प्रदेश में हथियारों की खपत के साथ बाहर बिक्री भी
* सरकार के पास नहीं कोई ठोस योजना
जबलपुर। उत्तर प्रदेश में पिछले दिनों पुलिस ने अवैध हथियारों के अंतरराज्यीय स्तर के अपराधी को पकड़ा तो उसके पास से मध्य प्रदेश में बने 40 पिस्टल एवं माउजर मिले। पूछताछ में खुलाया हुआ कि मध्य प्रदेश में उन्नत अवैध हथियार बनने है और उसकी सप्लाई मध्य प्रदेश सहित देश के अनेक राज्यों में होती है। इस खुलासे के बाद से मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश की एटीएस देश द्रोहियों तक पहुंचे हथियारों की टोह ले रही है। वहीं मध्य प्रदेश में जिस संख्या में आर्म्स एक्ट के मामले पंजीबद्ध हुए है उससे जाहिर हो चला है अवैध हथियार रखने के मामले में मध्यप्रदेश देश का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है जहां सबसे ज्यादा अवैध हथियारों की खरीद-फरोख्त की जाती है। पहले स्थान पर उत्तर प्रदेश है।
नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच ने गृह मंत्रालय और डीजीपी पुलिस मुख्यालय को पत्र लिखकर भी यह जानकारी दी है। इसके साथ ही आरोप लगाए हैं कि पुलिस प्रशासन अवैध हथियारों के इस्तेमाल पर रोक लगाने में पूरी तरह नाकाम साबित हुई है। नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच युवा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष मनीष शर्मा ने बताया कि प्रदेश के कई बड़े शहरों में बड़ी तादात में इन हथियारों का निर्माण एवं खरीद-फरोख्त की जा रही है। जिस पर सरकार और पुलिस का कोई ध्यान नहीं जा रहा। प्राप्त आंकड़ों के अनुसार देश में विगत 3 वर्षों में कुल 1 लाख 64 हजार 993 अपराधों में अवैध हथियारों का इस्तेमाल किया गया था।
देश में ्र दूसरे स्थान पर
युवा प्रकोष्ठ अध्यक्ष मनीष शर्मा ने कहा कि लोकसभा में शीतकालीन सत्र के दौरान गृह राज्यमंत्री हरी भाई परिधि भाई चौधरी ने इस संदर्भ में तीन वर्षों के आंकड़े प्रस्तुत किए हैं। इसमें मध्य प्रदेश नम्बर दो में है।
एक नजर में अवैध हथियार के प्रकरण
प्रदेश 2012 2013 2014 कुल मामले दर्ज
यूपी 26396 22822 25097 74315
मप्र 10827 12798 11595 35220
राजस्थान 4992 5304 5232 15528
अवैध हथियार के मामले में सजा की स्थिति
वर्ष प. बं. म. प्र.
2012 12 % 28 %
2013 15 % 30 %
2014 08 % 34 %
ये हैं प्रमुख शहर
मध्यप्रदेश के आधा दर्जन शहर अवैध हथियारों के लिए प्रमुख रूप से जाने जाते हैं। खरगौन, जबलपुर, नरसिंहपुर, सागर, मंदसौर और बुरहानपुर अति संवेदनशील हैं जहां से हथियारों की खरीद-फरोख्त की जाती है। इसके साथ ही अन्य राज्यों में भी यहीं से हथियारों की सप्लाई की जा रही है। ये बात सरकार के संज्ञान में है लेकिन इसके बावजूद सरकार के पास कोई ठोस योजना नहीं हैं।
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