Friday, 25 March 2016

राज्य सरकार दूध की गुणवत्ता कंट्रोल के लिए जल्द बना रही प्लान



जबलपुर। गर्मी के सीजन के दस्तक देने के साथ ही दूध कारोबारियों की मुनाफाखोरी ओर मिलावट बेलगाम हर वर्ष हो जाती है। दरअसल गर्मी में दूध के उत्पादन में आंशिक गिरावट के साथ ही दही, लस्सी , कुल्फी आदि खाद्य पदार्थो में खपत कई गुना बढ़ जाने के साथ मिलावटखोरी सिर उठाने लगती है। लोक सभा में यह खुलासा होने के बाद कि 68 प्रतिशत दूध में मिलावट हो रही है। राज्य शासन भी अलर्ट हो गई है। मध्य प्रदेश शासन के खाद्य सुरक्षा विभाग द्वारा जल्द की प्रदेश भर में दूधियों के खिलाफ एक मुहिम छेड़ने जा रही है। इधर जबलपुर सहित प्रदेश के कुछ शहरों में दूधिएं फिर से एक बार दाम बढ़ाने की कवायद शुरू कर चुके है।
उल्लेखनीय है कि दूध को अब तक शासन ने आवश्यक वस्तु अधिनियम के दायरे में शामिल नहंी किया है। हाईकोर्ट ने दूध के मूल्य एवं गुणवत्ता निर्धारण के लिए शासन को एक आदेश जारी किए थे लेकिन इसके विरोध में दुग्ध उत्पादन संघ सर्वोच्च न्यायालय में चला गया है जहां मामला विचाराधीन है।
लगतार बढ़ रहे दाम
मामला जहां अनेक वर्षो से सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन है, दूसरी तरफ खली चूनी, मवेशी के दाम तथा डीजल पेट्रोल सहित अन्य महंगाई का हवाला देकर दूधियों द्वार लगभग हर वर्ष दूध के दाम बढ़ाए  जा रहे है।
फिर दाम वृद्धि की सुगबुगी
गत वर्ष जबलपुर में जहां दूध उत्पादकों ने दूध के दाम बढ़ाए थे। जबलपुर में दूध के दाम 52 रूपए प्रतिलीटर हो गए है। वहंी इस बर्ष फिर 2 से 4 रूपए तक दूध के दाम बढ़ाए जाने की तैयारी कर दी गई। हालात यह है कि मध्य प्रदेश में जबलपुर, भोपाल तथा इंदौर शहर में दूध के दाम अन्य प्रदेश की तुलना में काफी अधिक है। बेलगाम डेयरी संचालक मनमर्जी का इस्तेमाल कर रहे है।
आॅक्सीटोसिन का बेजा इस्तेमाल
डेरी व्यापारियों की मनमर्जी का आलम यह है कि प्रतिबंध के बावजूद दूध का उत्पादन बढ़ाने के लिए भैसों को हार्मोंन्स इंजैक्शन आॅक्सीटोसिन धडल्लें से दिया जा रहा है। जिसका परिणाम यह है कि दूध में आॅक्सीटोन हार्मोंस का स्तर बढ़ रहा है। इसका सीधा प्रभाव मानव स्वास्थ्य पर पढ़ रहा है। दूध में सूक्ष्म तत्वों की इस मौजूदगी को पकड़ने के लिए कोई भी पैमाना उपभोक्ता एवं शासन के पास मौजूद नहंी है।
सिंथेटिक दूध  की मिलावट
दूध में पानी मिलाने के बाद डेरी व्यापारी धडल्ले से सिंथेटिक दूध मिलाकर दूध की बिक्री कर मनमाना  मुनाफा कमा रहे है। डेरी व्यापारी  चंद भैसे पाल कर कुछ ही वर्षो में करोड़ पति हो गए  जबकि वे स्वयं ही कहते है कि मवेशी और चारा इतना अधिक महंगा हो चुका है कि इस धंधे में मुनाफा नाम मात्र का है। फिर दूध व्यापारी कैसे करोड पति हो रहे है? जाहिर है कि इस कारोबार में मिलावट खोरी सिर चढ़ कर बोल रही है।
वेंडर भी कर रहे मिलावट
नागरिक उपभोक्ता मंच के अध्यक्ष पीजी नाजपांडे को कहना है कि डेरी से मिलावट होती है। इसके बाद दूसरे चरण में दूध वेंडर 10-15 मिलावट कर रहे है। यह मिलावट पानी के साथ दूधियां रंग देने के लिए रसायन की भी होती है। लोकसभा में यह खुलासा हुआ है कि 68 प्रतिशत मिलावटी दूध लोगों के घरों में पहुंच रहा है। सर्वाधिक दूध की जरूरत मासूम बच्चों को होती है और उनके ही स्वास्थ्य पर मिलावट का सीधा असर सबसे पहले पड़ता है।
169 डेयरी में लाइसेंस नहीं
नागरिक उपभोक्ता मंच के अध्यक्ष डॉ. पीजी नाजपांडे का आरोप है कि जबलपुर  म्युनिसिपल कार्पोरेशन क्षेत्र में 224 डेयरियां हैं। इनमें से 169 डेयरियां शहर के प्रतिबंधित क्षेत्र में स्थापित की गई हैं। इन 169 डेयरियों को कोई लाइसेंस भी नहीं दिया गया है। मंच के मनीष शर्मा, रानी जायसवाल, राम मिलन शर्मा का कहना है कि ा दूध में मिलावट के कारण मिष्ठान उत्पादक व विक्रेता भी परेशान हैं। खाद्य मिलावट पर प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग की गई है।
वर्जन
समूचे प्रदेश में दूध की मिलावट रोकने के लिए जल्द ही एक अभियान छेड़ा जाएगा। इस अभियान की मानीटरिंग स्वयं शासन करेगी।
पंकज अग्रवाल
आयुक्त खाद्य सुरक्षा 

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