Friday, 25 March 2016

बच्चादानी के बजाए ट्यूब में पल रहा था बच्चा



 
    * पांच माह का बच्चा होने से बुरी तरह
     
        फट गया था ट्यूब

     * कई बोतलखून और एक घंटा लगे मृत शिशु

       को ट्यूब से निकालने में


  डॉ. निशा साहू



 स्त्री रोग विशेषज्ञ

अधीक्षक एल्गिन हॉस्पिटल
जबलपुर। रानी दुर्गावती महिला चिकित्सालय (लेडी एल्गिन हॉस्पिटल) जबलपुर की अधीक्षक ,  स्त्रीरोग विशेषज्ञ डॉ. निशा साहू करीब 10 वर्ष पहले दीवाली के एक दिन पहले रात्रि ड्यूटी में अस्पताल में थीं तभी उनके पास एक गर्भवती महिला सुुमित्रा बाई को लाया गया। उसको पांच माह का गर्भ था। महिला बेहोशी की हालत में थी और लगातार रक्त स्त्राव हो रहा था , चैकप करने पर यह पता चला कि उसके गर्भशय (कोख) में बच्चा नहीं है बल्कि ओवरी की  फेलोपिन ट्यूब (डिम्बवाहिनी नली) में बच्चा था तथा ट्यूब बुरी तरह से फट गई थी, जिससे जबदस्त रक्त स्त्राव हो रहा था।  तत्काल आॅपरेशन कर मृत भ्रूण नहीं निकाला गया तो उसकी मौत हो जाएगी। महिला की हालत ऐसी थी कि उसको तत्काल मेडिकल कालेज अस्पताल रेफर करने की जरूरत थी लेकिन एक समस्या यह भी थी कि तत्काल इलाज शुरू नहीं किया गया तो कुछ मिनटों में उसकी मौत हो जाती। इस विषय परिस्थिति में इमरजेंसी आॅपरेशन कॉल किया गया और महिला की जान बचा ली गई।


डॉॅॅ साहू ने इस केस के अनुभव को शेयर करते हुए बताया कि अमूमन ऐसे मामले बेहद कम होते है जिसमें कि भू्रण बच्चादानी में न बढ़ा होने के बजाए ट्यूब में ही बढ़ने लगता है। ऐसी स्थिति में गर्भपात  हो जाता है। गर्भपात  भी दूसरे तीसरे महीने में होता है। चिकित्सक अमूमन गर्भधारण करने के बाद महिला की दूसरे तीसरे महीने में सोनाग्राफी करते है और यदि ऐसी स्थिति रहती है तो उपचार भी किया जाता है।
गरीब घर की थी महिला
बीमार महिला चूंकि बेहद गरीब परिवार की थी। उसकी उम्र करीब 22 वर्ष थी। इसके चलते उसने किसी अच्छी महिला चिकित्सक से गर्भधारण करने के बाद चैकअप नहीं कराया। महिला गर्भवती हुई तो उसे पेट में सामान्य दर्द रहा करता था। महिला तथा उसके परिवार की बुर्जग महिलाओं ने यही समझा कि गर्भधारण करने के कारण पेट में दर्द रहता है। गांव-देहात में पेट दर्द से राहत के लिए वह घरेलू उपचार दिया गया था। पहले के महीनों में महिला को भी ज्यादा तकलीफ नहीं हुई किन्तु उसका ट्यूब में ही भू्रण पांच माह का हो गया तो अचानक भीषण दर्द उठने से महिला तड़पने लगी थी। भारी रक्त स्त्राव होने के साथ ही शरीर में खून की कमी के कारण बेहोशी की हालत में पहुंच गई।  महिला के ट्यूब में बुरी तरह से पांच माह का भू्रण फंसा हुआ था जो सामान्य से बड़ा था।
बेहोशी की हालत में लाया गया
परिवार वाले महिला को बेहोशी की हालत में एल्गिन हॉस्पिटल लेकर आए थे। महिला की हालत देखकर पहले तो यही निर्णय लिया गया कि इसे मेडिकल कालेज अस्पताल रेफर कर दिया जाए। उसकी एक ट्यूब बस्ट हो चुका था किन्तु सवाल यह था कि क्या महिला एल्गिन से कुछ किलोमीटर दूर मेडिकल कालेज पहुंचाया जा सकता था? डॉ साहू के अनुसार मैने अनुमान लगा लिया था कि उपचार करने में यदि आधा घंटा भी विलम्ब होेता है तो महिला की जान बचना मुश्किल हो जाएगी। महिला को सबसे पहले रक्त चढ़ाने की जरूरत थी। अस्पताल में उसके गु्रप का खून नहंी था और आसपास की लैब में खून नहीं मिल पा रहा था। काफी खोजबीन करने पर र महिला के गु्रप का खून मिल गया ओर उसे खून चढ़ाने के साथ ही आपरेशन की तैयारी की गई। भू्रण महिला के ट्यूब में काफी पीछे फंसा हुआ था। बमुश्किल भू्रण को ट्यूब से निकाला गया।  अस्पताल में भर्ती कर कई दिनों तक महिला की सेवा की गई अंतत: वह पूर्ण स्वस्थ होकर अस्पताल से गई।
कारण स्पष्ट नहीं होता
डॉ .निशा साहू का कहना है कि फर्टिलाइज ओवम कई बार फेलोपिन ट्यूब में ही क्यों फंस जाता है, इसका कोई कारण अब तक स्पष्ट नहंी है। प्रकृति ने महिला को इस तरह बनाया है कि सामान्य तरीके से वह गर्भधारण कर बच्चे को जन्म देती है लेकिन कई बार अज्ञात कारण से असामान्य स्थिति निर्मित हो जाती है।

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