Friday, 5 February 2016

नाक से निकाले सौ से अधिक कीड़े



  जागरूकता के अभाव के कारण बढ़ती है बीमारी
दीपक परोहा
9424514521

आज से करीब 15 साल पहले जब मै नरसिंहपुर जिले में देवरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में पदस्थ था तब 16 वर्षीय लड़की अनीता बाई इलाज के लिए अस्पताल पहुंची। उसको कई महीनों से लगातार सर्दी बनी हुई थी तथा नाक से खून बहने लगा था तथा मवाद भी आ रही थी। चैकअप करने पर पता चला कि उसके साइनस में कीड़े भर चुके थे। यही कीडेÞ बाद में दिमाग तक पहुंच सकते थे जो उसकी मौत का कारण बन जाते।
  विक्टोरिया अस्पताल जबलपुर में पदस्थ नाक-कान- गला रोग विशेषज्ञ डॉ.के सी गुप्ता जब देवरी में पदस्थ थे तब उन्होंने इस ग्रामीण बाला का इलाज किया तथा उसकी जान बचाई। डॉ श्री गुप्ता ने बताया कि लड़की की नाक में दवा डालने के बाद कीड़ों को बेहोश किया गया तथा कुछ कीडेÞ दवा से मर भी गए थे। इसके बाद तालू के नीचे से मुंह के रास्ते से एक- एक कर कीड़े निकाले गए। करीब सौ से अधिक कीड़े उसके नाक से निकाले गए।  जानलेवा सर्दी से उसका जान बच गई।
लगातार सर्दी खतरनाक
डॉक्टर गुप्ता का कहना है कि लगातार सर्दी बनी रहना ठीक नहीं है। आमतौर पर लोग  सर्दी होने पर बीमारी का इलाज नहंीं कराते है तथा घरेलू नस्खे से ही बीमारी ठीक करने का प्रयास करते है। सर्दी खतरनाक हो जाती है। सर्दी के कारण बैैक्टेरियल इंफैक्शन नाक नलिका के साथ कान में भी इंफैक्शन का कारण बन जाते है।
कान में मैगॉट्स
डॉक्टर गुप्ता का कहना है कि कान में भी फंगस एवं बैक्टीरियल इंफैक्शन अक्सर हो जाता है लेकिन इसका इलाज नहीं कराया जाता है जिससे पर्दे में छेद हो जाता है तथा बहरापन का कारण बन जाता है। उन्होंने बताया कि कान में इंफैक्शन के दौरान कीड़े पड़ने लगते है जिन्हें मैगॉट्स कहते है। ये सफेद रंग के छोटे-छोटे कीड़े व्यक्ति की कान का मांस खाकर जिंदा रहते है, ये कीड़े दिमाग में पहुंच जाए तो मरीज की मौत हो जाती है। कान में कीड़े पड़ने के 25 से ज्यादा मामले विक्टोरिया अस्पताल में उनके सामने आए जिसका इलाज किया गया, और लगभग सभी मरीज ठीक हुए है। उन्होंने कहा कि ज्यादा दिन कान या नाक में घाव बने रहने से उनमें कीड़े पड़ जाते है।
क्यों होता है काम में इंफैक्शन
आखिर कान में बच्चों एवं बड़ों को क्यों इंफैक्शन होता है? इस संबंध में उनका कहना है कि जागरूकता का अभाव ही इसका मुख्य कारण है। कान से मैल निकालने की लोगो की आदत होती है। इस मैल को निकालते वक्त दूषित काड़ी का उपयोग बिलकुल नहीं करना चाहिए। नमी युक्त वातावरण में कई बार मामूली इंफैक्शन तथा कान दर्द की शिकायत होना आम बात होती है। ऐसे में लोग बच्चों के काम में कच्चा दूध अथवा  तेल डालते है। यहीं दूध और तेल बाद में रोग का कारण बन जाता है। उन्होंने बताया कि नहाते वक्त कान में गंदा पानी जाने से इंफैक्शन एवं दर्द की शिकायत होती है तथा मामूली दर्द का घरेलू उपचार बड़ी बीमारी का कारण बनता है। कान को बचाकर रखना बेहद जरूरी होता है। 

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