स्वास्थ्य जगत में दुर्लभ बीमारियों में एक इंटस्टाइन ककूनिंग सिंड्रोम
* छोटी आंत ककून में थी कैद, चार घंटे चला आपरेशन
पेट दर्द , कब्ज और दस्त जैसी पेट की बीमारियों से अमूमन हर भारतीय व्यक्ति प्रभावित होता रहता है। पेट की बीमारियां आम होती है तो कुछ दुर्लभ भी होती है। अमूमन पेट की समस्या से पीड़ित व्यक्ति वर्षो परेशान रहता है और डॉक्टर के इलाज और दवाई का असर भी नहंी होता है। डॉ मुकेश श्रीवास्तव के पास राकेश झारिया नामक युवक इलाज के लिए पहुंचा, जिसकी भूख लगभग खत्म हो गई थी। खाना बंद था। उसकी बीमारी सोनोग्राफी तथा तमाम टेस्ट में पकड़ी नहीं जा रही थी। आखिर क्या वजह था कि राकेश झारिया का पाचनतंत्र काम नहीं कर रहा था, एक दुर्लभ बीमारी ककूनिंग की आशंका के साथ डॉ मुकेश श्रीवास्तव ने अपने सहयोगी चिकित्सकों के साथ उसका पेट खोला। युवक की छोटी आंत ककून में कैद होकर गच्छे की तरह उलझी हुई थी। इसको सुलझाना ही बड़ी समस्या थी। चार घंटे के लम्बे आॅपरेशन के बाद उसकी आंतें सही की गई। अब राकेश झारिया स्वस्थ्य है।
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डॉ मुकेश श्रीवास्तव ने बताया कि उनके लम्बे मेडिकल कैरियर में इस तरह की दुर्लभ बीमारी के मात्र दो केस ही आए है। एक कुमारी आभा तथा दूसरा राकेश झारिया है। लाखों लोगों में एक को यह बीमारी होती है। फिलहाल इस बीमारी का कारण स्पष्ट नहीं हैं। उस बीमारी होने का कोई निश्चित कारण भी ज्ञात नहीं है।
डॉ श्रीवास्तव का कहना है कि इस बीमारी को इंटस्टाइन ककूनिंग सिंड्रोम के रूप से जाना जाता है। जिस तरह रेशम का कीट एक ककून के भीतर दबा सिमटा पड़ा रहता है। यह उसकी सुप्तावस्था होती है। बाहरी ककून उसकी खोल बन कर रह जाता है। ठीक इसी तरह पाचन तंत्र का अहम हिस्सा छोटी आंत जो कि पांच से छह मीटर तक की होती है एक निश्चित स्थान पर सिमट कर एकत्र हो जाती है ओर उसके उपर एक झिल्ली ककून की तरह चढ़ जाती है।
छोटी आंते ककून के अंदर आने का पांचन संबंधी गति बेहद सुस्त पड़ जाती है। परिणाम स्वरूप मरीज का पाचन तंत्र बुरी तहर गडबड़ा जाता है। झिल्ली के भीतर आंत होने के कारण बुरी तहर पेट में दर्द से मरीज पीड़ित होता है। यदि जबदस्ती खाना खाता पीता है तो पेट दर्द ,उल्टियां अथवा दस्त भी होने लगते है। कुल मिलाकर बीमारी से व्यक्ति का जीवन नरक बन जाता है। यह बीमारी बेहद दुर्लभ है। छोटी आंते भी एक दूसरे से बुरी तरह उलझ कर गुच्छे की तरह कई बार हो जाती है जिसको आपरेशन के बाद चिकित्सक टीम को सुलझाना भी पड़ता है। इस बीमारी का फिलहाल एक मात्र उपाय शल्य क्रिया है। इसमें कम से कम तीन एक्पर्ट चिकित्सक की जरूरत पड़ती है। आॅपरेशन में 4 से 5 घंटे का समय लगता है।
इसी तरह कुमारी आभा अपने पेट की बीमारी से परेशान होकर जबलपुर के अनेक अस्पताल और चिकित्सकों के पास जा चुकी थी। उसकी बीमारी का परीक्षण दूर्बीन पद्धति से किया गया तो छोटी आंत ककून के भीतर मौजूद पाई गई। इसके भी आॅपरेशन करने का निर्णय लिया गया। आपरेशन पूर्व कई परीक्षण हुए गए। आॅपरेशन के लिए आवश्यक पैरामीटर के भीतर मरीज के पाए जाने पर उसका आॅपरेशन किया गया। यह आॅपरेशन भी सफल रहा । आभी की बीमारी जड़ से खत्म हो गई है और अब वह संतुलित आहार ले रही है।
संदेश-
वर्तमान समय में फास्टफुड तथा खानपान में अनियमितता के कारण पेट संबंधी बीमारियां तेजी से बढ़ी है। समय पर थोड़ा थोड़ा ताजा एवं संतुलित आहर लेना ही पेट की बीमारी से बचाव का उपाय है। अमूमन गुदा संबंधी बीमारियों का सबसे बड़ा कारण शराब सेवन आ रहा है। शराब पीना छोड़ना ही बेहतर है।
डॉ. मुकेश श्रीवास्तव
एन्डो सर्जन जबलपुर
9827066720
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