थी 50 यूनिट इंसुलिन


 इंट्रो

पिछले एक-दो वर्षो से बाजार में डायबिटीज की आधुनिक औषधी आने लगी है और इस दवा के प्रयोग से चमत्कारिक परिणाम सामने आए है। । एक महिला जिसको पिछले पांच साल से करीब 50 यूनिट इंसुलिन  ले रही थी लेकिन इसके बावजूद शुगर लेबल 500 के करीब बना रहता था। महिला की आंख तथा किडनी खराब होने का खतरा मंडरा रहा था ऐसे में उन्हेंं ओरल दवाइयां दी गई तो इंसुलिन इंजेक्शन लगना बंद हो गया। दरअसल डायबिटीज के इलाज के लिए हो रहे तेजी से बदलाव एवं रिसर्च के साथ चिकित्सक के अपडेट होने का फायदा मरीजो को मिलता है। यह कहना है डायबिटीज विशेषज्ञ डॉ अभिषेक श्रीवास्तव का।
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डा.अभिषेक श्रीवास्तव ने बताया कि कुछ महिना पहले शहर के एक सम्पन्न एवं प्रतिष्ठित परिवार की 50 वर्षीय महिला रूकमणी देवी (काल्पनिक नाम) उनके पास इलाज के लिए आई। उसको हाई डायबिटीज रहती थी। महिला शहर के अन्य कई चिकित्सकों के पास इलाज करवा चुकी थी। नागपुर सहित अन्य शहरों के चक्कर भी लगा चुकी थी। उसकी ब्लड शुगर का लेबल 400-500 के करीब बना रहता था जबकि 40-50 यूनिट इंसुलिन वे प्रतिदिन ले रहीं थी। लगातार ब्लड शुगर बढ़े रहने के कारण अन्य कई बीमारी होने का खतरा बन गया था।
मरीज जब क्लिनिक में पहुंची तो बुरी तरह निराश थी। यह पाया गया कि

 मरीज को इंसुलिन असर करना बंद कर दी थी। आवश्यकता से ज्याद डोज ले रही थी। उनको इंसुलिन बंद करा दिया गया। दो तरह की दवाइयां सिर्फ खाने को दी गई। इसमें एक दवाई पेनक्रियाज को इंसुलिन उत्पादन के लिए प्रेरित करने वाली तथा दूसरी दवाई ब्लड से शुगर का लेबल कम करने वाली थी। इस दवाई का चमत्कार यह हुआ कि वर्षो से जिल महिला का पेनक्रियाज निष्क्रिय पड़ा था वह सक्रिय हो गया। पेनक्रियाज स्वयं इंसुलिन उत्पादन करने लगा तथा रक्त में लगातार मौजूद रहने वाला शुगर लेबल भी कम हो गया। बीते कई माह से महिला को इंसुलिन देने की जरूरत नहंी पड़ रही है। इतना ही नहीं दवाई का डोज भी कम कर दिया गया है।
डॉ श्रीवास्तव का कहना है कि दरअसल डायबिटीज के इलाज के लिए प्रत्येक मरीज को उसके शुगर लेबल के लिए दवाइयां पूरी योजना और लगातार निगरानी में देने की जरूरत रही है।
मोटापा से मिली राहत
डॉ. श्रीवास्तव का कहना है कि शुगर की तरह मोटापा भी एक बड़ी बीमारी है । आम आदमी बढ़ते हुए मोटापा को नजरअंदाज करता और बाद में यही मोटापा शुगर, ब्लड प्रेशर, हृदय रोग, हाइपर टेंशन सहित अनेक बीमारी का कारण बन जाता है। डॉ श्रीवास्तव के पास  उनकी क्लीनिक में आरती मिश्रा आई जो कि युवा अवस्था में ही मोटापे की बीमारी से पीड़ित थी। उसका वजन डेढ सौ किलो हो गया था जबकि उंचाई पांच फुट दो इंच थी। इस उचाई की महिला के औसत वजन से ढाई गुना अधिक वजन था। पैरों में सूजन आने लगी थी। अन्य कई तरह की बीमारी का खतरा मंडरा रहा था। डाइबिटीज की तरह मोटापा कम करने की अनेक अच्छी दवाइयां आने लगी है। महिला को मोटापा की बीमारी वंशानुगत थी। दवाई एवं डाइड से मोटापा नियंत्रित किया गया। वर्तमान में **** का वजह 100 किलो रह गया है जिसमें और भी कमी आने की पूरी संभावना है।
डॉ  श्रीवास्तव ने बताया कि एक बार मोटापा नियंत्रण में आने बाद दवाइयां बंद की जा सकती है। मरीज संतुलित आहार लेता रहे तो मोटापा दाबारा अटेक नहंी करता है। 

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